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निकाय चुनाव: मुरादाबाद में बीजेपी ने खेला पुराने मोहरे पर दांव
निकाय चुनाव के लिए मुरादाबाद से बीजेपी ने एक बार फिर विनोद अग्रवाल पर दांव लगाया है। विनोद अग्रवाल मुरादाबाद के मौजूदा मेयर है और पार्टी ने इन पर दोबारा विश्वास जताया है
मुरादाबाद: निकाय चुनाव के लिए मुरादाबाद से बीजेपी ने एक बार फिर विनोद अग्रवाल पर दांव लगाया है। विनोद अग्रवाल मुरादाबाद के मौजूदा मेयर है और पार्टी ने इन पर दोबारा विश्वास जताया है।भाजपा से दो बार विनोद अग्रवाल की पत्नी स्वर्गीय वीना अग्रवाल मेयर रह चुकी है। वीना अग्रवाल के मृत्यु होने के बाद अगस्त 2016 में उपचुनाव में विनोद अग्रवाल मेयर बने थे। इस बार भी भाजपा ने एक बार फिर से विनोद अग्रवाल को मेयर के प्रत्याशी के तौर पर चुना है। बीना अग्रवाल ने मेयर पद पर 2000 और 2012 में परचम लहराया था।
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मई 2016 में उनका आकस्मिक निधन हो गया था। जिसके बाद उपचुनाव में विनोद अग्रवाल को भाजपा ने मैदान में उतारा था। सपा उम्मीदवार राजकुमार प्रजापति को 35 हजार से अधिक वोटों से हराया था। इस बार भाजपा से टिकट लेने में विनोद अग्रवाल को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा क्योंकि स्थानीय भाजपा इकाई उनके टिकट के पक्ष में नहीं थी।
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जनता में लोकप्रिय चेहरे के कारण पार्टी हाईकमान ने उन्हें उम्मीदवार बनाया क्योंकि शहर में सपा से हाजी यूसुफ अंसारी मैदान में हैं तो कांग्रेस ने सपा जिला अध्यक्ष हाजी इकराम कुरैशी के भतीजे रिजवान कुरैशी को टिकट देकर भाजपा के लिए राह आसान कर दी। अगर मुस्लिम वोटरों का बंटवारा होता है तो फायदा भाजपा को होना तय माना जा रहा है।
मुरादाबाद में कुल 626001 वोट है जिसमे से 3 लाख 26 हज़ार हिन्दू मतदाता है और तीन लाख मुस्लिम मतदाता है, कुल बूथ 564 है। 75 हजार के करीब वैश्य वोट है।
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पिछले साल उपचुनाव में कुल 5,54,116 मतदाताओं में से 1,36,090 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।35 राउंड तक चली मतगणना में भाजपा प्रत्याशी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा था।उन्हें कुल 66535 मत मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे राजकुमार प्रजापति को 30720 मतों पर संतोष करना पड़ा। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी कैसर अली कुद्दूसी को 18750 और चौथे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी आनंद मोहन गुप्ता को सिर्फ 4830 वोट मिल पाये। विनोद अग्रवाल को पार्टी नेताओं में हाईकमान से संबंधों के अलावा सांसद सर्वेश सिंह का समर्थन भी मिला हुआ है। इसलिए स्थानीय इकाई के विरोध के बावजूद पार्टी ने उन्हें अपना चेहरा बनाया है