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INTERVIEW: कामकाज को गति देने में जुटे योगी के मंत्री, बड़े बदलाव के लिए रोड मैप तैयार

ग्रामीण अभियंत्रण सेवा की निर्माण संबंधी खराब छवि को बदल कर उसे राष्ट्रीय निर्माण एजेंसियों के बराबर खड़ा करना ही राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। भाजपा के संकल्प पत्र के अनुरूप चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।

zafar
Published on: 5 May 2017 4:07 PM IST
INTERVIEW: कामकाज को गति देने में जुटे योगी के मंत्री, बड़े बदलाव के लिए रोड मैप तैयार
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INTERVIEW: कामकाज को गति देने में जुटे योगी के मंत्री, बड़े बदलाव के लिए रोड मैप तैयार

लखनऊ: योगी सरकार के मंत्री अपने अपने विभागों में कामकाज को गति देने में जुट गये हैं। राज्य के नए ग्रामीण अभियंत्रण सेवा मंत्री राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह का कहना है कि दूसरी निर्माण एजेंसियों को लाभ पहुंचाने वाले विभागीय लोगों को सुधरने के संकेत दे दिए गए हैं। विभागीय कामों में गुणवत्ता की शिकायतों के निस्तारण के लिए तकनीकी टीम का गठन कर दिया गया है।

चिकित्सा शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन का कहना है कि डॉक्टरों की कमी की समस्या दूर करने के लिए सरकार राज्य सेवा भर्ती बोर्ड बनाने पर विचार कर रही है। भाजपा सरकार चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव करने को संकल्पबद्ध है और इसके लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है।

ग्राम विकास मंत्री महेन्द्र सिंह का दावा है कि प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के जल संकट को दूर करने की दिशा में ठोस पहल की है। इसी का नतीजा है कि एक महीने में ही बुंदेलखंड के लोगों में पानी की कमी का फोबिया खत्म हो गया है।

तीनों मंत्रियों से अपना भारत-न्यूजट्रैक के लिए विजय शंकर पंकज ने बातचीत की।

आगे स्लाइड में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा मंत्री राजेन्द्र सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश...

योगी सरकार में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (रूरल इंजीनियरिंग सर्विस यानी आरईएस) के मंत्री राजेन्द्र सिंह उर्फ मोती सिंह की राजनीति और कार्यशैली अलग ही है। ब्लॉक प्रमुख से चुनावी सफर शुरू करने वाले राजेन्द्र सिंह विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं और चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। मंत्रिमंडल में छोटा विभाग होते हुए भी राजेन्द्र सिंह में कुछ नया करने का जज्बा है।

सवाल- निर्माण कार्यों में लेट-लतीफी तथा खराब गुणवत्ता को लेकर ग्रामीण अभियंत्रण सेवा की छवि बहुत खराब है। इसमें सुधार की कोई कार्य योजना है?

जवाब- ग्रामीण अभियंत्रण सेवा की छवि खराब करने के लिए विभाग के ही कुछ लोग साजिश करते आ रहे हैं। ऐसे अधिकारी एवं कर्मचारी दूसरी निर्माण एजेंसियों को लाभ पहुंचा कर अपना हित साधते थे। ऐसे लोगों को समय से सुधार करने के संकेत दे दिये गये हैं। सुधार न होने पर ऐसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी विभाग की छवि से खिलवाड़ करने की छूट नहीं होगी।

सवाल- विभागीय योजनाओं को गति देने के लिए सरकार की प्राथमिकता क्या है?

जवाब- ग्रामीण अभियंत्रण सेवा में काम करने का बड़ा तकनीकी ढांचा है। कुशल इंजीनियरों की टीम राष्ट्रीय स्तर के किसी भी तरह के तकनीकी काम करने में सक्षम है। विभाग के पास जितने भी बड़े काम आते हैं, उसका समय से संपादन करने के साथ ही निर्माण की प्रतिस्पर्धा में अपने को श्रेष्ठ साबित करने का प्रयास है। इसके लिए ग्रामीण अभियंत्रण सेवा की निर्माण संबंधी खराब छवि को बदल कर उसे राष्ट्रीय निर्माण एजेंसियों के बराबर खड़ा करना ही राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसके लिए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के साथ ही समयबद्ध कार्य के निष्पादन की कार्य प्रणाली अनिवार्य की जाएगी।

सवाल- वर्तमान में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के पास उच्चस्तरीय और बड़े काम नहीं है और उससे छोटी निर्माण एजेंसियां ज्यादा काम कर रही हैं।

जवाब- ग्रामीण अभियंत्रण विभाग राज्य के 34 जिलों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना का काम करा रहा है। इसके साथ ही गांवों को सडक़ों से जोडऩे, गांवों में सी.सी.रोड, विद्यालय एवं पंचायती भवनों का निर्माण तथा गांवों के अन्य विकास काम हो रहे हैं। इन कामों में लोनिवि, पंचायती राज, लघु सिंचाई तथा अन्य निर्माण एजेंसियां सक्षम नहीं हैं।

सवाल- ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के कामों में गुणवत्ता की काफी शिकायतें रहती हैं।

जवाब- सरकार बनते ही शिकायतों के निस्तारण के लिए तकनीकी टीम का गठन कर दिया गया है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सेवानिवृत्ति के पास वाले तथा काम करने में अक्षम लोगों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। विभाग के कार्य स्वरूप को नया आयाम देने के लिए अलग से उच्च स्तरीय विशेषज्ञ अभियंताओं की टीम बनायी जाएगी, जो विभाग के लिए अन्य कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिस्पर्धा करते हुए काम की तलाश करेगी।

राष्ट्रीय स्तर की निर्माण योजना में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा अपनी निविदा प्रस्तुत कर अपनी गति को बढ़ावा देगी। विभाग अब गांव स्तर के कामों से अपने कार्य क्षेत्र में विस्तार करते हुए राष्ट्रीय स्तर के राजमार्गों, पुलों एवं बहु मंजिली इमारतों के निर्माण कार्य में भी अपनी सहभागिता बढ़ायेगा। इस प्रक्रिया में निजी संस्थानों का भी विभाग काम करेगा।

सवाल- विभाग के पास अपना कोई बजटीय प्रावधान नहीं है जिसके कारण काम न मिलने की स्थिति में विभाग को अपने कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़ जाते हैं।

जवाब- बजटीय प्रावधान न होने से कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है परन्तु विभाग के पास अपने खर्चों को पूरा करने के लिए धन का संकट नहीं है। विभाग के पास पर्याप्त कार्य है और उसे और गति दी जा रही है। बजटीय प्रावधान करने की भी तैयारी की जा रही है।

इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल से वार्ता कर शीघ्र निर्णय करूंगा। बजटीय प्रावधान होने से ग्रामीण अभियंत्रण सेवा अन्य कार्यदायी संस्थाओं लोनिवि तथा सिंचाई विभाग की तरह हो जाएगा और विभागीय कार्य प्रणाली में काफी सुधार होगा।

आगे स्लाइड में चिकित्सा शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन से बातचीत के अंश...

राजधानी लखनऊ में चौक के टंडन परिवार की एक अहम हैसियत है। लखनऊ की राजनीति से लेकर कला-संस्कृति और व्यापारिक गतिविधियों में एक स्तम्भ माने जाने वाले लालजी टंडन अभी भी अपनी ठसक बनाए हुए हैं। उन्हीं के पुत्र आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल प्रदेश की योगी सरकार में चिकित्सा शिक्षा एवं प्राविधिक शिक्षा के मंत्री हैं।

सवाल- विभागीय स्तर पर आपको कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

जवाब- चिकित्सा शिक्षा विभाग में दो स्तर की कार्यदायी स्थितियां हैं। चिकित्सा शिक्षा के तौर पर प्रदेश ही नहीं देश स्तर पर डॉक्टरों की भारी कमी है। इसे पूरा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर बहुत बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर का राज्य है। यहां पर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में विकास की अवधारणा को पूरा कर लिया जाय तो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सकता है।

सवाल- चिकित्सा क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाओं के लिए किन मूलभूत आवश्यकताओं की प्रथम वरीयता है?

जवाब- -चिकित्सा क्षेत्र में विकास के लिए सबसे बड़ी जरूरत चिकित्सा शिक्षकों की है। असल में समस्या तो यह है कि राज्य में मेडिकल कॉलेजों से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्राथमिक एमबीबीएस डॉक्टरों का ही अभाव है। विशेषज्ञ तथा सुपर स्पेशियलिटी के डॉक्टरों की बात तो बहुत दूर की कौड़ी है। जब डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए शिक्षक ही नहीं होंगे तो चिकित्सा विश्वविद्यालयों तथा मेडिकल कॉलेजों के ग्रेडेशन की बात करना बेमानी होगा।

सवाल- पिछली सपा सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में सीटें बढ़ाने तथा मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। ऐसे में क्या नये खुले मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों के बिना ही शिक्षण कार्य चल रहा है?

जवाब- फिलहाल मैं पिछली सरकार के क्रियाकलापों को लेकर सरकार का समय और ऊर्जा खर्च करने नहीं जा रहा। भाजपा के संकल्प पत्र के अनुरूप हम चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव करने को संकल्पबद्ध हैं और इसके लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है। भाजपा सरकार पांच साल में 25 मेडिकल कॉलेज तथा पांच एम्स खोलने के लिए प्रतिबद्ध है।

सवाल- इन मेडिकल कॉलेजों तथा एम्स के लिए फिर योग्य शिक्षकों की कमी खलेगी। इसकी पूर्ति सरकार कैसे करेगी?

जवाब- मेडिकल कॉलेजों तथा चिकित्सा सेवाओं के लिए डॉक्टरों के 15 हजार से ज्यादा पद खाली चल रहे हैं। हजारों पदों पर भर्ती के लिए लोकसेवा आयोग को राज्य सरकार की तरफ से कई बार कहा जा चुका है परन्तु दो से ढाई वर्ष तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। डॉक्टरों की भर्ती न होने के कारण कई मेडिकल कॅालेज संविदा डाक्टरों के ही सहारे चल रहे हैं। इसके निवारण के लिए राज्य सरकार उच्चस्तरीय न्यायिक प्रक्रिया तथा अन्य पहलुओं पर विचार कर राज्य सेवा भर्ती बोर्ड बनाने पर विचार कर रही है।

सवाल- सरकारी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की स्थिति और खराब है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश से लेकर निम्नस्तरीय शिक्षण प्रणाली तथा डिग्री के फर्जीवाड़े की आये दिन शिकायतें आती रहती हैं। इसमें सरकार क्या कर रही है?

जवाब- प्रदेश में 18 सरकारी मेडिकल कॉलेज तथा 23 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं। इसके साथ दो मेडिकल विश्वविद्यालय तथा दो सुपर स्पेशियलिटी संस्थान हैं। इन सभी में छात्रों के प्रवेश तथा शिक्षण कार्य को समान रूप देने के लिए नीट से जोड़ा जा रहा है। अब सभी चिकित्सीय संस्थानों में नीट से अर्हता वाले छात्र ही प्रवेश पा सकेंगे। निजी मेडिकल कॉलेजों को भी मनमाने तरीके से एडमिशन की अनुमति नहीं मिलेगी। इसी प्रकार शिक्षण शुल्क के निर्धारण के लिए समिति का गठन करने के साथ ही गाइडलाइन जारी कर दी गयी है।

सवाल- निजी मेडिकल कॉलेजों में मानक के अनुरूप शिक्षकों के निर्धारण में भारी फर्जीवाड़े की शिकायतें मिलती रहती हैं। अपात्र शिक्षकों से शिक्षण कार्य कराने पर क्या कहेंगे?

जवाब- ऐसी शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों को आधार कार्ड से जोडऩे का निर्देश दिया है। आधार कार्ड से शिक्षकों की नियुक्ति होने पर न तो कोई शिक्षक और न कोई कॉलेज किसी तरह का फर्जीवाड़ा कर पाएगा।

सवाल- मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से लेकर कई अन्य अव्यवस्थाएं हैं। इसे दूर करने के लिए सरकार क्या कर रही है?

जवाब- सरकार बनने के बाद मेडिकल कॉलेजों के सभी प्रधानाचार्यों की बैठक में यह साफ निर्देश दिया गया है कि वे अपने अस्पतालों में हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम लागू करें। इसके साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों के हॉस्पिटलों को एक-दूसरे के लिंक से जोड़ दिया जाएगा। इससे किसी भी मेडिकल कॉलेज के मरीज का पूरा विवरण दूसरे कॉलेज या विश्वविद्यालय में भी उपलब्ध होगा।

सवाल- मेडिकल कॉलेजों तथा अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में पैथॉलाजी जांच को लेकर कई तरह की समस्याएं आती हैं। इससे मरीज को परेशानी के अलावा पैसे की भी बर्बादी होती है। सरकार इस दिशा में क्या कर रही है?

जवाब- सरकार मेडिकल कॉलेजों में पीपीपी मॉडल पर पैथॉलाजी सिस्टम लागू करने की पहल करने जा रही है। इसके लिए कई मेडिकल कंपनिया तैयार हैं। पीपीपी मॉडल पर पैथॉलाजी जांच होने पर जहां मरीज को कम खर्चे में अच्छी सुविधाएं हासिल होंगी, वहीं सरकार पर भी किसी तरह का अतिरिक्ति भार नहीं आएगा।

आगे स्लाइड में ग्राम विकास मंत्री महेन्द्र सिंह से बातचीत के अंश...

योगी सरकार में ग्राम विकास मंत्री महेन्द्र सिंह को प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं को राज्य में लागू करने की जिम्मेदारी दी गयी है। पिछले एक दशक से राज्य का पठारी बुन्देलखंड क्षेत्र पानी की कमी को लेकर त्राहि-त्राहि कर रहा था। ऐसे में राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही कुछ अलग होने की आस बंधी है। डा.महेन्द्र सिंह से बातचीत के मुख्य अंश प्रस्तुत हैं।

सवाल- ग्राम विकास विभाग के मंत्री के रूप में आप अपनी किस जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण मानते हैं?

जवाब- संविधान संशोधन के बाद ग्राम विकास की तमाम योजनाओं का वित्तीय अधिकार अब पंचायती राज के पास चला गया है। ग्राम विकास की बड़ी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की विकास योजनाओं के संचालन तथा उनकी निगरानी के लिए है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना राज्य के ग्रामीण विकास का स्वरूप बदल देगी। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से ही जोर देते रहे हैं परन्तु पिछली सपा सरकार में इन कार्यों को गति नहीं दी गयी। मगर योगी सरकार ने इसमें तेजी लाने की पहल की है।

सवाल- विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बुंदेलखंड के विकास के तमाम वादे किये थे। भाजपा को वहां पर शत-प्रतिशत विजय मिली है। अब भाजपा सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा रही है?

जवाब- बुंदेलखंड क्षेत्र में पिछले एक दशक से पानी की कमी को लेकर दहशत का माहौल बना हुआ था। योगी सरकार ने एक माह में ही बुंदेलखंड के लोगों के पानी फोबिया को खत्म कर दिया है। वहां अब न केवल पेयजल की भरपूर आपूर्ति हो रही है बल्कि पानी से लबालब भरे तालाब सुखद शीतलता और भरपूर पैदावार का एहसास करा रहे हैं।

सवाल- भाजपा सरकार ने बुंदेलखंड में ऐसा क्या किया कि बुंदेलखंड रामराज्य जैसा महसूस कर रहा है?

जवाब- राज्य सरकार ने बुंदेलखंड के जल संकट के निवारण की ठोस पहल की जिसका परिणाम यह रहा कि एक माह के अंदर ही सरकार की कार्यप्रणाली का असर दिखने लगा है। बुंदेलखंड के जलसंकट को दूर करने के लिए सरकार ने पहली ही कैबिनेट में 47.50 करोड़ की राशि जारी कर प्रशासनिक मशीनरी को युद्धस्तर पर काम पूरा करने के लिए लगा दिया।

सभी सात जिलों में 4815 इंडिया मार्का हैंडपंप रीबोर करने के साथ 1174 नये इंडिया मार्का हैंडपंप लगाए गए। इससे हर गांव एवं आबादी तक पानी की पहुंच पूरी हुई। किसी भी स्तर के पानी के संकट को पूरा करने के लिए 1000 टैंकर कस्बों से लेकर गांवों तक तैनात कर दिये गये ताकि किसी तरह की कमी होने पर उससे आपूर्ति की जा सके। पानी संकट पर नजर रखने के लिए त्रिस्तरीय कमेटियों का गठन किया गया है। सभी गांवों में टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है जिससे कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

सवाल- पेयजल के साथ ही बुंदेलखंड में सिंचाई सुविधाओं का भी संकट रहा है। इस दिशा में सरकार क्या कर रही है?

जवाब- बुंदेलखंड क्षेत्र की सिंचाई सुविधाओं के लिए सरकार ने दो स्तरीय कार्ययोजनाएं बनायी हैं। प्रथम चरण में तात्कालिक तौर पर क्षेत्र के 1600 तालाबों को चिन्हित कर उन्हें नहरों तथा राजकीय नलकूपों से भरने के निर्देश दिए गए हैं। अभी तक 628 तालाबों को भरा जा चुका है। इसके साथ ही सरकार अनुदान देकर किसान के खेत में ही तालाब बनाने की योजना को बढ़ावा देगी। बुंदेलखंड की सिंचाई समस्या के स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन योजनाएं बनायी गयी हैं। इसमें भारत सरकार भी हर तरह का आर्थिक सहयोग देने को तैयार है।

सवाल- बुंदेलखंड जैसी ही विषम स्थिति विन्ध्य क्षेत्र की भी है। वहां के संकट को दूर करने के लिए सरकार क्या कर रही है?

जवाब- वैसे तो राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश की समस्याओं को संज्ञान में लेकर कार्ययोजना बनायी है परन्तु प्राथमिकता के आधार पर विन्ध्य क्षेत्र भी पहली श्रेणी में है। विन्ध्य क्षेत्र के 11 जिलों में पेयजल संकट को दूर करने के लिए पाइपलाइन परियोजना चालू की गयी है।

विन्ध्य क्षेत्र के 4504 ग्राम पंचायतों में 81 लाख की आबादी है जिसमें 25 लाख की आबादी को पाइपलाइन परियोजना से जोड़ा गया है। इसके साथ ही इंडिया मार्का हैंडपंपों के रीबोर, नये हैंडपंपों के लगाने के साथ ही पानी टैंकरों की भी व्यवस्था की गयी है।

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