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सही समय पर इलाज न मिलने से होती हैं ज्यादातर मौतें और विकलांगता, जानें और भी कारण

देश में सड़क हादसों में मरने वालों और गंभीर रूप से घायल होने वालों की संख्या में पिछले साल औसतन तीन प्रतिशत की कमी आई, लेकिन उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या चार प्रतिशत बढ़ गई। उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, नौएडा एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे जैसे मार्गों पर वाहनों का तेज रफ्तार है।

priyankajoshi
Published on: 19 Feb 2018 1:05 PM IST
सही समय पर इलाज न मिलने से होती हैं ज्यादातर मौतें और विकलांगता, जानें और भी कारण
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लखनऊ: देश में सड़क हादसों में मरने वालों और गंभीर रूप से घायल होने वालों की संख्या में पिछले साल औसतन तीन प्रतिशत की कमी आई, लेकिन उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या चार प्रतिशत बढ़ गई। उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, नौएडा एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे जैसे मार्गों पर वाहनों का तेज रफ्तार है।

सड़क सुरक्षा पर उच्चतम न्यायालय की कमिटी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 की तुलना में 2017 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या में 4,560 मौतों की अर्थात 3 प्रतिशत की कमी आई। लेकिन उत्तर प्रदेश में 2016 की तुलना में पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 4 प्रतिशत बढ़ गई। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में कुल 19,320 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई थी। जबकि 2017 में यह संख्या बढकर 20,142 हो गई।

सड़क दुर्घटनाओं से सबसे अधिक मौतें भारत में

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में पूरे देश में एक लाख 46 हजार 377 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई, जबकि 2016 में डेढ़ लाख 935 लोगों की मौत हुई थी। दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं से सबसे अधिक मौतें भारत में होती है। दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली दस में से एक मौत भारत में होती है।

सड़क दुर्घटनाओं में यूपी नंबर वन

नेशनल क्राइम रेकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालने पर पता चलता है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। विशेषज्ञों के अनुसार दुर्घटनाओं में वृद्धि होने का कारण नौएडा-ग्रेटर नौएडा, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे जैसी सड़कों पर बहुत तेज रफ्तार में वाहनों का चलना है।

मौके पर मौत या विकलांग होने की ये हैं वजह

स्पाइन एवं न्यूरो सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि इसके अलावा घायलों के देर तक सड़क पर ही पड़ा रहना, उनका प्राथमिक उपचार नहीं होना, उन्हें गलत तरीके से उठाकर अस्पताल लाना और तत्काल सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण ज्यादातर घायलों की मौत हो जाती है या ताउम्र के लिए विकलांग हो जाते हैं। जबकि सही समय पर सही इलाज से उनकी जान बचाई जा सकती है।

सहीं समय पर दे सकते है जीवन दान

नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल में न्यूरो एवं स्पाइन सर्जरी विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि आज के समय में ऐसी तकनीकों का विकास हो चुका है जिनकी मदद से दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को जीवन दान दिया जा सकता है और उसे विकलांग होने से बचाया जा सकता है लेकिन इसके लिये जरूरी है कि घायल व्यक्ति को जल्द से जल्द अत्यंत सावधानीपूर्वक अस्पताल लाया जाए और सही समय पर सही इलाज शुरू हो जाए।

सही तरीके से करें दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मदद

डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में सिर या स्पाइनल कार्ड या इन दोनों को क्षति पहुंचने की आशंका न केवल बहुत अधिक होती है, बल्कि इन दोनों महत्वपूर्ण अंगों की क्षति मौत और विकलांगता का कारण बन सकती है। आम तौर पर सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के सिर की चोट की तरफ अधिक ध्यान जाता है, जबकि स्पाइनल कॉर्ड की चोट की या तो अनदेखी हो जाती है या उसकी तरफ बाद में ध्यान जाता है। सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाते समय भी उसके सिर की चोटों की तरफ अन्य अंगों की चोट की अपेक्षा अधिक ध्यान दिया जाता है जिससे जाने-अनजाने मरीज की स्पाइनल कॉर्ड कट जाती है या क्षतिग्रस्त हो जाती है, क्योंकि उनका वर्टिब्रल कालम दुर्घटना के दौरान ही टूट चुकी होती है।

लखनऊ के शुभ लवी अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डा.शुभ मेहरोत्रा के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों में से तकरीबन 10 से 15 प्रतिशत लोगों की स्पाइन दुर्घटना के दौरान क्षतिग्रस्त नहीं होती है, लेकिन घायल व्यक्ति को गाड़ी से निकालने या अस्पताल ले जाने के दरम्यान उसकी स्पाइन क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसलिए आसपास के लोगों को चाहिओ कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को कम से कम हिलाए-डुलाए अथवा मोडे़ बगैर सीधा उठाकर एंबुलेंस या गाड़ी में सावधानी पूर्वक लिटाना चाहिए। अगर मरीज किसी कार के अंदर फंसा हुआ हो तो मरीज को मोड़कर निकालने की बजाय वाहन के चदरे को काटकर या वाहन की सीटों को उठाकर मरीज को निकालना चाहिए।

डा. राहुल गुप्ता ने बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति के सिर में चोट लगने पर तत्काल सड़क के किनारे उल्टा या करवट में लिटा दिया जाना चाहिये ताकि घायल व्यक्ति अगर उल्टी करे तब उल्टी फेफड़ों में नहीं जा पाये और फेफड़ों में संक्रमण न हो। इससे एक फायदा यह होगा कि उसे मिर्गी का दौरा आने पर उसकी जुबान नहीं कटेगी। घायल व्यक्ति के शरीर के किसी स्थान से रक्त बहने पर वहां पट्टी या रूमाल कस कर बांध देना चाहिये ताकि रक्तस्राव कम हो और मरीज को अस्पताल पहुंचते ही उसे टांके लग सकें। सिर या स्पाइनल कार्ड की किसी भी तरह की चोट या क्षति को कभी भी हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए और इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए क्योंकि इलाज में देर होने पर मरीज को स्थायी क्षति पहुंच सकती है। हालांकि, आज इंडोस्कोपी और रोबोटिक सर्जरी जैसी तकनीकों के आर्विभाव के कारण दिमाग के आॅपरेशन पूरी तरह से सुरक्षित, लगभग कष्टरहित और कारगर बन गये हैं। दुर्घटना के शिकार घायलों के इलाज में सीटी स्कैन, आईसीयू तथा वेंटिलेटर की बेहतर सुविधाओं की जरूरत होती है। काफी अस्पतालों में में ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हो गई है।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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