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Moradabad: Ayushman Card देखते ही मरीज को अस्पताल से धक्के मार कर निकाला
Moradabad News: सिद्ध हॉस्पिटल में 9 मार्च की रात आयुष्मान कार्ड देने पर मरीज को अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया। मामले की जानकारी लेने पहुंचे पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी की गई।
Ayushman Card Case In Moradabad: मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के हरथला में स्थित सिद्ध हॉस्पिटल में 9 मार्च की रात्रि को आयुष्मान कार्ड देने पर हुए विवाद में डॉक्टर और उसके बाउंसर ने अब मीडिया कर्मियों के साथ बदसलूकी करते हुए उन्हें अस्पताल से बाहर निकाल दिया। बता दें कि इससे पहले पिछली रात को अस्पताल कर्मियों ने एक मरीज को भर्ती करने से इसलिए बाहर कर दिया था क्योंकी उन्होंने आयुषमान कार्ड पर इलाज करने को कहा था।
मरीज के बाद अब पत्रकारों से बदसलूकी
मुरादाबाद के बड़े अस्पतालों में शुमार सिद्ध हॉस्पिटल में बीती रात सीने में दर्द होने पर एक मरीज पहुंचा। अस्पताल कर्मियों ने मरीज से डॉक्टर की फीस और कुछ रुपए जमा करने को कहा। फीस जमा करने की बात पर मरीज के साथ आए तीमारदार ने सरकार द्वारा गरीबों के इलाज के लिए बनाए गए आयुष्मान कार्ड दिखा कर इलाज करने की बात कही। मगर आयुष्मान कार्ड देख कर डॉक्टर का स्टाफ इतना भड़क गया कि उक्त मरीज को खरी खोटी सुना दी। मरीज से कहा गया कि ये कोई सरकारी अस्पताल नहीं है। ये सिद्ध हॉस्पिटल है। यहां पर नोट खर्च करने पर ही इलाज किया जाता है। इस बात पर हंगामा बढ़ने पर कुछ मीडिया कर्मी पीड़ित की बात सुनने और रिकार्ड करने पहुंचे थे। मगर सिद्ध हॉस्पिटल स्टाफ और बाउंसरों ने आ कर मीडिया कर्मियों को भी हड़काते हुए धक्का देना शुरू कर दिया। जब मीडिया कर्मियों ने विरोध किया तो डॉक्टर के बाउंसर ने उन्हें भी अस्पताल से धक्का देकर बाहर निकाल दिया।
सरकार के निर्देश को नहीं मानता अस्पताल
उत्तर प्रदेश सरकार भले ही जनमानस को बेहतर स्वस्थ सेवाएं देने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हो। बेहतर और सस्ते इलाज के लिए ही आयुष्मान कार्ड गरीबों को उपलब्ध कराए हैं। परंतु सरकार की मंशा को पलीता सिद्ध हॉस्पिटल जैसे अस्पताल लगा रहे हैं। सिद्ध हॉस्पिटल के बारे में क्षेत्र वासियों का कहना है कि इसके डॉक्टर किसी की नहीं सुनते। उनको सरकार के ही कुछ नुमाइंदों का संरक्षण प्राप्त है। जिसके चलते वो आए दिन मरीजों और तीमारदरों के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। अपने राजनीतिक संबंधों के कारण ही वो सीएमओ को भी अपना नौकर समझते हैं।