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हाथरस से बड़ी खबर: राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन, ये मुददे हैं शामिल
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आंकड़ों के खेल से और मिशन शक्ति के दावें करके यूपी की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को झुठलाने की कोशिश कर रहे है। जबकि राज्य में बच्चियां, लड़कियां व महिलाएं अपने को बेहद असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
लखनऊ। हाथरस में दलित युवती से दुष्कर्म व मारपीट और फिर इलाज के दौरान हुई उसकी मौत के मामलें में जनवादी महिला समिति और भारतीय महिला फेडरेशन की महिला कार्यकर्ताओं ने राजधानी लखनऊ स्थित सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन कार्यालय के सामने हाथरस के जिलाधिकारी की बर्खास्तगी तथा मुख्यमंत्री योगी के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और अधिकारियों को राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
बिगड़ती कानून-व्यवस्था को झुठलाने की कोशिश
प्रदर्शन के दौरान महिला कार्यकर्ता अपने हाथों में हाथरस की घटना के विरोध में स्लोगन लिखे प्लेकार्ड लिए हुए नारेबाजी कर रही थी। प्रदर्शनकारी महिलाओं द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में यूपी की कानून-व्यवस्था को खराब बताते हुए कहा गया है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आंकड़ों के खेल से और मिशन शक्ति के दावें करके यूपी की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को झुठलाने की कोशिश कर रहे है। जबकि राज्य में बच्चियां, लड़कियां व महिलाएं अपने को बेहद असुरक्षित महसूस कर रही हैं। विशेषकर दलित लड़कियों के साथ आये दिन बर्बरता की घटनाएं हो रही हैं।
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पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण
ज्ञापन में हाथरस की घटना का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस पूरे मामलें में पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण लग रही है। पीड़िता की मेडिकल जांच में देरी, यूपी पुलिस के आलाधिकारी द्वारा बलात्कार के संबंध में विवादित बयान, पीड़िता के शव का बगैर उसके परिजनों की मंजूरी के अंतिम संस्कार किया जाना, जिलाधिकारी हाथरस द्वारा पीड़िता के परिजनों को धमकाना ।
मीडिया तथा राजनीतिक दलों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को पीड़िता के परिजनों से मिलने न देना, आरोपियों के पक्ष में दबंग जातियों द्वारा पंचायत किया जाना तथा सीबीआई द्वारा वेबसाइट से बलात्कार की प्राथमिक रिपोर्ट को हटा देना और इस मामलें के विरोध में उठ रही आवाजों को जातीय दंगों की साजिश बताना जैसे कदम इस मामलें में पीड़िता को निष्पक्ष इंसाफ मिलने में संदेह पैदा करते है। ज्ञापन में कहा गया है कि हाथरस का मामला केवल सामूहिक बलात्कार का मामला ही नहीं है बल्कि इसमे सरकार द्वारा लोकतंत्र व संविधान की धज्जियां उड़ाई गई है।
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