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Moradabad Nagar Nigam: मुरादाबाद नगर निगम के मनोनीत पार्षद राजीव गुप्ता, आज छोटी सीढ़ी पर हूँ, कल आगे बढ़ूँगा

Moradabad Nagar Nigam: राजीव गुप्ता बताते हैं कि जब मैं छोटा था, तो अन्य प्रत्याशियों के बिल्ले बांटते-बांटते कब बड़ा हो गया। इसका एहसास पार्षद मनोनीत होने पर हुआ।

Sudhir Goyal
Published on: 5 Dec 2022 8:43 PM IST (Updated on: 5 Dec 2022 8:43 PM IST)
Moradabad nagar nigam ward number BJP Parshad rajiv Gupta achievements last five years
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Moradabad nagar nigam ward number BJP Parshad rajiv Gupta achievements last five years 

Moradabad Nagar Nigam: जी हां ये हैं राजीव गुप्ता। इन्होंने पिछले ढाई वर्षों में अपने वार्ड को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनका परिवार जनसंघी था। तो इनका जुड़ाव भी बीजेपी से ही रहा। इन्होंने अपने जीवन काल में बचपन से ही बीजेपी का दामन थाम लिया था। राजीव गुप्ता बताते हैं कि जब मैं छोटा था, तो अन्य प्रत्याशियों के बिल्ले बांटते-बांटते कब बड़ा हो गया। इसका एहसास पार्षद मनोनीत होने पर हुआ।

राजीव बताते हैं कि उन्होंने 1989 में बिल्ले बांटते हुए ही सोच लिया की एक बार मैं भी नेता बन कर देखूंगा। और बस क्या था, बढ़ा दिए बीजेपी में कदम। पहले सदस्यता। फिर धीरे धीरे दस वर्षो तक बीजेपी में जिला मीडिया प्रभारी का पद पर कार्य किया। फिर क्या था पार्टी पदाधिकारियों ने लगन को देखते हुए पिछले ढाई वर्षों से मुझे इस जिम्मेदारी से नवाज दिया।

उन्होंने बताया की उनकी राजनीति के प्रेरणा स्रोत श्री अटल बिहारी बाजपेई जी है। उनकी लगन और मेहनत को टीबी पर देख देख कर मैंने भी राजनेता बनने की सोची। आज में छोटी सीढी पर हूँ। आगे भी बढूंगा। उन्होंने अपने छोटे से कार्यकाल में अपने क्षेत्र चक्कर की मिल्क में एक शमशान को बनाने के लिए भूमि अर्जित कराई।

उन्होंने क्षेत्र में तीन स्मार्ट पार्क भी बनवाए। जिससे गरीब बच्चों को भी खेलने का मौक़ा मिला। इससे उनका स्वास्थ अच्छा रह सकेगा। पुराना शहर होने के नाते तंग गलियों में सफाई करने परेशानी तो होती ही है। फिर भी मैनेज कर लेते हैं। अपने आगे के भविष्य यानी चुनाव लडने के बारे में बताया कि अगर पार्टी उन पर विधायक या सांसद के लायक मान कर विश्वास करेगी तो मैं उसमें भी खरा ही उतरूंगा। बड़े चुनाव पहले बहुत खर्चीले होते थे। परंतु अब कम हो गये हैं।

वह बताते हैं कि मैं एक मध्यम परिवार से आता हूँ। इसलिए मैं मध्यम परिवारों की स्थिति से बखूबी परिचित हूं। मैं जानता हूँ कि मध्यम परिवारों में कैसे घर का चूल्हा जलता है। कितनी परेशानियों के बाद दो वक्त की रोटी खा पाते हैं मध्यम वर्गीय लोग।

सरकारी लोगों को अनेक भत्ते मिल जाते हैं। गरीब के लिए सरकारी छूट भी मिलती है। उनकी कम से कम एक आय तो है । मज़दूर को पाँच सौ रुपये मजदूरी मिलती है। परंतु मध्यम वर्ग को ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नही है।

उन्होंने कुल मिला कर अपने कार्यकाल में सही और उत्तम कार्य कराया है। क्षेत्र की जनता से भी उनका बेहतर ताल मेल है। अगर कोई उनसे किसी काम को कहता है, तो वे प्राथमिकता के तौर पर उस पर विशेष ध्यान देते हैं।



Durgesh Sharma

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