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Meerut News: मेरठ शहर आग के मुहाने पर बैठा, जिम्मेदार अफसर और विभाग मौन
Meerut News: एक आरटीआई के जवाब में विभाग ने जानकारी दी है कि विभाग की ओर से किसी भी होटल, बैंक्विट हॉल, मंडप, रिसोर्ट्स को एनओसी जारी नहीं की गई है।
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) में आधा से अधिक शहर आग के मुहाने पर बैठा है। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसर और विभाग मौन है। आलम यह है कि शहर का एक भी रेस्टोरेंट, होटल, बैंक्वेट हाल, रिसोर्ट ऐसा नही है जिसके पास अग्निशमन का अनापत्ति प्रमाण-पत्र (no objection certificate of fire) हो। करीब-करीब यही हाल कोचिंग सेंटरों की है, जहां हजारों छात्र मौजूद रहते हैं। गली-गली में कोचिंग सेंटरों के बावजूद करीब एक दर्जन के पास ही एनओसी है। बाकी सभी रामभरोसे चल रहे हैं। विभाग ने होटल, रेस्टोरेंट आदि के एनओसी ना लेने और चालान ना करने की बात स्वीकारी है, जबकि नियमित जांच जरूरी है।
एक आरटीआई (RTI) के जवाब में विभाग ने जानकारी दी है कि विभाग की ओर से किसी भी होटल, बैंक्विट हॉल, मंडप, रिसोर्ट्स को एनओसी जारी नहीं की गई है। ऐसे में ना तो कोई चालान नहीं किया गया और ना ही कोई जुर्माना वसूला गया। शिक्षण संस्थानों (educational institutions) को एनओसी जारी करने के मामले में बताया गया कि 3 या 5 वर्ष के लिए एनओसी जारी की जाती है।
शहर में 270 से अधिक संस्थानों के पास दमकल विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र नही
वहीं शहर में 270 से अधिक मंडप, रिसॉर्ट्स, होटल आदि संचालित ऐसे में इन में आग लगना या कोई दुर्घटना होने पर जिम्मेवारी किसकी होगी, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। मुख्य अग्निशमन अधिकारी संतोष कुमार राय इस मामले में अधिक कुछ नही कहते हुए इतना ही कहते हैं, होटल, बैंक्वेट हाल, रिसोर्ट आदि के पास दमकल विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र नही है। मामला संज्ञान में आने के बाद इस संबंध में रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे जिलाधिकारी को भेजा जाएगा।
उधर,आरटीआई कार्यकर्ता मनोज चौधरी द्वारा मुख्य अग्निशमन अधिकारी से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में कहा गया है कि कार्यालय में उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार शहर के सभी होटल, बैंक्वेंट हाल, रिसोर्ट, विवाह मंडप, फंक्शन हाल बगैर अनापत्ति प्रमाण पत्र के चल रहे हैं। यही नही विभाग ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि इस मामले में किसी भी होटल, बैंक्वेंट हाल, रिसोर्ट, विवाह मंडप, फंक्शन हाल को नोटिस नही दिए गे हैं। दो अन्य सवालों के जबाव में विभाग की तरफ से बताया गया कि 2017 से लेकर अब तक किसी पर मुकदमा नही किया गया है। यही नही इन पांच सालों में किसी का चालान भी नही किया गया है।
विक्टोरियां पार्क जैसा भीषण अग्निकांड हो चुका है शहर में
यह तो उस शहर का हाल है जहां पर अप्रैल 2006 में विक्टोरियां पार्क जैसा भीषण अग्निकांड (horrific fire) हो चुका है। बता दें कि दस अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क में लगाए गए कंज्यूमर मेले में भीषण आग लगी थी। देखते ही देखते पूरा पंडाल आग का गोला बन गया था। आग में 65 लोगों की मौत हो गई थी। 81 लोग गभीर रूप से, जबकि 85 लोग सामान्य रूप से झुलसे थे। इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यायिक आयोग पूर्व जस्टिस एसबी सिन्हा की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है। तमाम गवाहों और लंबी जांच के बाद इसका निष्कर्ष सामने आया। आयोग ने इस मेले के आयोजकों को घटना के लिए साठ प्रतिशत और सरकारी तंत्र को चालीस प्रतिशत दोषी माना।
अस्पतालों को छापामारी का डर दिखाकर हर माह वसूली जाती है रकम
सूत्र बताते हैं कि कोचिंग सेंटरों और अस्पतालों को छापामारी का डर दिखाकर हर माह वसूली भी की जाती है। यही कारण है कि बिना एनओसी के कोचिंग सेंटर और अस्पताल बेखौफ चल रहे हैं। कोचिंग सेंटरों में प्रवेश और निकासी भी इतनी संकरी है कि वहां हादसा हो जाए तो राहत-बचाव भी आसान नहीं होगा। यहां बता दें कि शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां दमकल की गाड़ी नहीं पहुंच सकती। घंटाघर के आसपास का बाजार भी ऐसा ही है। उधर, लिसाड़ीगेट, नई बस्ती, मलियाना और शहर के प्रमुख बाजार भी बेहद संकरे हैं। ऐसे में वहां हादसा होने पर बड़ी जनहानि हो सकती है।
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