TRENDING TAGS :
Mendhak Mandir: यूपी में देश का अनोखा मंदिर, जहां मेंढक पर विराजमान शिव की होती है पूजा
Frog Temple Oel Village: मेंढक मंदिर में स्थापित शिवलिंग की एक खासियत जानकर आप स्तब्ध रह जाएंगे। यहां का शिवलिंग रंग बदलता है। भगवान शिव के भक्त अपने आराध्य से जुड़े इस अजूबे को देखने आते हैं।
Frog Temple Lakhimpur Kheri: हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए मंदिरों और उसमें विराजमान आराध्य की प्रतिमा का विशेष महत्व है। हिन्दू मान्यताओं में कहा जाता है कि भगवान सर्वव्यापी हैं। भारत में भगवान शिव में आस्थावान लोगों की संख्या अनगिनत है। शैव उपासकों (Lord Shiva worship) का ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के ओयल कस्बे में है, जहां भोलेनाथ मेंढक पर विराजमान हैं। यहां प्रदेश ही नहीं दूर-दराज से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की खास बात है कि यह 'मांडूक तंत्र' (Manduk Tantra) पर आधारित है। मेंढक पर विराजे महादेव का देश में यह इकलौता पूजा स्थल है।
मेंढक मंदिर (Frog Temple News) से जुड़ी मान्यता के अनुसार सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए इस धार्मिक स्थल का निर्माण हुआ था। मेंढक मंदिर में दिवाली और महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। शैव उपासक बड़ी संख्या में यहां दर्शन को आते हैं।
मंडूक तंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी छटा निराली है। श्रद्धालु अपने आराध्य को पूजने दूर-दूर से आते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बे (Frog Temple in Oel) में एक ऐसा मंदिर है, जहां मेंढक पर विराजमान भगवान शिव की पूजा होती है। यह देश में अपनी तरह का एकमात्र मंदिर है। दरअसल, ओयल शैव संप्रदाय (भगवान शिव को मानने वाले) का प्रमुख केंद्र है। यहां के शासक भगवान शिव के बड़े उपासक थे। इसीलिए कस्बे के बीच में मंडूक तंत्र पर आधारित शिव मंदिर की स्थापना की।
क्या है इतिहास ? यूपी के लखीमपुर खीरी जिला स्थित यह क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों (Chahamana Dynasty) के अधीन था। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने करीब 200 साल पहले इस मंदिर का निर्माण कराया था। इतिहासकार बताते हैं कि, इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। इसलिए मेंढक मंदिर (Mendhak Mandir Uttar Pradesh) की वास्तु संरचना तंत्रवाद पर आधारित है, जो अपनी विशेष शैली के कारण लोगों को आकर्षित करती है। इस मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में खुलता है, जबकि दूसरा द्वार दक्षिण में।
मेंढ़क मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण हुआ था। मेंढक मंदिर में हर वर्ष दीपावली और महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
बदलता है शिवलिंग का रंग
मेंढक मंदिर की वास्तु संरचना अपने आप में विशिष्ट है। विशेष शैली के कारण लोकप्रिय है। मेंढक की पीठ पर तकरीबन 100 फीट का ये मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए विख्यात है। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत में बने अन्य शिव मंदिरों में यह सबसे अलग है। मेंढक मंदिर (Frog Temple at Oel Village) में स्थापित शिवलिंग की एक खासियत जानकर आप स्तब्ध रह जाएंगे। यहां का शिवलिंग रंग बदलता है। भगवान शिव के भक्त अपने आराध्य से जुड़े इस अजूबे को देखने आते हैं। मंदिर परिसर में खड़ी नंदी की मूर्ति भी आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। सावन के महीने में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से शिव भक्त जलाभिषेक के लिए आते हैं।
कैसे पहुंचें मेंढक मंदिर?
यहां आने के इच्छुक लोगों के मन में सवाल उठना लाजमी है कि, पहुंचें कैसे? मेंढक मंदिर यूपी की राजधानी लखनऊ से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आगंतुकों को सबसे पहले लखीमपुर आना होगा। लखीमपुर से ओयल महज 11 किलोमीटर दूर है। लखीमपुर पहुंचकर आप बस या टैक्सी के जरिए ओयल जा सकते हैं। यदि, आप हवाई यात्रा कर या ट्रेन से आना चाहते हैं तो यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन लखनऊ होगा। लखनऊ से ही आपको लखीमपुर के लिए बसें मिलेंगी।
भगवान नर्मदेश्वर बेहद आकर्षक
मेंढक मंदिर का शिवलिंग (Mysterious Shiv Mandir in UP) बेहद आकर्षक है। यह संगमरमर की कशीदाकारी से बनी ऊंची शिला पर विराजमान है। इस शिवलिंग को नर्मदा नदी से लाया गया था, जिसे भगवान 'नर्मदेश्वर' के नाम से जाना जाता है। मंदिर की दीवारों पर तांत्रिक देवी-देवताओं के मूर्तियां लगी हैं। मेंढक मंदिर के भीतर कई अद्भुत चित्र उकेरी गई है। ये कलाकृति मंदिर को शानदार रूप देते हैं। मंदिर के ठीक सामने मेंढक की मूर्ति है तो पीछे भगवान शिव का पवित्र स्थल। मेंढक मंदिर बेहद आकर्षक है। मंदिर को यूपी पर्यटन विभाग (Uttar Pradesh Tourism) ने चिन्हित किया है।
मेंढक मंदिर में हर रोज हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि मंदिर में पूजा करने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। यहां दीपावली और महाशिवरात्रि पर दर्शन-पूजन को आने वालों की कामनाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण कि इन दोनों दिनों में यहां का नजारा देखने लायक होता है।