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Mission 2024: ओबीसी और दलित वोट बैंक पर सपा की निगाहें, भाजपा को शिकस्त देने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा
Mission 2024: राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2024 की सियासी जंग में 50 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया गया है। इन सीटों पर पार्टी की ओर से मैनपुरी में अपनाए गए चुनाव प्रबंधन को लागू करने की भी तैयारी है।
Mission 2024: समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की कोलकाता में हाल में हुई दो दिवसीय बैठक के बाद पार्टी की मशीनरी को सक्रिय बनाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भले ही उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर भाजपा को हराने का दावा किया हो मगर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2024 की सियासी जंग में 50 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया गया है। इन सीटों पर पार्टी की ओर से मैनपुरी में अपनाए गए चुनाव प्रबंधन को लागू करने की भी तैयारी है।
समाजवादी पार्टी ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ओबीसी और दलित वोट बैंक पर निगाहें गड़ा दी हैं। इसके साथ ही पार्टी की कोशिश सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिए भी भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद अखिलेश यादव ने कोलकाता के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में मत्था टेक कर इसकी शुरुआत भी कर दी है। विभिन्न धर्मों की धार्मिक पुस्तकों पर टिप्पणियों से बचने का भी फैसला किया गया है। सियासी जानकारों के मुताबिक पार्टी ने 2024 में बड़ी कामयाबी हासिल करने के लिए पुख्ता रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी की है।
ओवैसी वोट बैंक साधने की तैयारी
उत्तर प्रदेश में 52 फ़ीसदी ओबीसी वोट बैंक होने के कारण पार्टी इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में जुट गई है। हाल के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिली कामयाबी में ओबीसी वोट बैंक ने बड़ी भूमिका निभाई थी। ओबीसी का बड़ा वोट बैंक भाजपा की ओर ट्रांसफर हो चुका है और इसी कारण सपा अब इस वोट बैंक में सेंध लगाकर भाजपा को शिकस्त देना चाहती है।
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समाजवादी पार्टी की ओर से जातिगत जनगणना की मांग पहले से ही की जा रही है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे को और धार देने की तैयारी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव लगातार इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। आने वाले दिनों में पार्टी के प्रमुख नेताओं की ओर से भी यह मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया जाएगा।
समाजवादी पार्टी को यादव वोट बैंक की मदद तो मिलती रही है मगर नॉन यादव वोट बैंक में समाजवादी पार्टी की अभी मजबूत पैठ नहीं बन सकी है। इसी कारण अब ओबीसी वोट बैंक के जरिए भाजपा को पटखनी देने की तैयारी की जा रही है।
दलित वोट बैंक पर भी सपा की निगाहें
ओबीसी वोट बैंक के साथ ही दलित वोट बैंक पर भी सपा ने अब फोकस करने का फैसला किया है। कोलकाता की बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी के दो दलित नेताओं अवधेश प्रसाद और रामजीलाल सुमन को काफी महत्व दिया गया। समाजवादी पार्टी के ये दोनों नेता सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बगल में बैठे हुए नजर आए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के दौरान भी अवधेश प्रसाद सपा मुखिया अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के साथ नजर आए।
अखिलेश यादव ने कोलकाता की बैठक के दौरान जितनी भी फोटो शेयर की, उनमें अधिकांश में अवधेश प्रसाद उनके साथ नजर आ रहे हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक पार्टी की ओर से आने वाले दिनों में अवधेश प्रसाद और रामजीलाल सुमन के जरिए दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की जाएगी। अयोध्या के रहने वाले अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी से आते हैं जबकि आगरा से ताल्लुक रखने वाले रामजीलाल सुमन जाटव समाज से जुड़े हुए हैं। ऐसे में सपा की ओर से इन दोनों नेताओं के जरिए दलित वोट बैंक को साधने की तैयारी है।
सॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा लेने की तैयारी
उत्तर प्रदेश में भाजपा को पटखनी देने के लिए सपा की ओर से सॉफ्ट हिंदुत्व की मदद भी ली जाएगी। कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद प्रमुख मंदिरों में मत्था टेककर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव विश्व प्रसिद्ध कालीबाड़ी मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे। इसके साथ ही उन्होंने इस्कॉन मंदिर में जाकर भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन भी किया।
सपा मीडिया सेल की ओर से अखिलेश यादव की मंदिरों में दर्शन की फोटो जारी करके बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है। पार्टी ने धार्मिक पुस्तकों को लेकर विवादित टिप्पणियों से परहेज करने का भी फैसला किया है। पिछले दिनों रामचरितमानस को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियों को लेकर काफी विवाद पैदा हुआ था। ऐसे में पार्टी का यह फैसला भी काफी काबिलेगौर माना जा रहा है।
मैनपुरी का चुनाव प्रबंधन अपनाने की रणनीति
मिशन 2024 की तैयारियों के तहत पार्टी उन सीटों पर फोकस करेगी जिन पर पूर्व में समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हो चुकी है। ऐसी सीटों को फिर से जीतने का लक्ष्य तय किया गया है। पार्टी ऐसी सीटों पर अब नई रणनीति के साथ उतरेगी ताकि उन सीटों पर दोबारा कब्जा किया जा सके। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पिछले दिनों मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को बड़ी जीत हासिल हुई थी। मैनपुरी में मिली इस बड़ी जीत के पीछे पार्टी के कुशल चुनाव प्रबंधन को भी बड़ा कारण माना गया था।
समाजवादी पार्टी मैनपुरी के चुनाव प्रबंधन की इस रणनीति को अब प्रदेश के दूसरे लोकसभा क्षेत्रों में भी लागू करेगी। प्रदेश के 50 लोकसभा क्षेत्रों में इस रणनीति के जरिए पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए सभी जिलों और लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में टीमों का गठन किए जाने की तैयारी है। माना जा रहा है कि अप्रैल तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा।
छोटे दलों का साथ,बड़े दलों से परहेज
हाल के दिनों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भाजपा के साथ ही कांग्रेस पर भी हमलावर हैं। केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने की बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा आज उसी राह पर चल रही है जिस पर पहले कांग्रेस चला करती थी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बसपा के साथ किसी भी प्रकार का गठजोड़ न किए जाने की बात वे पहले भी कह चुके हैं।
सपा ने उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था मगर पार्टी को कामयाबी नहीं मिल सकी थी। उसके बाद से ही अखिलेश यादव छोटे दलों के साथ गठबंधन की बात पर जोर देते रहे हैं। 2024 की सियासी जंग के दौरान भी समाजवादी पार्टी छोटे दलों के साथ मिलकर ही चुनाव मैदान में उतरेगी। छोटे दलों के साथ हाथ मिलाकर ही सपा की ओर से अपना सियासी मिशन हासिल करने की कोशिश की जाएगी।