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Moradabad News: पीतल की पिचकारी का लौटा फैशन, बढ़ती डिमांड से व्यापारी खुश
Moradabad News: जहां बाज़ार में प्लास्टिक और चाइनीज सामानों की भरमार है, वहीं पीतलनगरी मुरादाबाद की पिचकारियां इस बार खूब मांगी जा रही हैं। कुछ व्यापारी इसे स्वदेशी और ODOP अभियानों का असर बता रहे हैं।
Moradabad News: इस बार होली पर पीतल नगरी की पिचकारी की मांग देश-विदेश तक है। दिल्ली-मुंबई, पंजाब तक लोग पीतल की पिचकारी से होली खेलने के लिए इसकी खरीदारी कर रहे हैं। लोगो का कहना है कि प्लास्टिक की चाइना वाली पिचकारियां लेने से अच्छा है एक बार पीतल की पिचकारी ले ली जाए, जो हमेशा काम आएगी। पीतल कारोबारियों का कहना है
कि पीतल के सांचे और पीतल की पिचकारी की मांग बहुत है। पीतल के दाम बढ़ने से पिचकारी के बनाने की लागत भी बीस प्रतिशत तक बढ़ गई है। अब पिचकारी 600 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक मिल रही है। बावजूद इसके, इनकी और प्रेशर पंप वाली पीतल की पिचकारी की डिमांड अधिक है।
100 साल पुरानी है परंपरा
पीतल के व्यापारियों ने बताया कि पीतल की पिचकारी बनाना मुरादाबाद की 100 वर्ष से अधिक पुरानी परंपरा है। इसकी विशेषता यह है कि यह पीतल की पिचकारी को कई साल तक प्रयोग किया जा सकता है। क्योंकि यह शुद्ध पीतल की होती है। इसलिए खराब नहीं होती। परंतु पीतल की पिचकारी तो हर कोई नहीं खरीद सकता, इसलिए लोग प्लास्टिक की पिचाकारियों से ही होली खेल लेते थे, लेकिन इस बार पीतल की पिचकारियां खूब मांगी जा रही हैं। कुछ व्यापारियों ने कहा कि ये सरकार के ‘स्वदेशी अपनाओ’ और ‘एक जिला-एक उत्पाद’ (ODOP) जैसे अभियानों का असर भी है।
चाइनीज सामान की मांग कम
व्यापारियों ने बताया कि चाइना आइटम और पिचकारियों को विशुद्ध प्लास्टिक से बनाया जाता है, जो पर्यावरण के लिए घातक है। ये बात लोगों को समझ आ रही है कि चाइना से देश के संबंध भी अच्छे नहीं रहे हैं। कुछ ग्राहक तो अपने बच्चो को नया लॉजिक देकर समझते हैं कि ‘बेटा ये वो ही चाइना है, जो हमारे पैसों से हमें ही धमकाता है।’ ऐसे में लोग भारत में बनी सादी पिचकारियों की ही जायदा खरीदारी कर रहे हैं। उधर गुलालों में भी इस बार सबसे ज्यादा भगवा रंग का गुलाल बिक रहा है।