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उत्तर प्रदेश: गुम हो गए 340 पाकिस्तानी, खुफिया तंत्र के लिए चुनौती है इनकी तलाश
लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी एलआईयू के रेकॉर्ड और इंटेलिजेंस मुख्यालय के रेकॉर्ड में काफी भिन्नता है। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के रेकॉर्ड में 1955 से 1993 तक लखनऊ से लापता पाकिस्तानियों की संख्या 31 दर्ज है वहीं इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर में लापता पाकिस्तानियों की संख्या 53 है।
शारिब जाफरी
लखनऊ: आपने सामान, गाड़ी, पैसा आदि के खो जाने के बारे में तो खूब सुना होगा मगर भारत आने वाले 340 पाकिस्तानियों का गायब हो जाना वाकई हैरत में डालने वाला है। जी हां, ये सभी 340 लोग पाकिस्तान से वीजा-पासपोर्ट पर भारत आए और यूपी में गुम हो गये।
मौजूदा समय में देश सुरक्षा संबंधी तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है और ऐसे समय में इन लोगों का गुम हो जाना बेहद खतरनाक व चिंता में डालने वाला है।
संवेदनशील मुद्दा
लखनऊ, मेरठ, आगरा, बरेली, मुरादाबाद और कानपुर जैसे संवेदनशील जिलों से लापता होने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके साथ अगर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोगों और बांग्लादेशियों की संख्या जोड़ दी जाए तो यह आंकड़ा हजारों में पहुंच जाएगा। गौरतलब है कि लापता पाकिस्तानी नागरिकों में बहुत से लोगों की उम्र काफी ज्यादा है।
आश्चर्यजनक तो यह है कि बेहद संवेदनशील इस मामले पर भी खुफियातंत्र के काम करने का तरीका चलताऊ अंदाज वाला ही है। आलम तो यह है कि इंटेलिजेंस मुख्यालय में लापता पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की संख्या में भी काफी अंतर है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देश की सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील इस मुद्दे पर भी सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
प्रदेश की सीमा नेपाल से सटी हुई है। ऐसे में अकेले राजधानी से ही 53 पाकिस्तानी नागरिक लापता हैं। यह संख्या सिर्फ वर्ष 1955 से 1993 तक लापता होने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की है।
खास बात यह है कि लापता पाकिस्तानी नागरिकों में अकेला तुरोज खान पुत्र अल्ला बख्श उर्फ बाज खान निवासी सी-24 फफई मोहल्ला मलिक पारा, पेशावर ही ऐसा शख्स है जिसका जन्म पाकिस्तान में हुआ था और वो विक्टोरिया स्ट्रीट कोतवाली चौक में रहने वाले मुफ्ती सईद अली के यहां से 1993 से लापता है। उसका जन्म भारत-पाक विभाजन से पहले 1941 में हुआ था।
तुरोज खान 1989 में पासपोर्ट संख्या ए-918 494/11-03-85 पर वीजा संख्या पीएम-1191 पर 20 फरवरी 1989 को लखनऊ आया था।
1955 से 1964 के बीच सर्वाधिक पाकिस्तानी लापता
प्रदेश से सबसे ज्यादा वे पाकिस्तानी नागरिक लापता हैं जो 1955 से 1964 के बीच उत्तर प्रदेश आए थे। इस दौरान जो पाकिस्तानी नागरिक उत्तर प्रदेश से लापता हो गए उनमें से ज्यादातर का जन्म उत्तर प्रदेश में ही हुआ था मगर बाद में पाकिस्तान चले गए थे और वहीं की नागरिकता ले ली थी।
पठानकोट और उड़ी में सेना पर हुए हमले के बाद देश की सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी जिसमें बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे। इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लापता पाकिस्तानी नागरिकों की तलाश के प्रयास शुरू हुए थे जो वक्त के साथ ठंडे बस्ते में चले गए।
एलआईयू और इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर के आंकड़ों में अंतर
यूपी पुलिस की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी एलआईयू के रेकॉर्ड और इंटेलिजेंस मुख्यालय के रेकॉर्ड में काफी भिन्नता है। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के रेकॉर्ड में 1955 से 1993 तक लखनऊ से लापता पाकिस्तानियों की संख्या 31 दर्ज है वहीं इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर में लापता पाकिस्तानियों की संख्या 53 है।
कुछ ऐसा ही हाल संवेदनशील जिलों में से एक मेरठ का भी है। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट मेरठ के रेकॉर्ड में जहां 9 पाकिस्तानी नागरिक लापता दर्ज हैं वहीं इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर के रेकार्ड में यह संख्या 20 है।
यह हालात तब हैं जब देश की सीमा पर पाकिस्तान लगातार अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लेकिन यूपी पुलिस का खुफिया तंत्र कितना सतर्क है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लापता पाकिस्तानियों की संख्या में दोनों एजेंसियों में भिन्नता साफ नजर आती है।
आईएसआईएस से है यूपी को बड़ा खतरा
यूपी में आईएसआईएस पांव पसारने की कोशिश में है। लखनऊ में सैफुल्लाह इनकाउंटर के बाद यूपी एटीएस के हाथ जो सबूत लगे हैं, वे बेहद खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करते हैं।
आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रभावित सैफुल्लाह व उसके साथियों ने यूपी की राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के दूसरे हिस्सों में तबाही मचाने की साजिश रची थी। सैफुल्लाह व उसके साथियों ने लखनऊ के आसिफी इमामबाड़े यानी भूलभुलैया, छोटे इमामबाड़े और देवां शरीफ की रेकी भी की हुई थी। इस बड़ी साजिश को एटीएस ने वक्त रहते नाकाम कर दिया।
तलाश अभियान का नतीजा शून्य
यूपी से लापता पाकिस्तानी नागरिकों की तलाश पिछले साल पाकिस्तान के खिलाफ हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जोरशोर से शुरू हुई थी। इनकी तलाश के लिए खुफिया एजेंसियों को लगाया गया था जिसका नतीजा फिलहाल सिफर है।
खुफिया तंत्र से जुड़े अफसर कहते हैं कि ज्यादातर लापता पाकिस्तानी नागरिकों की उम्र काफी ज्यादा है। इनमें से कई की मौत हो जाने की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। पुलिस महकमे के साथ खुफिया तंत्र के लिए सबसे ज्यादा चिंता का सबब यह है कि लापता पाकिस्तानी नागरिक किसी आतंकी संगठन के स्लीपिंग मॉड्यूल के तौर पर भी सक्रिय हो सकते हैं। ऐसे में उनकी पहचान जरूरी है।
फर्रुखाबाद से लापता युवक का पता नहीं
यूपी पुलिस और खुफिया तंत्र की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फर्रुखाबाद के कायमगंज कस्बे से शादाब अख्तर अचानक पुलिस और एलआईयू की निगाह से ओझल हो गया। दरअसल कायमगंज के रहने वाले जावेद अख्तर की शादी पाकिस्तान में रहने वाली रागिया बेगम से हुई थी।
2012 में रागिया बेगम अपनी बेटी सोबिया और बेटे शादाब अख्तर के साथ कायमगंज पहुंची। 17 अक्टूबर 2015 को रागिया बेगम के पति जावेद अख्तर की मौत हो गई जिसके बाद रागिया बेगम अपनी बेटी सोबिया के साथ वापस पाकिस्तान चली गईं, लेकिन शादाब अख्तर वापस नहीं गया।
पासपोर्ट और वीजा की तारीख खत्म होने लगी तो लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने अप्रवासी नियमों के उलंघन के तहत शादाब को नोटिस जारी किया जिसके बाद 28 अप्रैल 2016 से शादाब लापता है और एलआईयू की टीम सिर्फ अपनी खानापूर्ति कर रही है। वैसे फर्रुखाबाद से शादाब समेत पांच पाकिस्तानी नागरिक लापता है।
लखनऊ से गायब हैं ये पाकिस्तानी नागरिक
लखनऊ से जो 53 पाकिस्तानी नागरिक लापता हैं उनमें चौक से जुबैर अहमद, मो.युसूफ, जोहरा बेगम, अब्दुल सईद, रज्जब, नुसरत अली, शमशुल हुसैन, तुरोज खान, सलमा, मडिय़ांव से रफीउद्दीन सिद्दीकी, ठाकुरगंज से अहमद सईद, सआदतगंज से मुन्ना, सांवले नवाब, नगराम से असदुद्दीन, हजरतगंज से सैयद काफिस हुसैन, कैंट से फाजिला बेगम, लाटूश रोड अमीनाबाद से तकीउद्दीन, अमीनाबाद से दिलावर हुसैन, मो मौलियास, साबिरा, मो.अली, मो.हनीफ खान, कैसरबाग से हफीजुर्रहमान, जमील अहमद, महमूद अली, सैयद वजीर हुसैन, वजीरगंज से कल्लू खान, इंदू बाजार से फरीदा, नुसरतगंज से इस्तफा अली और लालकुआं भेड़ीमंडी से मोहम्मद यूसुफ शामिल हैं।
एडीजी कानून व्यवस्था आदित्य मिश्रा ने अभी हाल में ही पदभार ग्रहण किया है। लापता पाकिस्तानी नागरिकों पर पूछे गए सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि पूरा मामला अभी उनकी जानकारी में नहीं है। इस मामले पर जानकारी लेने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे।