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मौत के सफर पर निकले प्रवासी मजदूर, चाहत सिर्फ घर पहुंचने की

हिम्मत है जो टूटने का नाम नहीं ले रही है और वह लगातार चल कर अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न राज्यों से आए हुए मजदूरों ने बताया कि वह काफी रास्ते तो पैदल चले और जहां उन्हें जो साधन मिला उसी पर सवार हो गए।

SK Gautam
Published on: 13 May 2020 5:35 PM IST
मौत के सफर पर निकले प्रवासी मजदूर, चाहत सिर्फ घर पहुंचने की
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प्रवेश चतुर्वेदी

औरैया: कहते हैं कि जब मुसीबत आती है तो वह न तो मजदूर देखती है और न ही मजबूर। आज ऐसा ही कुछ प्रवासी मजदूरों के साथ नजारा देखने को मिला। लॉक डाउन के दौरान जहां पूरा देश अपने अपने घरों पर सुरक्षित जीवन यापन कर रहा है। वहीं हजारों प्रवासी मजदूर मौत का सफर तय करते हुए हजारों किलोमीटर का रास्ता तय कर अपने घर पहुंचने की चाह में अभी तक जुटे हुए हैं।

वैसे सरकारों ने उन्हें अपने घरों तक पहुंचाने के लिए कई प्रयास किए। मगर संख्या इतनी अधिक है कि सरकार के संसाधन भी कम पड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा बुधवार को जनपद औरैया के सदर कोतवाली के अंतर्गत देखने को मिला। जिसमें करीब सैकड़ों प्रवासी मजदूर ट्रकों पर सवार होकर अपने घर में पहुंचने की चाहत लिए हुए दिखाई दिए। मगर उन्हें शायद यह नहीं पता कि यह सफर कहीं उनका आखिरी सफर न बन जाए।

7 दिनों से लगातार सफर कर रहे हैं मजदूर

वह लोग तो सिर्फ अपनों के दीदार की चाहत में जैसे बन सकता है वैसे पहुंचने के प्रयास कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों की हालत यह है कि लगातार कई दिनों तक भूखे प्यासे चलने के बाद भी वह अपनी उम्मीद तोड़ते हुए नहीं दिखाई पड़ रहे हैं। उन्हें सिर्फ घर पहुंच कर अपने परिजनों कि सिर्फ एक बार सूरत देखने की हसरत है। ट्रकों के ऊपर सवार मजदूर सिर्फ यही बता रहे हैं कि वह यहां तक कितनी मुसीबतों का सामना करते हुए पहुंचे हैं और पता नहीं आगे उन्हें कितनी और मुसीबतों को झेलना पड़ सकता है।

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हिम्मत नहीं टूटती

मगर उनकी हिम्मत है जो टूटने का नाम नहीं ले रही है और वह लगातार चल कर अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न राज्यों से आए हुए मजदूरों ने बताया कि वह काफी रास्ते तो पैदल चले और जहां उन्हें जो साधन मिला उसी पर सवार हो गए। जेब मे फूटी कौड़ी भी नहीं थी मगर भला हो इन ट्रक चालकों का जिन्होंने उनकी मदद की और अपने ट्रक पर जहां तक उन्हें जाना था छोड़ा। जहां से ट्रक चालकों का रूट बदल गया वहीं से वो फिर पैदल चलने लगे। 7 दिनों का सफर तय करते हुए वह औरैया पहुंचे।



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SK Gautam

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