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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रशिक्षुओं को दिया राष्ट्रवाद का मूल मंत्र
संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने प्रवास के दूसरे दिन संघ प्रशिक्षण शिवर के प्रशिक्षुओं को राष्ट्रवाद के मायने बताएं। इसके साथ ही समाज के प्रत्तेक वर्ग, व्यक्ति के अंदर राष्ट्रवाद की अलख कैसे जगाएं और इसके तरीके भी बताए।
कानपुर: संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने प्रवास के दूसरे दिन संघ प्रशिक्षण शिवर के प्रशिक्षुओं को राष्ट्रवाद के मायने बताएं। इसके साथ ही समाज के प्रत्तेक वर्ग, व्यक्ति के अंदर राष्ट्रवाद की अलख कैसे जगाएं और इसके तरीके भी बताए।
संघ प्रमुख ने कहा कि देश सर्वोच्च है, प्रत्तेक व्यक्ति के अंदर राष्ट्रवाद का संचार आंधी, तूफान के वेग से भी तेज होना चाहिए। जब आप देश को सबसे ऊपर रखेंगे तो ये काम और भी आसान हो जाएगा। देश की तरक्की और मजबूती के लिए युवा पीढ़ी के अंदर राष्ट्र के प्रति समर्पित होना अति आवश्यक है।
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बीजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ कर प्रचंड बहुमत हासिल किया है। आरएसएस राष्ट्रवाद के मुद्दे को अब जमीनी स्तर पर काम करने जा रही है। संघ की शाखाओं पर भी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जोर दिया जाएगा। इतना ही नहीं देश के समाज, वर्ग के अंदर राष्ट्रवाद की भावना को जगाने पर भी कार्य योजना है जो हिंदुस्तान की अखंडता को मजबूत करने का काम करेगा।
कानपुर के पंडित दीन दयाल सनातन धर्म इंटर कॉलेज में संघ प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। इस प्रशिक्षण शिविर में पूर्वी यूपी के लगभग 800 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। संघ प्रमुख सभी प्रशिक्षुओं से सीधा संवाद कर उन्हें संघ की बारीकियों से अवगत करा रहे हैं। स्वयं सेवक किस तरह से समाज के हित में काम करता है। समाज के बीच जाकर कैसे संवाद स्थापित करता है। समाज के प्रत्तेक वर्ग और युवाओं को एक माले में कैसे पिरोया जाता है।
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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रशिक्षुओं से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि स्वयं सेवको को किसी भी कार्य का श्रेय नहीं लेना चाहिए। क्योंकि स्वयं सेवकों के द्वारा किया गया कार्य देश और समाज के हित के लिए होता है। आरएसएस निस्वार्थ भाव से काम करता है। जब हम किसी कार्य का श्रेय लेने लगेंगे तो हमारे अंदर अहंकार जन्म लेगा। अहंकार किसी को भी बर्बाद कर सकता है। इसके साथ ही स्वयं सेवकों को अति उत्साह से भी बचने की जरूरत है।
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उन्होंने कहा कि संघ इंसान को उसके कामो से जानती है। जाति बिरादरी जैसी भावनाओ से दूर रहने की जरूरत है। हम सब एक है और इसी भावना से काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें समाज भी भी यही संदेश देना है और सभी को एक जुट करना है।