Sunil Ojha Funeral: पंचतत्व में विलीन हुए बिहार प्रांत के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा, कई मंत्री-विधायक दी विदाई

Sunil Ojha Funeral: सुनील ओझा, पीएम नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी थे। वो मूलतः गुजरात के रहने वाले थे। सुनील ओझा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत गुजरात के भावनगर से की थी।

Brijendra Dubey
Published on: 30 Nov 2023 1:36 PM GMT
Sunil Ojha Funeral
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Sunil Ojha Funeral (Social Media)

Mirzapur News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रांत के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा (Sunil Bhai Ojha) गुरुवार (30 नवंबर) को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार गड़ौली धाम आश्रम के गंगा घाट पर किया गया। बड़े बेटे विरल और छोटे बेटे रूत्वीज ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान बीजेपी के देश और प्रदेश स्तर के कई पदाधिकारी, मंत्री व विधायक पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।

मिर्ज़ापुर कछवां क्षेत्र के गड़ौली धाम आश्रम के संस्थापक और यूपी के पूर्व सह प्रभारी और वर्तमान में बिहार राज्य के रहे सह प्रभारी सुनील भाई ओझा आज पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार गड़ौली धाम के गंगा घाट पर किया गया। सुनील भाई ओझा के बड़े बेटे विरल और छोटे बेटे रूत्वीज ने मुखाग्नि दी। इस दौरान उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य सहित भाजपा के कई देश प्रदेश के पदाधिकारी, मंत्री व विधायक मौजूद रहे।

अनुप्रिया पटेल- सुनील भाई के निधन से अपूर्णीय क्षति

अंतिम दर्शन के लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel), भाजपा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary), बिहार प्रदेश अध्यक्ष भाजपा सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) समेत कई विधायक सांसदों ने सुनील ओझा को पुष्प गुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। साथ ही, उनके परिजनों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उनके बेटे विरल और रूत्वीज ने चिता को आग लगाई। मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि, 'अपना दल (एस) की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने कई सालों से वाराणसी मिर्जापुर के क्षेत्र में काम किया। उनके निधन से अपूर्णीय क्षति पहुंची है।'

यूपी में लंबे वक़्त काम किया, बिहार हुआ था ट्रांसफर

आपको बता दें, बीजेपी वरिष्ठ नेता सुनील ओझा (Senior BJP leader Sunil Ojha) का 29 नवंबर की सुबह 4:30 बजे गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में हार्ट अटैक से निधन हो गया था। कुछ महीने पहले तक उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी रहे सुनील ओझा को बिहार ट्रांसफर हुआ था। उनके निधन की सूचना से बीजेपी कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई।

कौन थे सुनील ओझा?

सुनील ओझा, पीएम नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी थे। वो मूलतः गुजरात के रहने वाले थे। सुनील ओझा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत गुजरात के भावनगर से की थी। साल 1998 और 2002 में भावनगर (दक्षिण) निर्वाचन क्षेत्र से गुजरात विधानसभा के लिए विधायक रहे थे। वर्ष 2007 में भाजपा ने टिकट काट दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। पार्टी का विरोध करते हुए 2007 के चुनावों से पहले पार्टी छोड़ दी थी। फिर 2011 में भाजपा के करीब आ गए। गुजरात का प्रवक्ता बना दिया गया था। जब 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा से चुनाव लड़ने का फैसला लिया तो सुनील ओझा को जिम्मेदारी संभालने के लिए भेजा गया। वर्ष 2014 चुनाव से पहले अमित शाह को यूपी भाजपा का प्रभारी बनाया गया तो सुनील ओझा को सह प्रभारी बनाया गया था। वाराणसी चुनाव की जिम्मेदारी के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें चुना था। तब से वाराणसी क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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