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Gorakhpur News: ठीक पढ़ रहे हैं आप, गोरखपुर में मरीज बिकते हैं, मुर्दों का भी होता है इलाज
Gorakhpur News: रामगढ़ताल थाना क्षेत्र में ईशु हास्पिटल के संचालक व अन्य के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद एक बार फिर शहर में फर्जीवाड़ा करने वाले हास्पिटलों की गहरी जड़ें सामने आईं और इसका एक तगड़ा नेटवर्क देखने को मिला।
Gorakhpur News: क्या मरीज भी बिकते हैं? मुर्दों का भी इलाज हो सकता है? आपका उत्तर भले ही नहीं हो लेकिन गोरखपुर में अस्पताल माफियाओं और दलालों की किताब में इन सभी सवालों का जवाब ‘हां’ में है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मरीजों की बिक्री होती है। अस्पताल वाले मुर्दों का भी इलाज करते हैं। आलू से अंडा की बिक्री करने वाले भी लग्जरी अस्पतालों के मालिक हैं।
पिछले दिनों लाश के इलाज का मामला सामने आया तो पुलिस ने जांच शुरू की। मुर्दे के इलाज का मामला तो खुला ही, आलू से लेकर अंडा बेचने वाले भी अस्पतालों के मालिक निकले। लाश के इलाज के मामले में सील हुए ईशु अस्पताल के बाद पुलिस प्रकरण की जांच कर रही है तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। पूरे प्रकरण में निगम उपनाम के जिस मास्टर माइंड का नाम सामने आ रहा है वह कुछ साल पहले मेडिकल कॉलेज गेट के सामने सब्जी बेचा करता था। आज इसके पास 10 से अधिक एंबुलेंस है। इसके कारिंदे बीआरडी से मरीजों को खरीद कर दूसरे अस्पतालों में भेजते हैं। हर मरीज के बेचने पर वह निजी अस्पताल से 20 से 25 हजार रुपया वसूलता है। इस कारोबार में सीनियर व जूनियर डॉक्टर, रेजिडेंट, वार्ड ब्वाय, ट्रॉलीमैन, गार्ड, स्वीपर, दाई, निजी अस्पताल संचालक, सरकारी एंबुलेंस के चालक व ईएमटी शामिल हैं। कमीशन में सबको हिस्सा पहुंचता है। अब मामला खुल रहा है तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुनील आर्या कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर से कोई मरीज लौटाया नहीं जाएगा। मरीज को भर्ती किया जा रहा है। रोजाना 100 से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं।
अस्पताल संचालकों की जड़े हैं गहरी
रामगढ़ताल थाना क्षेत्र में ईशु हास्पिटल के संचालक व अन्य के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद एक बार फिर शहर में फर्जीवाड़ा करने वाले हास्पिटलों की गहरी जड़ें सामने आईं और इसका एक तगड़ा नेटवर्क देखने को मिला। यह गैंग पूरी प्लानिंग के साथ मरीज को लूट रहा है। जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की तर्ज पर इसमें वसूली हो रही है। मरीज को झांसे में लेकर हास्पिटल में ले जाने वाली टीम अलग है। इसमें बीआरडी और जिला अस्पताल के कर्मचारियों के साथ ही एंबुलेंस माफिया हैं तो वहीं खून चूसने वाले हास्पिटल ऐसे मरीजों के लिए तैयार बैठे हैं। ईशु हास्पिटल पर हुई कार्रवाई के बाद हड़कम्प तो मचा है। लेकिन, पुलिस प्रशासन ने अब इस पर आगे भी कार्रवाई करने का मन बना लिया है। यह भी पता चला है कि कई ऐसे हास्पिटल कमीशन पर मरीज लाने की वजह से ही चल रहे हैं और वहां मरीजों से खूब लूट हो रही है।
प्रधान से लेकर मोहल्ले के शोहदे संचालित कर रहे अस्पताल
गोरखपुर में 5000 से अधिक छोटे बड़े अस्पताल संचालित हो रहे हैं। किसी का संचालन ग्राम प्रधान कर रहा है तो किसी का मोहल्ले का शोहदा। कई किराये के मकान में हास्पिटल का सेटअप तैयार है। गिरोह लोगों की तलाश करता और हास्पिटल शुरू करा देता। बिना डॉक्टर और व्यवस्था के चलने वाले ये हास्पिटल सिर्फ मरीजों की जान ले रहे हैं। कई संचालकों की गिरफ्तारी के बाद कुछ दिनों तक इस पर लगाम भी लगी थी। तारामंडल, पैडलेगंज और बेतियाहाता इलाके में हास्पिटल का सेटअप तैयार है। नितिन यादव ईशु हास्पिटल का संचालक रहा उसका परिचय चौंकाने वाला है। गगहा के रियांव गांव का प्रधान नितिन यादव पांच साल पहले विकास सिन्हा को अपना गुरु मान कर इस धंधे में आया था। वह अपना ट्रक चलवाता था, लेकिन हास्पिटल के धंधे में अच्छी कमाई होने का गुर उसने विकास से ही सीखा और फिर अपना एक हास्पिटल बना लिया। ग्राम प्रधान नितिन यादव कई बार तो खुद डॉक्टर बनकर इलाज करता था। हालांकि प्रधान बनने के बाद उसने कागज में अपनी पत्नी को हास्पिटल का संचालक बना दिया था।
अब पुलिस का डॉटा तैयार करने का दावा
मरीजों की दलाली को लेकर अस्पतालों की संलिप्तता को देखते हुए अब पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की तिकड़ी का शिकंजा कसेगा। पुलिस गोपनीय तरीके से ऐसे अस्पतालों की जानकारी जुटाएगी। स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। जहां ऑन द स्पॉट कार्रवाई की जरूरत होगी, वहां पुलिस तुरंत पहुंच जाएगी। बाकी जगह जांच रिपोर्ट के बाद केस दर्ज गिरफ्तारी होगी। इन सभी को बेनकाब करने के लिए इसका एक प्लान तैयार हुआ है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अलावा, आरटीओ, प्रशासन और पुलिस की टीम शामिल होगी। स्वास्थ्य विभाग हॉस्पिटल की जांच करेगा, आरटीओ के जिम्मे अवैध एंबुलेंस पर शिंकजा कसना होगा तो वहीं पुलिस इनकी रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करेगी। बीआरडी या जिला अस्पताल के रेफर का पर्चा देखेगी टीम बिहार व अन्य जिलों के मरीजों को बरगलाकर निजी अस्पतालों में भर्ती करने के मामले की भी अब स्वास्थ्य टीम जांच करेगी। अस्पतालों की जांच करने वाली टीम वहां की हास्पिटल की व्यवस्था और मानक के अलावा भर्ती मरीजों से भी बात करेगी।