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देश की हर समस्‍या हल कर सकता है वैज्ञानिक: हर्षवर्धन

sudhanshu
Published on: 5 Oct 2018 2:09 PM GMT
देश की हर समस्‍या हल कर सकता है वैज्ञानिक: हर्षवर्धन
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लखनऊ: राजधानी लखनऊ में चौथा इंडिया इंटरनेशलन साइंस फेस्टिवल शुक्रवार से शुरू हुआ। चार दिवसीय इस फेस्ट में दुनियाभर के मशहूर वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। शुक्रवार को इसका उद्घाटन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की हर समस्या पर वैज्ञानिक समाधान दे सकते हैं। तकनीक ने देश की तकदीर बदली जा सा सकती है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि बड़ा काम करने के लिए सपने होना चाहिये और उसे साकार करने के लिए जज्बा। इसका औपचारिक उद्घाटन शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। इस मौके पर डिप्‍टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, मेयर संयुक्‍ता भाटिया संग अधिकारीगण मौजूद रहे।

इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावा

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इस कार्यक्रम के जरिए इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2022 तक एक नए भारत के निर्माण की संकल्पना पर काम कर रहे हैं। इसके लिए विजन 2022 तैयार किया जा रहा है। इस विजन के आधार पर ही आने वाले दिनों में काम होगा। इसका मकसद देश के लोगों को खुशहाल और पीड़ामुक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि हमको भरोसा है कि विज्ञान महोत्सव विजन 2022 का माध्यम बनेगा।

इसमें लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र हुए प्रत्येक अत्याधुनिक पहलू को नजदीक से जानने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि देश में इनोवेशन और स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा रहा है। विज्ञान महोत्सव में देशभर से चुने गए करीब 200 स्टार्टअप आएंगे। इनसे युवाओं को सीखने का मौका मिलेगा कि कैसे छोटे-छोटे इनोवेशन और आइडिया को कमाई के अवसर में बदला जा सकता है।

'परिवर्तन के लिए विज्ञान' है थीम

इस साइंस फेस्टिवल की थीम 'परिवर्तन के लिए विज्ञान' रखी गई है। विदेश में सामाजिक परिवर्तन के मामले में देश के वैज्ञानिक एवं टेक्नोलॉजी संस्थानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सीएसआइआर, आइसीएआर, इसरो, डीआरडीओ सहित अन्य संस्थान अपनी उपलब्धियों को गोमती नगर रेलवे स्टेशन ग्राउंड में शुरू हुए मेगा साइंस, टेक्नोलॉजी एवं इंडस्ट्री एक्सपो में प्रदर्शित कर रहे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि देश ने विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में अब तक जितनी भी तरक्की की है यहां उसकी झलक एक पंडाल में देखी जा सकती है।

ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल करने से बचें

एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में विशेषज्ञों ने कृषि के विकास पर अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय डेयरी इंस्टिट्यूट के डॉ.अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि अधिक दूध उत्पादन के लालच में पशुपालक मवेशियों का ध्यान नहीं रखते। गाय या भैंस के बच्चा देने के तीन सप्ताह पहले और बाद में जितना पौष्टिक आहार दिया जा सकता है देना चाहिए। ऐसा करने से दूध की गुणवत्ता के साथ उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल मवेशियों के साथ ही मानव शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है। सुगंधा वर्मा के संचालन में आयोजित कार्यशाला में आरके सिंह, गोपाल कृष्णा, आरआर बी सिंह और कुलदीप सिंह ने पहले सत्र में अपने विचार व्यक्त किए।दूसरे सत्र की शुरुआत केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने की। शाही ने कहा कि तहजीब के शहर में किसानों का स्वागत है। वर्ष 2017-18 में 53 लाख क्विंटल गेंहू खरीद हुई और किसानों को 9200 करोड़ खाते में तीन दिन के अंदर भेज दिए गए।

दस हजार एनजीओ जुड़ेंगे आम लोगों से

देश भर में दस हजार एनजीओ मिलकर विज्ञान में हो रहे नए कामों को आम लोगों के बीच ले जाएंगे। ये एनजीओ वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच सेतु का काम करेंगे। इन एनजीओ को आपस में जोड़ा जा रहा है, ताकि वैज्ञानिक उपलब्धियों को आम लोगों तक पहुंचाया जा सके। इस संबंध में सैकड़ों एनजीओ के प्रतिनिधि इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल के दौरान इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जुटें हैं।इस मौके पर विज्ञान भारती के राष्ट्रीय विशेष सलाहकार जय कुमार ने कहा कि विज्ञान के प्रसार और नई उपलब्धियों के जनुपयोग की जानकारियां आम आदमी तक पहुँचया जाना बहुत जरूरी है। इसमें एनजीओ का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए हम देश के करीब दस हजार एनजीओ को जोड़ रहे हैं, जिनके जरिये प्रयोगशाला से निकलने वाले अविष्कार सीधे आम व्यक्ति तक पहुंचेंगे। ये एक मेगा प्रोजेक्ट होगा, जिसमें केंद्र सरकार का पूरा सहयोग होगा।

पहले दिन कई अव्यवस्थाएं भी दिखीं

राजधानी में शुरु हुए फेस्ट में पहले दी कई अव्यवस्थाएं भी दिखीं। यह बनाए गए रजिस्‍ट्रेशन काउंटर पर लोगों की भीड़ दिख लेकिन लोगों के पास नहीं बन रहे थे। वहीं पास होने के बावजूद पुलिस कुछ लोगों को अंदर नहीं जाने दे रही है। कई छात्रों ने बताया कि उन्हें कार्यक्रम से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में दिक्कत हो रही है।

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