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Mirzapur News: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विद्यासागर शुक्ल का निधन, जिले में शोक की लहर
Mirzapur News: देश को स्वतंत्रता दिलाने में बढ़कर चढ़कर हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी विद्यासागर शुक्ला का निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने मंडलीय अस्पताल में अंतिम सांस ली।
Mirzapur News: देश को स्वतंत्रता दिलाने में बढ़कर चढ़कर हिस्सा लेने वाले 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी विद्यासागर शुक्ला का निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने मंडलीय अस्पताल में अंतिम सांस ली। विद्यासागर शुक्ला के निधन से मिर्जापुर के गौरवशाली इतिहास के एक युग का अंत हो गया है। शुक्ला के निधन से जिले में शोक की लहर दौड़ गयी है।
16 साल की उम्र में लड़ी आजादी की लड़ाई
विद्या सागर शुक्ल ने 16 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में पहली बार शामिल हुए थे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में छानबे ब्लॉक के पाली गांव के रहने वाले विद्या सागर शुक्ल का जन्म वर्ष 1923 में हुआ था। स्कूली शिक्षा के दौरान ही वह अपने गुरु ब्रह्मदत्त दीक्षित की अगुआई में आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे। उन्हें 1939 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पर्चा बांटते और वंदे मातरम का गीत गाते हुए राबर्टसगंज (सोनभद्र) से गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में डाल दिया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजी हुकूमत के हुए खिलाफ
विद्यासागर शुक्ला ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाने में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने जीत नारायण पाण्डेय, पुष्कर नाथ पाण्डेय और नरेश चंद श्रीवास्तव के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए पहाड़ रेलवे स्टेशन को तहस-नहस करने में अहम भूमिका अदा किए थे। पहाड़ा रेलवे स्टेशन को जलाने में नरेशचंद श्रीवास्तव जल कर शहीद हो गए थे। जीत नारायण पाण्डेय और पुष्कर नाथ पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया गया था और विद्यासागर शुक्ल घटना के बाद फरार हो गए थे। आजादी की 75वी वर्षगांठ पर भारत सरकार की तरफ से 5 मार्च 2021 को गठित की गई 259 सदस्यों की केंद्रीय समिति में भी सदस्य बनाए गए थे।
यह समिति स्वतंत्रता की याद में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को नीतिगत और मार्गदर्शन उपलब्ध करवाने का काम कर रही है। 100 साल से अधिक उम्र होने के कारण वह अस्वस्थ रहते हैं और याद्दाश्त भी कमजोर हो गई थी । विद्या सागर शुक्ला का कहना था कि पहले लोगों के अंदर देशप्रेम और एकजुटता की भावना थी लेकिन ऐसी भावना देखने को अब नहीं मिलती है। लोग स्वार्थी हो गए हैं और नेता भ्रष्ट।
विद्या सागर बताते हैं कि पहले जाति धर्म की बातें कम ही होती थीं लेकिन अब जाति-धर्म चरम पर है, लोग कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। अब किसी पर विश्वास ही नहीं बचा है। वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के असामयिक निधन से जिले में अशोक की लहर दौड़ गई है। विद्यासागर शुक्ला के बड़े पुत्र पेशे से एडवोकेट का कहना है कि जुझारू और कर्मठ थे। हम सभी के लिए प्रेरणादायक थे।