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Moradabad News: भाग तेंदुआ भाग, बज गया ये स्पेशल अलार्म...

Moradabad News: आसपास तेंदुआ दिखता है तो कनस्तर को लटकी रस्सी की मदद से ‘खतरे की घंटी’ की तरह बजा देते हैं। तेज आवाज सुनकर आसपास की बड़ी आबादी के लोग सतर्क हो जाते हैं।

Sudhir Goyal
Published on: 8 Sept 2024 8:09 PM IST
Villages to save themselves from the terror of leopard People adopted the method of ringing the bell
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तेंदुए के आतंक से बचने के लिए गांव वालों ने अपनाया घंटी बजाने का तरीका: Photo- Newstrack

Moradabad News: मुरादाबाद मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर बसा कस्बा अगवानपुर है। जिसकी आबादी लगभग 50 हजार है। इस इलाके में एक अलग ही नजारा दिखाई दिया। कस्बे में जहां कई घरों पर राष्ट्रीय ध्वज या धर्म पताका लगी थी। तो कई घरों में छतों पर कनस्तर (टीन के पीपे) टंगे थे, जिन पर लंबी सी रस्सी लटकी थी। न्यूज़ट्रैक टीम ने आसपास के लोगों से छत पर लटके कनस्तर के बारे मे पूछा तो पता चला कि यह आम कनस्तर नहीं बल्कि एक तरह का अलार्म है। मामला दिलचस्पी भरा था आगे की जानकारी की तो बात कुछ इस तरह सामने आई।

खतरे की घंटी

बताया गया कि आसपास तेंदुआ दिखता है तो कनस्तर को लटकी रस्सी की मदद से ‘खतरे की घंटी’ की तरह बजा देते हैं। तेज आवाज सुनकर आसपास की बड़ी आबादी के लोग सतर्क हो जाते हैं और अपने बच्चों, मवेशी, अन्य पशु को सुरक्षित जगह पहुंचा देते हैं। लोग बताते हैं कि यहां पिछले कुछ दिनों से हर जुबां पर एक ही नाम सबसे ज्यादा है तेंदुआ। डर इतना कि शाम होते-होते लोग या झुंड में रहते हैं या घरों में कैद हो जाते हैं। परन्तु वन विभाग की टीम का अब तक कोई अता-पता नहीं, इसको लेकर लोगों में रोष भी है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल के तीन जिलों मुरादाबाद, रामपुर व बिजनौर में तेंदुए का आतंक है। अगवानपुर में हाल में तेंदुए द्वारा पशुओं पर हमले के कई मामले सामने आए हैं। 12 सौ से 13 सौ आबादी वाले मोहल्ला सराय फारुख के रहने वाले मो. अब्बास ने कहा कि पांच दिन पहले भोर में गन्ने के खेतों की ओर से एक तेंदुआ बिलौटे का पीछा करते-करते आ धमका। वह पशुओं की रखवाली के लिए बाहर बैठे हुए थे। कुछ समझ पाते कि इतनी देर में तेंदुए ने तेज छलांग लगाई और पहली मंजिल से बिलौटे को पकड़ लिया। उसे घसीटते हुए लेकर चला गया। इस घटनाक्रम से अब्बास डर गए। अब्बास बताते हैं कि उस दिन के बाद से पशुओं की रखवाली के लिए रात-रात भर जगना पड़ता है।



तेंदुआ आपात काल वाली घंटी

आपात काल वाली स्थिति में आस-पास के लोगों को जानकारी हो सके, इसके लिए खाली पीपे को रस्सी के सहारे बांधा गया है। तेंदुए के आने की दशा में उसे बजाकर लोगों को अलर्ट कर दिया जाता है। आस-पास के गावों तक के लोगों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।

वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बचाव के लिए घरों के आस-पास साफ-सफाई रखें। झाड़ियां ना होने पाएं। रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखें। पशुओं को अंदर बांधें। खुले में ना बांधें। हरसंभव कोशिश करें कि सूर्यास्त के बाद खेतों की ओर ना जाए। बहुत आवश्यकता पड़ने पर जाएं भी तो झुंड में जाएं। हाथों में लाठी-डंडा लिये रहें। तेंदुआ दिखने की स्थिति में सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद वन विभाग की टीम को सूचित करें। वन विभाग की टीम क्षेत्र में कांबिंग करेगी, जरूरत पड़ने पर पिजड़ा भी लगाया जाएगा।

कई गांवों में तेंदुए की दहशत

अगवान पूरा से लेकर छजलेट के कई गांवों में तेंदुए की दहशत फैली हुई है। अगवानपुर से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर शेर पौड़ी एत्मादपुर में रात में तेंदुआ दिखाई दिया। पुल के ऊपर कई लोगों ने छजलेट के गांव में रामगंगा के किनारे होने का दावा भी किया है। यहां के लगभग 25 -35 किलोमीटर के दायरे मे तेन्दुए की दहशत बरकरार है।



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Shashi kant gautam

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