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धर्म संसद में 'भागवत' के बोलने पर हंगामा, जाने संत क्यों कहने लगे तारीख बताओ
विहिप का आरोप है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के समर्थित साधु-संतों ने जानबूझकर हंगामा किया। फ़िलहाल मौके पर कुछ देर तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।
प्रयागराज: प्रयागराज कुंभ में चल रहे विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद के आखिरी दिन जमकर ड्रामा हुआ। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन न करने और सरकार को और वक्त देने के बयान पर साधु-संत हंगामा करने लगे।
मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर से एक इंच भी मझौता नहीं होगा। इसके साथ ही कहा गया कि हमें उसी तरह का राम मंदिर चाहिए जैसा हम लोगों को दिखाते रहे हैं। भागवत के धर्म संसद में भाषण दिए जाने के बाद संतों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। धर्म संसद में करीब दो दर्जन से ज्यादा संतों ने 'तारीख बताओ, तारीख बताओ' के नारे लगाना शुरू कर दिया।
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इसके साथ ही भागवत ने कहा, 'इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी माना है कि नीचे मंदिर है। अब वहां जो भी बनेगा राम मंदिर ही बनेगा। हमने मोदी सरकार से कहा था कि हम आपको तीन साल नहीं छेड़ेंगे। हमने उग्र भाषा में सरकार से कहा कि राम मंदिर बनना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम मंदिर हमारी प्राथमिकता नहीं है।' साथ ही भागवत ने कहा कि सरकार अगर मंदिर के लिए काम करेगी तो राम का आशीर्वाद मिलेगा। हालांकि, सरकार ने यह जरूर किया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जाकर कहा कि वहां जिसकी जमीन है, उसे वह वापस की जाए।
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भागवत ने कहा कि आवेश और आक्रोश बनाए रखना है, लोगों को आरएसएस और संतों पर भरोसा है। भागवत ने कहा, '6 अप्रैल को एक करोड़ लोग मंदिर के लिए मंत्रोच्चार करेंगे। इस बार चुनाव हैं और मंदिर बनाने वालों को चुनना पड़ेगा। देश हिन्दुओं का है और दूसरे देशों के सताए हिन्दूओं को नागरिकता देने वाला नियम बनाने वाली ये सरकार है। हम सरकार के लिए कठिनाई नहीं पैदा करनी बल्कि मदद करनी है। भव्य राम मंदिर बनेगा, हम सकरात्मक सोचेंगे, निराशा मन में मत लाएं। सनातन धर्म के विजय का काल आया है।'
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विहिप का आरोप है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के समर्थित साधु-संतों ने जानबूझकर हंगामा किया। फ़िलहाल मौके पर कुछ देर तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।
बता दें कि परमधर्म संसद की अगुआई कर रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने गुरुवार को कहा था, 'हम अयोध्या में 21 फरवरी 2019 को राम मंदिर की नींव रखेंगे। हम कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। जब तक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश को खारिज नहीं कर देता, तब तक यह लागू है। वहां रामलला विराजमान हैं, वह जन्मभूमि है।'