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सदन की रिपोर्टिंग प्रदेश का दर्पण, इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों दिखाई दें: गवर्नर

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि पत्रकारिता के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं और बाद में उसका सदुपयोग भी करते हैं। 

Shivakant Shukla
Published on: 4 Feb 2019 4:58 PM GMT
सदन की रिपोर्टिंग प्रदेश का दर्पण, इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों दिखाई दें: गवर्नर
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लखनऊ: गवर्नर राम नाईक ने कहा कि सदन की रिपोर्टिंग प्रदेश का दर्पण है। जो भी सदन में हो रहा है, मीडिया उसे जनता तक ले जाने का कार्य करती है।

उन्होंने कहा कि इस दर्पण में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दिखाई दें। खबर में सच्चाई होनी चाहिए। सत्य का वृत्त और टिप्पणी दो अलग-अलग बात है। सदन की सकारात्मक खबर अच्छी तरह, पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत की जाये। इससे रिपोर्टिंग की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और सदन के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। राज्यपाल राम नाईक, विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा विधान भवन स्थित तिलक हाॅल में आयोजित ‘संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी’ के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि आपके शब्द दस्तावेज बनते हैं। भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है। देश में संसद से लेकर ग्राम पंचायत तक के प्रतिनिधि हैं। जनतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों महत्वपूर्ण घटक हैं। सत्ता घोषणा पत्र के अनुसार कार्य करें और विपक्ष अपने सुझाव से कमियों को दूर करने में भूमिका निभाए। सरकार को अपना काम करने का अवसर मिले और विपक्ष को अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुये अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए। मीडिया सकारात्मक भूमिका निभाते हुये पाठकों तक बात पहुंचाये।

राज्यपाल ने कहा कि ‘कल से उत्तर प्रदेश का सदन प्रारम्भ हो रहा है जिसमें राज्यपाल की हैसियत से वे दोनों सदनों के समवेत आहूत सत्र को सम्बोधित करेंगे। सदन में अभिभाषण पढ़ना मेरी, विधान सभा अध्यक्ष, विधायकों और पत्रकारों की परीक्षा है। मुझे सदन का अनुभव है क्योंकि मैं तीन बार महाराष्ट्र विधान सभा और पांच बार लोक सभा का सदस्य रहा हूँ। मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को प्रशिक्षण देने का भी कार्य किया है।’ जनता की समस्याओं का समाधान हो तो ऐसे मुद्दे को लेकर खबर बनाई जानी चाहिए। प्रयास करें कि सदन की सकारात्मक खबर को ‘बेस्ट आइटम आफ द डे’ के रूप में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिये गरिमा के विरूद्ध आचरण करते हैं।

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नाईक ने कहा कि सकारात्मक कार्य होता है तो मीडिया भी उसका समर्थन करके सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करती है। विपक्ष में रहते हुये उन्होंने सदन में 9.12.1991 को संसद में राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत के गायन पर चर्चा की जिसके पश्चात् आजादी के 45 वर्ष बाद 24 नवम्बर 1992 को संसद में ‘जन-मन-गण’ और 23 दिसम्बर 1992 को ‘वंदे मातरम’ गायन की शुरूआत हुई। इसी प्रकार 23 दिसम्बर 1993 को ‘सांसद निधि’, 28 जुलाई 1994 को मुंबई को उसका असली नाम देना तथा 29 दिसम्बर 1992 को स्तनपान प्रोत्साहन के लिये निजी विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उनके प्रयास से कार्य हुआ। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को मीडिया ने सराहा जिससे उनकी एक अलग पहचान बनी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस बार का कुंभ का आयोजन दुनिया में यूपी की छवि को बदल देगा। पर्यटन के क्षेत्र में जहां यूपी देश में नंबर एक पर पहुंचेगा, वहीं रोजगार के अवसरों में भी भारी वृद्धि होगी। संगोष्ठी में सपा के विधानमंडल दल के कार्यवाहक नेता इकबाल महमूद और बसपा के विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा भी मौजूद थे। उन्हें सीएम के मंच पर बैठने की जगह दी गई। पर जैसे ही योगी आदित्यनाथ ने कुंभ—2019 की तुलना अखिलेश सरकार के कार्यकाल में हुए कुंभ से करनी शुरू की। दोनों नेता मंच से उठ कर चले गए।

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विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने राज्यपाल का स्वागत करते हुये कहा कि राज्यपाल का सदन में रहने का लम्बा अनुभव है। यह पहला अवसर है जब सदन और पत्रकारिता के लोग एक साथ बैठे हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि पत्रकारिता के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं और बाद में उसका सदुपयोग भी करते हैं।

Shivakant Shukla

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