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मिशन 2017: UP में कैबिनेट विस्तार की अटकलें तेज, राज्यसभा पर माथापच्ची
लखनऊ: यूपी में जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहा है, अखिलेश कैबिनेट के विस्तार की अटकलें भी तेज होती जा रही हैं। ऐसे में, जबकि मिशन 2017 करीब है और सीएम की यूथ ब्रिगेड के कई नेता विधानपरिषद पहुंच गए हैं, कैबिनेट विस्तार की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।
मजबूत है इनकी दावेदारी
-कैबिनेट विस्तार में जिन लोगों को शामिल किया जा सकता है, उनमें सुनील यादव और आनंद भदौरिया की दावेदारी मजबूत है।
-बता दें, कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान यूथ ब्रिगेड के इन दोनों नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
-कहा जाता है, कि सीएम की नाराजगी के बाद उन्हें फिर पार्टी में वापस लिया गया।
-दोनों नेता एमएलसी चुनाव जीत कर विधानपरिषद पहुंच गए हैं।
-इसके अलावा बलराम यादव के विधायक बेटे संग्राम सिंह यादव का नाम भी चर्चा में है।
सिर पर चुनाव, तो कैबिनेट विस्तार ?
-विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं।
-ऐसे में, कैबिनेट विस्तार की अटकलों पर सवाल उठ रहे हैं।
-सवाल है, कि चुनाव से कुछ महीने पहले कैबिनेट विस्तार से सरकार जनता को क्या संदेश देगी?
चुनाव के समय पर असमंजस
-आयोग के अधिकारियों के मुताबिक चुनाव जनवरी फरवरी में कराए जा सकते हैं।
-चूंकि अखिलेश सरकार ने 15 मार्च 2012 को शपथ ली थी, इसलिए सरकार का कार्यकाल 14 मार्च 2016 तक ही है।
-लेकिन सरकार के पांच साल का टर्म विधानसभा की पहली बैठक से माना जाता है, जो 28 मई 2012 को हुई थी।
-कहा जा रहा है, कि सपा सरकार अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती है, इसलिए चुनाव अप्रैल मई में भी कराए जा सकते हैं।
राज्यसभा के लिए माथापच्ची
-राज्यसभा चुनाव करीब हैं, और चर्चा है कि प्रदेश सरकार के किसी सीनियर ब्राह्मण मिनिस्टर को सेंटर की पॉलिटिक्स में भेजा जा सकता है।
-लेकिन वरिष्ठ नेता बृजभूषण तिवारी के पुत्र आलोक तिवारी पहले से ही राज्यसभा सदस्य हैं।
-ऐसेमें, अब किसी और ब्राह्मण चेहरे को राज्यसभा भेजने पर संशय भी है।
ओबीसी और अल्पसंख्यकों को तरजीह
-जानकारों का मानना है, कि राज्यसभा की अन्य सीटों में से एक एक पर यादव, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग से कैंडिडेट उतारे जा सकते हैं।
-इस जातीय समीकरण से सपा के बेस वोट बैंक को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
राज्यसभा के लिए चर्चा में नाम (फाइल फोटो)
राज्यसभा के लिए इन नामों की भी है चर्चा
—सपा से जिन लोगों को राज्यसभा में भेजे जाने की चर्चा है, उनमें सरकार के वरिष्ठ मंत्री बलराम यादव, पूर्व सांसद जयाप्रदा, बिल्डर संजय सेठ, एक मीडिया समूह के चेयरमैन और पार्टी से फिलहाल निर्वासन झेल रहे अमर सिंह के नाम शामिल हैं।