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अब मिर्जापुर का नाम बदलने की मुहिम

raghvendra
Published on: 16 Nov 2018 9:51 AM GMT
अब मिर्जापुर का नाम बदलने की मुहिम
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राजेन्द्र तिवारी

मिर्जापुर: इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद का अयोध्या किए जाने से मिर्जापुर के लोग उत्साहित हैं। अब मिर्जापुर का नाम बदलकर विन्ध्य धाम होने की आशा जगी है। स्थानीय लोगों ने मिर्जापुर का नाम बदलने की मांग शुरू कर दी है। नगर क्षेत्र के विधायक रत्नाकर मिश्र ने जिले का नाम बदलकर विन्ध्य धाम करने की मुहिम तेज कर दी है। वेे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस सम्बन्ध में कई बार पत्राचार कर चुके हैं।

यह अनायास नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मिर्जापुर को मंडल मुख्यालय का दर्जा दिया था। क्षेत्र की महत्ता और जनता की मांग को देखते हुए 1998 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने मंडल मुख्यालय मिर्जापुर का नाम बदलकर विन्ध्याचल मंडल किया था। असल में मिर्जापुर जिले की लिखावट को लेकर ही दशकों से विवाद चल रहा है। इसे विडम्बना कहें या सरकारीकरण कि जिले का नाम दो तरह से लिखा जाता है। सरकारी स्तर पर मिर्जापुर जबकि स्थानीय लोग मीरजापुर लिखते है। जिले के नाम को नवाब मीरजाफर से जोडक़र देखा जाता है जो गुलामी का प्रतीक माना जाता है।

हालांकि मिर्जापुर का नाम नवाब मीरजाफर से जुड़ा है, इसका कोई पुष्ट दस्तावेजी प्रमाण नहीं है। जिले के बुद्धिजीवियों का मानना है कि मीरजापुर सही नाम है। वे शब्द की व्याख्या करते हैं मीर का अर्थ है समुद्र, जा का अर्थ है उत्पन्न होना। दोनों मिलाकर अर्थ होता है- समुद्र से उत्पन्न होने वाली लक्ष्मी अर्थात मिर्जापुर का शाब्दिक अर्थ लक्ष्मीपुर है। स्थानीय नागरिकों का तर्क है कि विन्ध्य क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी मा विन्ध्यवासिनी का यह पीठ महालक्ष्मी स्वरूप है। देवी यहां महालक्ष्मी के रूप में विद्यमान हैं। लिहाजा जिले का नाम विन्ध्य धाम किया जाना चाहिए।

दशकों पुरानी है मांग

मिर्जापुर जिले का नाम बदलने की मांग दशकों पुरानी है। जनता की विशेष मांग पर कल्याण सिंह ने मिर्जापुर मंडल का नाम बदलकर विन्ध्याचल मंडल किया था। तब भी जिले का बदलने की मांग रखी गयी थी जिसे कल्याण सिंह ने सिद्घान्तत: स्वीकार भी कर लिया था मगर बाद में वे मुख्यमंत्री पद से हट गए और यह मांग ठंडे बस्ते में चली गयी। यहां नाम बदलने की मांग रत्नाकर मिश्र के भाजपा विधायक चुने जाने के बाद से ही जोर पकडऩे लगी है। श्री मिश्र ने शपथग्रहण के बाद से ही अपने लेटर पैड, बोर्ड आदि में अपने पते में जिला (विन्ध्य धाम), मीरजापुर लिखना शुरू कर दिया है।

अब प्रयागराग और अयोध्या नामकरण के बाद इस मांग में अचानक तेजी आ गयी है। स्थानीय पंडा पुरोहित, महंत, साधु, विहिप आदि के नेता सक्रिय हो गए हैं। विहिप के रामचन्द्र शुक्ल और उदयभान तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के यहां आने पर उनसे यह मांग की जाएगी। देवी के मुख्य श्रृंगारिया शिवजी मिश्र ने विन्ध्य धाम नाम रखने की मांग मुख्यमंत्री से की है। बूढ़ेनाथ के महंत गिरि महाराज भी नाम बदलने के पक्ष में है।

प्राचीन ग्रंथों में विन्ध्य क्षेत्र का उल्लेख

मिर्जापुर जिले के नामकरण के सम्बन्ध में कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है। सन 1830 से पहले मिर्जापुर बनारस में शामिल था। 1830 में बनारस राज्य से अलग राजस्व इकाई के रूप में होने वाले मिर्जापुर को 1961 में जनपद का स्वरूप दिया गया। विद्वानों का मानना है कि प्राकृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिकता का त्रिकोण होने के नाते इस कस्बे का नाम मीरजापुर ही रखा गया होगा जो मुगल काल में उर्दू तर्जुमा के चलते बदलकर मिर्जापुर हो गया होगा। अब इस ऐतिहासिक स्थल को पूरा सम्मान मिलना चाहिए।

मिर्जापुर जिले के इतिहास के जानकार प्रसिद्घ साहित्यकार बृजदेव पाण्डेय कहते हैं कि मीरजापुर का नाम विन्ध्य धाम या विन्ध्याचल सर्वथा उपयुक्त होगा। श्री पाण्डेय वेद पुराण सहित कई प्राचीन धार्मिक ग्रन्थों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि इसमें इस स्थल का नाम विन्ध्य क्षेत्र या विन्ध्याचल के रूप में उल्लेख है। वे कहते हैं कि विन्ध्याचल नाम करने पर न तो इसका हिन्दूकरण होगा और न ही साम्प्रदायिक राजनीति बल्कि क्षेत्र को ऐतिहासिकता मिलेगी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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