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सवालों के घेरे में मोदी का मगहर प्रेम

raghvendra
Published on: 13 July 2018 7:35 AM GMT
सवालों के घेरे में मोदी का मगहर प्रेम
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पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: काशी में शरीर त्यागने पर मोक्ष और मगहर में प्राण त्यागने पर नरक मिलने के मिथ को तोड़ते हुए संत कबीर ने पूरी दुनिया को एकता, सामाजिक समरसता का संदेश दिया था, लेकिन काशी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कबीर के जन्मस्थान को छोडक़र मगहर पहुंचे तो विवादों में फंस गए। आरोप लग रहा है कि मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही कबीर की जन्मस्थली लहरतारा है, विश्वप्रसिद्ध कबीर चौरा है मगर वहां मोदी एक बार भी नहीं गए। चुनावी साल में विपक्षियों की एकजुटता देख मोदी को जातिवाद के घुर विरोधी कबीर की याद आ रही है।

मगहर का भाजपा और पीएम मोदी को कितना सियासी नफा-नुकसान हुआ यह तो अगले वर्ष आमचुनाव में साफ हो पाएगा, लेकिन मठ से जुड़े महंत और विरोधियों ने पीएम के दौरे को लेकर जो सवाल खड़े किये हैं, उनका जवाब भाजपाइयों को नहीं सूझ रहा है। मगहर में पीएम नरेन्द्र मोदी के कबीर 620वें प्राकट्य महोत्सव में शिरकत करने को लेकर कबीरचौरा के महंत विवेक दास ने पहले ही सवाल खड़े किए थे। महंत का कहना था कि पीएम को कबीर की जयंती पर शिरकत करना ही था तो उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र काशी में आना चाहिए था, लेकिन कबीर के परिनिर्वाण स्थल पर पीएम का जाना सिर्फ राजनीति है। मगहर के आयोजन के सूत्रधार संत कबीर नगर के भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी और मगहर मठ में महंत विचार दास हैं। विवेक दास बिना लाग लपेट के आरोप लगाते हैं कि स्थानीय भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी और विचार दास ने कबीर आस्था के केंद्र को राजनीति का अखाड़ा बनाकर रख दिया है। सांसद ने अवैध रूप से मगहर कबीर मठ में अपना ऑफिस बनाया है। विचारदास और रामसेवक दास सांसद के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। मगहर के महंत विचार दास ने मठ की बेशकीमती जमीनें बेच डालीं।

कार्यक्रम में किया बदलाव

मोदी के रणनीतिकारों को जब पता चला कि मगहर के महंत विचारदास मठ की जमीन बेचने के आरोप में जेल जा चुके हैं तो उन्होंने कार्यक्रम में परिवर्तन किया। पहले के कार्यक्रम के मुताबिक संतकबीर की समाधि और मजार का दर्शन कराने के बाद विचारदास को पीएम मोदी के साथ मुख्य मंच को साझा करना था, लेकिन चंद घंटे पहले ही विचारदास का नाम मंच पर बैठने वाले लोगों की सूची से हटा दिया गया। इसी का नतीजा था कि जम्मू-कश्मीर से कबीरपंथियों को लेकर आने वाली स्पेशल ट्रेन को रद करना पड़ा। इतना ही नहीं पूर्वोत्तर और कर्नाटक की ट्रेनों में बुक किये गए कोच भी मगहर नहीं पहुंच सके। कबीरपंथी इस बात से नाराज थे कि कार्यक्रम में मुख्य महंत विवेक दास को तरजीह नहीं दी गई। उन्हें कोई आमंत्रण भी नहीं भेजा गया जबकि विवेकदास ही देश भर के कबीर मठों के सर्वेसर्वा हैं। वहीं विचारदास को भी मंच पर जगह नहीं देना कबीर पंथियों का अपमान माना गया।

पूरे प्रकरण में रेलवे प्रशासन ने गजब की चुप्पी साध रखी है। कार्यक्रम में चंद दिनों पहले तक स्पेशल ट्रेन के विषय में जानकारी देने वाला रेलवे प्रशासन और सांसद शरद त्रिपाठी पूरे प्रकरण पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। कबीरचौरा के महंत विवेक दास के आरोपों की धार को कुंद करने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। संतकबीर के परिनिर्वाण स्थली पर पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर गोरखपुर-बस्ती मंडल के सभी जिलों में भाजपाइयों ने बड़ी संख्या में होर्डिंग टागी थी जिस पर स्पष्ट लिखा था कि कबीर 620वें प्राकट्य महोत्सव पर मगहर चलें। लेकिन पीएम मोदी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत ही करीने से विवेक दास के आरोपों को खारिज कर दिया। योगी ने कहा कि यह वर्ष संतकबीर के 620वें प्राकट्य के साथ ही उनके परिनिर्वाण के 500 वर्ष पूरे होने की भी है। दो तिथियों के संयोग के बीच महगर में देश के प्रधानमंत्री मौजूद हैं।

होर्डिंग से हटाया प्राकट्य महोत्सव का तथ्य

कार्यक्रम के एक दिन पहले संतकबीर नगर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी के हस्तक्षेप के चलते ही होर्डिंग से कबीर 620वें प्राकट्य महोत्सव का तथ्य हटा दिया गया था। दरअसल, मुख्यमंत्री की बेचैनी विवेकदास के आरोपों को लेकर थी। विवेकदास ने पीएम के कार्यक्रम को लेकर पहले ही आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संत कबीर की जयंती ही मनानी थी तो उन्हें मगहर के स्थान पर वाराणसी आना चाहिए था, क्योंकि संत कबीर का प्राकट्य स्थल काशी के लहरतारा में है। मगहर तो उनका निर्वाण स्थल है। निर्वाण स्थल पर कबीर का प्राकट्य उत्सव मनाना संत कबीर का अपमान और समस्त कबीर परंपरा और संस्कृति का अपमान है। विवेकदास का आरोप है कि संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री को अंधेरे में रखकर मगहर बुलाया और भांडा न फूटे, इसके लिए कार्यक्रम के बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई।

जेल जा चुके विचारदास से आत्मीयता

मगहर कबीर के परिनिर्वाण के साथ ही यहां के महंत विचारदास की जालसाजी के चलते भी सुर्खियों में रहा है। कबीर मठ के नाम की 500 एकड़ से अधिक की जमीन पर महंत से लेकर नेताओं की नजर है। इन दिनों सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और विचारदास की आत्मीयता की तस्वीरें खूब शेयर हो रही हैं। दरअसल, पीएम मोदी ने विचार दास के साथ मंच तो नहीं शेयर किया, लेकिन हेलीकाप्टर से उतरने के बाद वह विचारदास के साथ ही कबीर की समाधि और मजार पर गए। इस दौरान विचारदास ने प्रधानमंत्री को कबीर से जुड़ी किताबें भी भेंट कीं।

बता दें कि वाराणसी पुलिस ने महंत विचारदास को जून 2016 में गिरफ्तार किया था। विवेकदास की तरफ से वर्ष 2012 में ही विचारदास के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। विचारदास पर मगहर कबीरचौरा की जमीनों के स्वामित्व में हेराफेरी करने, मठ की करोड़ों की जमीन फर्जी तरीके से ट्रस्ट बनाकर अपने नाम करने और उसे बेच डालने जैसे गंभीर आरोप हैं। विचार दास कबीर मूलगादी मठ के सचिव रहे हैं।

एडीजीसी मुन्नालाल यादव के मुताबिक कबीर मूलगादी मठ की सारनाथ के मवइया व नवापुरा में बीसों बीघा जमीन थी। आरोप है कि महंत ने फर्जी ट्रस्ट बनाकर जमीन कब्जा करने की नीयत से उस पर अपना नाम चढ़वा लिया और उसका कुछ हिस्सा बेच भी दिया। इस मामले में कबीर मूलगादी मठ के महंत विवेक दास की तरफ से विचार दास, गंगाशरण शास्त्री, शिवमुनि, पंकज सिंह, रमाशंकर कुशवाहा और सदानंद शास्त्री के खिलाफ धारा 156 (3) के तहत धोखाधड़ी, धमकाने आदि का मुकदमा न्यायालय के आदेश से बीते नौ मार्च 2013 को सारनाथ थाना में दर्ज कराया गया था। इस प्रकरण में विचारदास को 17 दिनों तक जेल की हवा खानी पड़ी थी।

बुनकरों को मोदी ने निराश किया

पीएम मोदी के मगहर दौरे को लेकर लोगों में खासी उम्मीदें थीं। लोगों को अपेक्षा थी कि बंद कताई मिलों को चालू करने के लिए पीएम मोदी कुछ घोषणा करेंगे। यह भी उम्मीद थी कि आमी नदी जो प्रदूषित होकर मृतप्राय: हो चुकी है उसे लेकर लेकर भी मोदी घोषणा करेंगे। उम्मीद थी कि आमी का जीर्णोद्धार नमामि गंगे योजना के तहत किये जाने की घोषणा होगी। काशी और मगहर को नदियां जोड़ती हैं। मगहर के बगल से बहने वाली आमी भी घाघरा से होते हुए गंगा में जाकर मिलती है।

आमी बचाओ मंच के विश्वविजय सिंह बताते हैं कि समाधि स्थल को छूकर आमी के बहने के पीछे संत कबीर की ही महिमा मानी जाती है। विश्वविजय सिंह कहते हैं कि चार जिलों से होकर बहने वाली आमी नदी के संरक्षण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी कई बार आदेश दे चुका है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पूर्व सांसद भालचंद यादव कहते हैं कि प्रधानमंत्री से उम्मीद थी कि आमी नदी और बंद कताई मिलों को लेकर घोषणा करेंगे, लेकिन 35 मिनट के भाषण में उन्होंने सिर्फ वोट की राजनीति की।

करोड़ों की जमीन पर भूमाफिया की नजर

मगहर में कबीर निर्वाण स्थली के लिए मुगल शासक औरंगजेब ने पांच सौ एकड़ जमीन मूल गादी को दी थी। इस जमीन पर भू-माफिया की नजर है। मगहर के साथ-साथ भू-माफिया की नजर सहजनवां के बलुआ मंझरिया आश्रम और कृषि फार्म पर भी है। कबीरचौरा मूल गद्दी के मुख्य महंत संत विवेक दास आचार्य ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पहले ही पत्र लिख कर मगहर और सहजनवां के कबीर मठों पर कब्जे के कुत्सित प्रयासों की विस्तार से जानकारी दे रखी है, लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ रखे हुए है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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