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Moradabad News : मरीज की आंत में थी रुकावट, बिना चीरे के हुआ सफल इलाज, पहली बार ड्योडनल स्टंटिंग तकनीक का प्रयोग

Moradabad News : प्रदेश के मुरादाबाद के थाना सिविल लाइन क्षेत्र के कांठ रोड स्थित एशियन विवेकानंद अस्पताल में पहली बार ड्योडनल स्टंटिंग के माध्यम से मरीज का सफल इलाज हुआ। बता दें कि मरीज को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी, इसके बाद उसे भर्ती किया गया था।

Sudhir Goyal
Published on: 5 July 2024 7:12 PM IST
Moradabad News : मरीज की आंत में थी रुकावट, बिना चीरे के हुआ सफल इलाज, पहली बार ड्योडनल स्टंटिंग तकनीक का प्रयोग
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Moradabad News : प्रदेश के मुरादाबाद के थाना सिविल लाइन क्षेत्र के कांठ रोड स्थित एशियन विवेकानंद अस्पताल में पहली बार ड्योडनल स्टंटिंग के माध्यम से मरीज का सफल इलाज हुआ। बता दें कि मरीज को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी, इसके बाद उसे भर्ती किया गया था।

बिजनौर निवासी 35 वर्षीय महिला फरजाना, जिनको पेट दर्द की शिकायत थी। इसके साथ ही कुछ भी खाते ही उल्टी हो जाती थी, वह मुरादाबाद के एशियन विवेकानंद अस्पताल में इलाज के लिए आईं थीं। अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉ. सुदीप चक्रवर्ती ने प्राइमरी चेकअप के बाद उन्हें भर्ती होने की सलाह दी। मरीज के भर्ती होने के बाद डॉ. सुदीप चक्रवर्ती ने एंडोस्कोपी के माध्यम से कारणों की जांच की। इसके बाद पता चला कि मरीज की छोटी आंत सिकुड़ गई है। इस वजह से वह खाना ही नहीं खा पा रही है। कुछ खाते ही उल्टी हो जाती है और पेट में दर्द रहता है। खाना छोटी आंत के नीचे नहीं जा पा रहा था, जिससे पेट भी साफ नहीं हो रहा था। ड्योडनल स्टंटिंग से इलाज के बाद अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। ठीक से खाना भी खा पा रहा है और आज अस्पताल से छुट्टी भी कर दी जाएगी।

बिना चीरे के हुआ सफल इलाज

डॉ. सुदीप चक्रवती ने बताया कि ड्योडनल स्टंटिंग, एक अत्याधुनिक तकनीक है। इसमें बिना चीरे यानी ऑपरेशन के आंत की इस रुकावट का इलाज हो जाता है। इसमें समय भी कम लगता है। इस विधि के तहत एक ट्यूब के सिरे को मुंह के माध्यम से पेट में डाला जाता है, इसमें एक कैमर भी लगा होता है, इसे इंडोस्कोप कहते हैं। यह मुंह से होते हुए डियोडेनम में डाला जाता है और एक महीन तार का उपयोग करके स्टंट को डियोडेनम के अंदर सही जगह पर लगाया जाता है और इस प्रक्रिया में करीब 30 से 40 मिनट का ही समय लगता है। इसके लिए मरीज को अस्पताल में सिर्फ दो ही दो-तीन दिन ही भर्ती होना पड़ता है और मरीज को तुरंत आराम मिल जाता है। वहीं, पहले आंत के सिकुड़े हिस्से का काट दिया जाता था। इसके लिए सर्जरी करनी पड़ती थी और इसमें एक से सवा लाख रुपए का खर्च होता था। इसके साथ ही मरीज को भी 5 से 6 दिन अस्पताल में भर्ती भी रहना पड़ता और घर पर भी करीब 10 से 15 दिन आराम करना पड़ता था।


चिकित्सक को दी बधाई

एशियन अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. प्रशांत पांडे, रीजनल डायरेक्टर डॉ. हिलाल अहमद ने ड्योडनल स्टंटिंग के माध्यम ‌से सफल इलाज के लिए डॉ. सुदीप चक्रवर्ती एवं उनकी टीम को शुभकामनाएं दी। सेंटर हेड शोएब मलिक ने आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. सुदीप चक्रवर्ती ‌के द्वारा ड्योडनल स्टंटिंग के अतिरिक्त पाइलोरिक स्टंटिंग के से भी इलाज किया जा रहा है, ये सुविधा सिर्फ विवेकानंद हॉस्पिटल के पास है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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