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सावन के पहले साेमवार को इत्र नगरी कन्नौज के प्राचीन शिव मंदिरो में उमड़ा भक्तों का सैलाब, जानें गौरीशंकर मंदिर का इतिहास

Kannauj Savan 2022: जिले का सबसे प्राचीन और भव्य मंदिर में विराजमान सिद्धपीठ बाबा गौरीशंकर का आर्शीवाद और उनकी कृपा भक्तों पर बरस रही है। गर्भगृह में स्थित अद्भुत शिवलिंग में पूरे शिव परिवार के दर्शन हो जाते हैं।

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Published on: 18 July 2022 1:25 PM IST
शिवालय में पूजा करते भक्त
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शिवालय में पूजा करते भक्त (फोटों साभार न्यूज़ नेटवर्क)

Kannauj Savan 2022: आज सावन का पहला सोमवार है। इत्र नगरी कन्नौज में सुबह से ही भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। जिले का सबसे प्राचीन और भव्य मंदिर में विराजमान सिद्धपीठ बाबा गौरीशंकर का आर्शीवाद और उनकी कृपा भक्तों पर बरस रही है। यह मंदिर कन्नौज के पूर्वी छोर पर स्थित भव्य शिव मंदिर है। जिसकी विशेष बात है कि गर्भगृह में स्थित अद्भुत शिवलिंग में पूरे शिव परिवार के दर्शन हो जाते हैं। इस कारण से इस मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु काफी दूर–दूर से पूरे मनोयोग से बाबा भोलेनाथ के दर्शन को आते हैं। इन दिनों सावन के महीने में भक्तों के दर्शन करने की रोजाना संख्या हजारों तक पहुंच जाती है।

हिंदू धर्म में सावन मास के साथ ही इसके सोमवार का भी विशेष महत्व होता है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन शुरू होते ही मंदिर व शिवालयों में हर-हर महादेव का उद्घोष उठने लगा। सावन के पहले दिन सोमवार को रुद्राभिषेक व जलाभिषेक किया गया। भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की।

आपको बताते चलें कि कन्नौज शहर के पूर्वी छोर में स्थित बाबा गौरीशंकर मंदिर को पौराणिक भाषा में गौरी पीठ भी कहा जाता है। लोकोक्ति है कि जहां-जहां माता सती के शव के अंग गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी। उसी क्रम में कान्यकुब्ज यानि इत्र नगरी कन्नौज में मां गौरी के अंग गिरने से यह स्थान भी शक्तिपीठ में शुमार किया जाता है। श्रद्धालु गौरी और शंकर दोनों को अर्धनारीश्वर रूप में भी देखते हैं, अर्थात शिव का आधा अंग पुरुष रूप में है और दूसरे रूप में पार्वती स्वरूप हैं। रामचरित मानस में भी इसका उल्लेख मिलता है।

बाबा गौरीशंकर मंदिर का गौरवशाली इतिहास काफी पुराना है। इस ऐतिहासिक सिद्धपीठ के बारे में कुछ स्थानों पर उल्लेख मिलता है कि सम्राट हर्षवर्धन के समय में यहां 11 हजार पुजारी शिवार्चन करते थे। आज श्रावण मास के प्रथम सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिव मंदिरों में पहुंचकर भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए भारी संख्या में इस अलौकिक शिव मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ का तांता लगा हुआ है।

इस मंदिर में कभी पतित पावनी गंगा की धार छूकर निकलती थी, लेकिन कालांतर में गंगा की धार इस मंदिर से करीब 5 किलोमीटर दूर चली गईं। इस मंदिर में सावन की शुरुआत होते ही श्रद्धालु सुबह से शाम तक बाबा के दर्शन करने आते हैं। बाबा गौरीशंकर मंदिर में सावन के सोमवार को अद्भुत श्रंगार किया जाता है। जिसे देखने के लिए शहर के ही बल्कि दूरस्थ जनपदों से भी लोग यहां आते हैं। मंदिर के पुजारी कपिल तिवारी ने इस सिद्धपीठ भव्य मंदिर के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रुद्राभिषेक कराया।

उन्होंने बताया कि सोमवार को सुबह 6 बजे महाआरती की जाती है। इसके बाद दिन भर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। देर शाम साढ़े 7 बजे फिर महाआरती का आयोजन किया जाता है जिसके बाद रात में बाबा का भव्य श्रृंगार किया करने के बाद श्रद्धालु मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करते हैं, जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होंगे। मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल भी तैनात किया गया है। दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु भी मंदिर में ही डेरा जमाए हुए हैं।



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Prashant Dixit

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