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योगी के मंत्री का प्रियंका पर करारा हमला, कह दी ये बड़ी बात
मंत्री ने ये भी कहा कि भारत के अल्पसख्यकों विशेषकर मुसलमानों का सीएए से कोई अहित नही है। इस कानून से देश के नागरिकों की नागरिकता पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। यह कानून किसी भी भारतीय हिन्दु, मुसलमान, सिख, इसाई, जैन बौद्व, पारसी आदि को प्रभावित नही करेगा।
सुलतानपुर: यूपी में विपक्ष की ओर से आक्रामक कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को योगी सरकार में मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने बड़ा बयान दे डाला है। शनिवार को सुल्तानपुर में नागरिक संशोधन एक्ट के एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि प्रियंका गांधी राहुल की दावेदारी खत्म करने के लिए राजनीति में सक्रिय हो रही हैं। वो प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रही हैं।
अल्पसख्यकों विशेषकर मुसलमानों का सीएए से कोई अहित नही
उन्होंने कहा कि सीएए कानून नागरिकता देने के लिए बना है, किसी की नागरिकता छीनने के लिए नही। उन्होने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा देश के हित में कदम उठाये जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 को भी सरकार द्वारा लागू किया गया पर कुछ लोगों द्वारा अपने राजनैतिक स्वार्थवश नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 को गलत ढंग से परिभाषित किया जा रहा है। जबकि यह कानून हमारे पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां के विस्थापितों हिन्दु, सिख, इसाई, जैन बौद्व, पारसी आदि जो वर्ष 2014 तक इस देश में आ गये हो, को नागरिकता प्रदान करने का प्राविधान इस अधिनियम में किया गया है।
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मंत्री ने ये भी कहा कि भारत के अल्पसख्यकों विशेषकर मुसलमानों का सीएए से कोई अहित नही है। इस कानून से देश के नागरिकों की नागरिकता पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा। यह कानून किसी भी भारतीय हिन्दु, मुसलमान, सिख, इसाई, जैन बौद्व, पारसी आदि को प्रभावित नही करेगा।
जनजागरूकता लाते हुए भ्रम को दूर करने का किया आहवान
मंत्री ने कहा कि इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहाॅ से आये हिन्दु, सिख, इसाई, जैन बौद्व, पारसी धर्म को मानने वाले शरणार्थियों को भारत की नगारिकता दी जायेगी, जो 31 दिसम्बर 2014 से पूर्व से ही इस देश में रह रहे हो तथा जो केवल इन तीन देशों से धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गये हो।
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उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक भारतीय नगारिकता लेने के लिए 11 वर्ष भारत में रहना अनिवार्य था। मन्त्री ने कहा कि यह कानून केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होने वर्षो से बाहर रहकर उत्पीड़न का सामना किया और उनके पास भारत आने के अलावा और कोई जगह नही है। उन्होने कार्यकर्ताओं से इस अधिनियम के विषय में जनजागरूकता लाते हुए भ्रम को दूर करने का आहवान किया।