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इस मामले में सांसद प्रज्ञा ठाकुर को तो माफी मिल गयी, अब इनका क्या होगा
महात्मा गांधी के पुतले पर पहले एयर पिस्टल से गोली दागी गई जिससे पुतले से बनावटी खून बहने लगा और फिर पुतले में आग लगा दी गई। इस दृश्य में कार्यकर्ता कुछ नारे लगाते हुऐ भी दिख रहे हैं।
अलीगढ़: नाथूराम गोडसे को देशभक्त की संज्ञा देने वाली सांसद प्रज्ञा ठाकुर को माफी मिल गई। पर यहां गोडसे मंचन करने के जुर्म में पुलिस ने 11 आरोपियों को मुल्जिम करार देते हुए अदालत में चार्जशीट (आरोपपत्र) दाखिल कर दिया है।
गोडसे मंचन में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को एक वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने खुद संज्ञान लेकर प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।
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वीडियो में दिखाई दे रहा था कि महात्मा गांधी के पुतले पर पहले एयर पिस्टल से गोली दागी गई जिससे पुतले से बनावटी खून बहने लगा और फिर पुतले में आग लगा दी गई। इस दृश्य में कार्यकर्ता कुछ नारे लगाते हुऐ भी दिख रहे हैं।
हालांकि रिपोर्ट दर्ज करवाने वाले दरोगा संजीव कुमार ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और गांधी जी के पुतले को जलाने से नामजदों को रोकने की कोशिश करने का जिक्र अपनी प्राथमिकी में किया है।
कोर्ट में पेश की गई 93 पेज की चार्जशीट में सबूत के तौर पर वायरल वीडियो की सीडी और मुल्जिमों का आरोप कबूल करना दर्शाया गया है।
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पाण्डेय व उनके पति राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक कुमार पाण्डेय एवं सभा के प्रदेश सचिव गजेन्द्रपाल सिंह आर्य तथा मण्डल महासचिव जयवीर शर्मा समेत सभी आरोपियों को आधा दर्जन आरोपों के दायरे में लिया गया है।
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आई0पी0सी0 की धाराओं में 147 (5 से अधिक लोगों का कानून के विरूद्ध जमाव), 148 (हथियार समेत इकट्ठा होना), 149 (इन्हीं लोगों द्वारा अपराध को अंजाम देना), 153ए (दो वर्गों में शत्रुता को भड़काना), 295ए (धार्मिक भावना का अपमान) एवं धारा संयुक्त प्रान्त विशेष अधिनियम (किसी की शवयात्रा निकालकर उसका उपहास उड़ाना)।
ये सभी धाराऐं एफआईआर के समय ही अंकित कर दी गई थीं। इन धाराओं में 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है।
सभा के सचिव गजेन्द्रपाल सिंह आर्य का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे आरोपों में गिरफ्तार करने पर रोक लगा देने का आदेश जारी किया जा चुका है फिर भी अरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
हिन्दू महासभा का दूसरा तर्क है कि ‘‘मी नाथूराम गोडसे बोलता हे’’ नाटक में महात्मा गांधी की हत्या करते हुऐ दृश्य को फिल्माया जा चुका है। इस नाटक के प्रसारण में किसी भी तरह की कानूनी पाबन्दी नहीं है।
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दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पुलिस की कार्यवाह को कानून संगत बताया है उनका कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान राष्ट्रद्रोह के दायरे में आना चाहिए।