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दरगाह में जंजीरों से बांधकर मानसिक रोगियों का इलाज करने पर HC खफा

दरगाह में जंजीरों से बांधकर मानसिक रोगियों का इलाज करने पर नाराज हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है कि एक दरगाह में मानसिक रोगियों का इलाज जंजीरों और रस्सियों में बांधकर किया जा रहा है और जिला प्रशासन इसे हल्के में ले रहा है। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को स्वयं इसे देखना चाहिए था और यदि इस प्रकार इलाज की बात सही है तो कार्रवाई करनी चाहिए थी।

tiwarishalini
Published on: 26 Nov 2016 1:51 AM IST
दरगाह में जंजीरों से बांधकर मानसिक रोगियों का इलाज करने पर HC खफा
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इलाहाबाद: दरगाह में जंजीरों से बांधकर मानसिक रोगियों का इलाज करने पर नाराज हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है कि एक दरगाह में मानसिक रोगियों का इलाज जंजीरों और रस्सियों में बांधकर किया जा रहा है और जिला प्रशासन इसे हल्के में ले रहा है। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को स्वयं इसे देखना चाहिए था और यदि इस प्रकार इलाज की बात सही है तो कार्रवाई करनी चाहिए थी।

मुहिम संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच तब नाराज हुई जब सरकार की तरफ से यह बताया गया कि हिम्मतगंज स्थित मुनव्वर शाह बाबा की दरगाह पर मानसिक रोगियों के हथकड़ी और जंजीर में बांधकर इलाज करने का कोई प्रमाण नहीं मिला।

जबकि याचिकाकर्ता ने फोटोग्राफ दिखाकर कोर्ट को बताया कि ये तस्वीरें बयां कर रही हैं कि वहां जंजीरों में बांधकर ही मानसिक रोगियों का इलाज होता है। कोर्ट ने दरगाह में इस प्रकार के क्रियाकलाप में लिप्त वहां के पदाधिकारी को तलब किया था।

कोर्ट ने कहा कि दरगाह कमेटी के पदाधिकारी अगली सुनवाई की तारीख 02 दिसंबर को भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही उनकी हाजिरी माफ करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि वह मौका का मुआयना कर दरगाह में हो रहे ऐसे अमानवीय इलाज की रिपोर्ट दें और बताएं कि वे कौन हैं जिनके हाथ-पैर जंजीर से बांधे हुए फोटो पेश की गई है।

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माध्यमिक स्कूलों में आउट सोर्सिंग से भर्ती को चुनौती

इलाहाबाद: प्रदेशभर के माध्यमिक कॉलेजों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति आउट सोर्सिंग से करने के नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इसे लेकर दर्जनों याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिन पर सोमवार 28 नवंबर को सुनवाई होगी। याचिकाओं में यूपी इंटरमीडिएट एक्ट 1921 के रेग्युलेशन 106 को चुनौती दी गई है। प्रदेश सरकार ने धारा 101 में संशोधन कर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति मैनेजमेेंट द्वारा करने पर रोक लगा दी है।

नए नियम के तहत चपरासियों को आउट सोर्सिंग से रखने का प्रावधान किया गया है। याचिका में संशोधन को चुनौती दी गई है। याचीगण का कहना है कि चतुर्थ श्रेणी के पद सृजित और स्थायी प्रकृति के पद हैं। इन पदों को भरने के लिए एक्ट में प्रावधान है। इन पदों पर स्थायी नियुक्ति ही की जानी चाहिए। नियमावली में किया गया संशोधन गलत है क्योंकि नियमित पदों को आउटसोर्सिंग से नहीं भरा जा सकता है।

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13 साल से एक ही जगह पर तैनात डॉक्टर पर कोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद : हाईकोर्ट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रामनगर इलाहाबाद में तैनात चिकित्साधिकारी डॉ. एस. सी. द्विवेदी द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस किए जाने पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि किस प्रकार से एक डॉक्टर पिछले 13 सालों से एक ही स्थान पर तैनात है और प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर रहा है। मनदीप शुक्ला और अन्य की याचिका की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशंवत वर्मा की बेंच ने यह आदेश दिया।

याची के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी के अनुसार सीएचसी रामनगर में पिछले 13 सालों से डॉ. एस. सी. द्विवेदी की तैनाती है। वह सीएचसी में बैठने के बजाए नजदीकी अपने नर्सिंग होम में बैठते है और प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। तमाम मरीजों का गलत इलाज भी किया जाता है। सीएचसी में सुविधाओं का अभाव है।

याची ने डॉक्टर के खिलाफ उच्च अधिकारियों से शिकायत की है, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीएचसी में इलाज नहीं होने से आम ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है। गंभीर रोगियों को इलाज के लिए शहर आना पड़ता है और ज्यादा पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। कोर्ट ने इस पर 02 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।



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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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