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Mirzapur News: गंगा जमुनी तहजीब का उदाहारण बना कंतित उर्स, हिन्दू परिवार चढ़ाता है दरगाह में पहला चादर
Mirzapur News Today: मिर्जापुर के कंतित में ख्वाजा इस्माईल चिश्ती की दरगाह है । इस दरगाह पर लगने वाले सालाना उर्स में दूर दूर से जायरीन मन्नते मांगने आते हैं।
Mirzapur News Today: मिर्जापुर, सौहार्द का प्रतीक कंतित का मेले में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से जायरीन पहुँच रहे है। देश का यह पहला दरगाह है जहा सालाना उर्स की शुरुआत हिन्दू परिवार के चादर चढाने के साथ होता है । ख्वाजा इस्माईल चिश्ती के कंतित स्थित दरगाह पर हर वर्ष लगने वाला मेला गंगा जमुनी तहजीब का उदाहारण बना है. अजमेर शरीफ के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के भांजे ख्वाजा इस्माईल चिश्ती के दरगाह पर मत्था टेकने वालों की सभी मुरादें पूरी होती है । आस पास के जनपदों से ही नही पडोसी प्रान्तों से बड़ी संख्या में जायरीन व सूफी संतों की भीड़ चार दिनों तक चलने वाले उर्स में पहुँचती है।
हिन्दू मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक बना दरगाह
मिर्जापुर के कंतित में ख्वाजा इस्माईल चिश्ती की दरगाह है । इस दरगाह पर लगने वाले सालाना उर्स में दूर दूर से जायरीन मन्नते मांगने आते हैं। हिन्दू मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक बने दरगाह पर पहला चादर नगर के कसरहट्टी निवासी हिन्दू परिवार चढाता है । चादर चढाने के साथ ही मेला शुरू हो जाता है। मन की मुराद पाने वालों की लम्बी लाइन लगी रहती है | कोई खाली हाँथ नहीं जाता है - दरगाह की देखभाल करने वाले मुजावर का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द प्रतीक बने इस उर्स में सभी धर्मों के जायरीनों का ताँता लगा रहता है। जो लोग अजमेर शरीफ के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर नहीं जा पाते उनके भांजे ख्वाज इस्माईल चिश्ती के दरगाह पर मत्था टेककर सभी मुरादें पूरी करते है।
दरगाह गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है
आस्था का केंद्र मां विंध्यवासिनी मन्दिर के चंद कदम की दूरी पर स्थित कंतित शरीफ नाम से प्रसिद्ध हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह देश भर में विख्यात है. हिंदुओं की जितनी आस्था मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ के लिए आते हैं, उतनी ही मान्यता कंतित शरीफ की दरगाह को भी प्राप्त है. तीन दिवसीय हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह पर लगने वाला प्रसिद्ध उर्स मेला सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश करता 700 वर्षों से चला रहा है. इस उर्स मेले में देश भर से मुस्लिम के साथ अन्य धर्मों के लोग भी जियारत करने आते हैं, मुरादे मांगते हैं और उनकी मुरादें पूरी होने पर चादर चढ़ाकर सिरानी बांटते हैं.