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हापुड़:अब यहां के विधायक ने सीएम को लिखा पत्र, नाम बदलने की मांग की

Anoop Ojha
Published on: 10 Nov 2018 12:19 PM GMT
हापुड़:अब यहां के विधायक ने सीएम को लिखा पत्र, नाम बदलने की मांग की
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हापुड़: इलाहाबाद और फैजाबाद के नाम बदलने के बाद अब यहां के विधायक ने नाम बदलने को लेकर सीएम को पत्र लिखा है।विधायक का कहना है कि गढ़मुक्तेश्वर का नाम बदलकर गणमुक्तेश्वर होना चहिए। यूपी के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा से बीजेपी विधायक कमल मलिक ने मांग की है कि हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर का नाम बदलकर गणमुक्तेश्वर किया जा सकता है। विधायक का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले में जनसभा को संबोधित करते समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के इस निर्णय की घोषणा कर सकते हैं।

बीजेपी विधायक कमल मलिक

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पुराना इतिहास है गंगा नगरी का

स्थानीय लोगों के अनुसार गंगा नगरी का इतिहास काफी पुराना है। ऐतिहासिक घटनाओं के अनुसार प्राचीनकाल में महर्षि दुर्वासा मंदराचल पर्वत की गुफा में तपस्या कर रहे थे। भगवान शंकर के गण घूमते हुए वहां पहुंच गए। गणों ने तपस्यारत महर्षि का कुछ उपहास कर दिया। उससे कुपित होकर दुर्वासा ने गणों को पिशाच होने का शाप दे दिया। कठोर शाप को सुनते ही शिवगण व्याकुल होकर महर्षि के चरणों पर गिर पड़े और प्रार्थना करने लगे। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर दुर्वासा ने शिवगणों से कहा कि वे हस्तिनापुर के निकट खांडव वन स्थित 'शिववल्लभ' क्षेत्र में जाकर तपस्या करेंगे तो भगवान आशुतोष की कृपा से पिशाच योनि से मुक्त हो जाएंगे।

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पिशाच बने शिवगणों ने शिववल्लभ क्षेत्र में आकर कार्तिक पूर्णिमा तक तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन उन्हें दर्शन दिए और पिशाच योनि से मुक्त कर दिया। तब से शिववल्लभ क्षेत्र का नाम 'गणमुक्तीश्वर' पड़ गया। बाद में 'गणमुक्तीश्वर' का अपभ्रंश 'गढ़मुक्तेश्वर' हो गया।

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मंदिर आज भी इस कथा का साक्षी

गणमुक्तेश्वर का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर आज भी इस कथा का साक्षी है। पांडवों ने महाभारत के युद्ध में मारे गए असंख्य वीरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान यहीं मुक्तीश्वरनाथ के मंदिर के परिसर में किया था। यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को पितरों की शांति के लिए दीपदान करने की परम्परा भी रही है। पांडवों ने भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए मंदिर के समीप गंगा में दीपदान किया था तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक यज्ञ किया था। तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगना प्रारंभ हुआ। कार्तिक पूर्णिमा पर अन्य नगरों में भी मेले लगते हैं, किन्तु गढ़मुक्तेश्वर का मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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