TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

दिव्यांग मां-बेटी ने पीएम से मांगी इच्छामृत्यु, मदद न मिलने से निराश

मुख्यमंत्री ने मदद के नाम पर 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता की है, लेकिन मां बेटी इसे नाकाफी मानती हैं। बेटी ग्रेजुएट है। वह अपना और मां का पेट भरने के लिए नौकरी मांग रही है। अब बेटी भी इसी बीमारी के चलते बिस्तर पर है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जेनेटिक बीमारी हैl यह धीरे धीरे चपेट में लेती है।

zafar
Published on: 14 Aug 2016 6:46 PM IST
दिव्यांग मां-बेटी ने पीएम से मांगी इच्छामृत्यु, मदद न मिलने से निराश
X

कानपुर: प्रधानमंत्री कार्यालय से जरूरत भर मदद न मिलने से निराश मां बेटी ने अब पीएम से इच्छामृत्यु की मांग की है। कानपुर की ये मां बेटी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। इससे पहले मां-बेटी ने पीएम से मदद मांगी थी, लेकिन कुछ नहीं मिला। मुख्यमंत्री ने मदद के नाम पर 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता की है, लेकिन मां बेटी इसे नाकाफी मानती हैं। बेटी ग्रेजुएट है। वह अपना और मां का पेट भरने के लिए नौकरी मांग रही है।

musculer dystrophy-euthanasia

इच्छामृत्यु की मांग

-यशोदा नगर स्थित शंकराचार्य नगर निवासी शशि मिश्र के पति की 14 साल पहले मौत हो चुकी है।

-शशि मस्कुलर डिस्ट्राफी नाम की बीमारी से पीड़ित हैं जिसकी वजह से चलने फिरने में असमर्थ हैं।

-चार साल पहले इकलौती बेटी अनामिका (32) भी इसी बीमारी की चपेट में आकर लाचार हो गई।

-शशि के मुताबिक बेटी के इलाज में घर की सारी जमापूंजी भी खत्म हो गई।

musculer dystrophy-euthanasia

जेनेटिक है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

-अब मां-बेटी का बिस्तर से उठना मुश्किल हो गया है। दोनों मोहल्ले के लोगों के रहमोकरम पर जीने को मजबूर हैं।

-बेटी ने बताया कि पिता बिजनेसमैन थे। 1985 में मां की तबियत ख़राब हुई तब पता चला कि उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी हैl

-पिता ने इलाज कराया। लेकिन उनके निधन के बाद इलाज में जमीन तक बिक गईl

-कुछ दिनों स्कूल और कोचिंग में पढ़ा कर इलाज जारी रखा। लेकिन अब बेटी भी इसी बीमारी के चलते बिस्तर पर है।

-मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जेनेटिक बीमारी हैl यह धीरे धीरे चपेट में लेती है।

musculer dystrophy-euthanasia

नहीं मिली मदद

-बेटी ने चार साल से कमरे के बाहर दुनिया नहीं देखी। बिना बिजली और पानी के जीवन काट रही हैं।

-बेटी ने पीएम को पत्र भेज कर मदद मांगीl इलेक्ट्रानिक बेड, इलेक्ट्रानिक व्हील चेयर और जॉब की मांग की।

-जवाब न आने पर रिमाइंडर भेजती रहीं। फिर एक पत्र आया कि यूपी सरकार को कह दिया है।

-यूपी सरकार ने 50 हजार की मदद दीl लेकिन वो आर्थिक मदद नहीं नौकरी मांग रही हैं कि 50 हजार से कितने दिन काम चलेगा।

-एक स्थानीय डॉक्टर मां-बेटी का मुफ्त इलाज कर रहे हैं। रिश्तेदारों के किनारा करने के बाद परिवार के डॉ. अभिषेक मिश्र ने मदद को हाथ बढ़ाया। -दवाइयों और जांच में होने वाला खर्च भी डॉक्टर खुद वहन कर रहे हैं।

-लेकिन मां-बेटी का सवाल है कि आखिर कब तक?



\
zafar

zafar

Next Story