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Majhawa By Election: मझवां में आज तक नहीं खुला सपा का खाता, इस बार निगाहें बिंद व मुस्लिम मतदाताओं पर
Majhawa By Election:इस सीट पर 13 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है मगर मुख्य मुकाबला भाजपा, सपा और बसपा के बीच माना जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और बसपा तीनों दल अपनी ताकत दिखा चुके हैं।
Majhawa By Election: मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। इस सीट पर 13 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है मगर मुख्य मुकाबला भाजपा, सपा और बसपा के बीच माना जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और बसपा तीनों दल अपनी ताकत दिखा चुके हैं मगर समाजवादी पार्टी का इस सीट पर आज तक खाता नहीं खुल सका है।
वैसे लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद समाजवादी पार्टी काफी उत्साहित नजर आ रही है। कांग्रेस की ओर से इस सीट की डिमांड की गई थी मगर सपा ने डॉ.ज्योति बिन्द को उतार कर सीट को जीतने की रणनीति तैयार की है। पार्टी ने मुस्लिम और बिन्द बिरादरी के मतदाताओं के भरोसे इस बार मझवां में अपना खाता खोलने के लिए ताकत लगा रखी है। वैसे बसपा ने ब्राह्मण बहुल इस इलाके में ब्राह्मण प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
सपा को आज तक नहीं मिली है जीत
मझवां विधानसभा सीट 1952 से 1969 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। 1974 में यह सीट सामान्य हुई। इस सीट पर चुनाव जीतने वाले दिग्गज नेताओं में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी व रूद्र प्रसाद और बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष से भागवत पाल शामिल हैं। लोकपति त्रिपाठी को कांग्रेस का दिग्गज नेता माना जाता था और वे प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री रहे।
यदि सीट के 1952 से अभी तक के इतिहास को देखा जाए तो कांग्रेस ने सबसे अधिक आठ बार सीट पर जीत हासिल की है। यही कारण था कि कांग्रेस की ओर से इस सीट पर दावेदारी की जा रही थी मगर सपा की ओर से उम्मीदवार उतारे जाने के कारण कांग्रेस इस बार मुकाबले से ही बाहर है। बहुजन समाज पार्टी ने पांच बार यह सीट जीती है जबकि भाजपा को दो बार इस सीट पर कामयाबी मिल चुकी है। समाजवादी पार्टी आज तक इस सीट पर अपना खाता नहीं खोल सकी है।
भाजपा,सपा और बसपा में त्रिकोणीय मुकाबला
विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने शुचिस्मिता मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि समाजवादी पार्टी की ओर से डॉ.ज्योति बिन्द को टिकट दिया गया है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने ब्राह्मण बहुल मझवां विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण प्रत्याशी दीपक तिवारी उर्फ दीपू तिवारी को चुनाव मैदान में उतरकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
सपा प्रत्याशी डॉ. ज्योति बिन्द के पिता रमेश चंद्र बिंद की इस इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे बसपा के टिकट पर यहां से लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। वे भाजपा से भदोही के सांसद भी रहे हैं।
दूसरी ओर इस बार कांग्रेस का समर्थन होने के कारण सपा उत्साहित नजर आ रही है। पार्टी ने मुस्लिम और बिन्द बिरादरी के मतदाताओं पर निगाहें गड़ा रखी हैं। इसके साथ ही कांग्रेस का समर्थन होने के कारण पार्टी को ब्राह्मण मतदाताओं से भी काफी आशा है।
एनडीए की हैट्रिक लगाने की कोशिश
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर शुचिस्मिता मौर्य ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉक्टर रमेश चंद्र बिन्द को हराया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर निषाद पार्टी के विनोद बिन्द विजयी हुए थे। निषाद पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन है। उन्होंने भी डॉक्टर रमेश चंद्र बिंद को हराकर कामयाबी हासिल की थी।
ऐसे में एनडीए ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनाव क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और जल्द ही फिर यहां पहुंचने वाले हैं।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तीन बार इस चुनाव क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं।
अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल भी क्षेत्र में सक्रिय हैं और मतदाताओं से संपर्क स्थापित करके भाजपा की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
बसपा का ब्राह्मण कार्ड बना मुसीबत
सपा और भाजपा के अलावा बसपा के प्रत्याशी दीपक तिवारी भी चुनाव की घोषणा से पहले ही इलाके में सक्रिय रहे हैं। ब्राह्मण और दलित मतदाताओं के भरोसे वे भी उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। मझवां विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, दलित और बिंद बिरादरी का अच्छा खासा वोट है और यह वोट बैंक चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। बसपा प्रत्याशी दीपक तिवारी इस इलाके में पिछले दो महीने से गांव-गांव का दौरा करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में बसपा का ब्राह्मण कार्ड सपा और भाजपा की मुश्किलें बढ़ने वाला साबित हो रहा है। बसपा इस चुनाव क्षेत्र में पांच बार जीत हासिल कर चुकी है और दीपक तिवारी विकास के मुद्दे पर मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस कारण मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।