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UPSRTC में करोड़ों का MST घोटाला, इस तरह लगाया जा रहा चूना
मेरठ: यूपी परिवहन निगम की एमएसटी (मासिक पास योजना) में एक निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा करोड़ों रुपए की चपत लगाने का खुलासा हुआ है।
शुरुआती जांच में अकेले मेरठ क्षेत्र में इस साल जनवरी से अब तक करीब सवा करोड़ का चूना लगाए जाने का मामला अब तक पकड़ में आ चुका है। हेरफेर की जांच में में साइबर एक्सपर्ट की टीम जुटी हुई है। अब तक सामने आया है कि मेरठ क्षेत्र में 11 से 13 हजार रुपए प्रतिदिन का गबन ट्राईमैक्स कंपनी के प्रतिनिधि कर रहे हैं।
एमएसटी बनाने में करोड़ों रुपए का हेरफेर मेरठ के अलावा राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी हो रहा है। इस आशंका से रोडवेज के अफसर इनकार नहीं कर रहे हैं। ऐसे में एमएसटी के इस खेल में रोडवेज को अरबों रुपए का चूना लगना तय माना जा रहा है।
सफाई से हेराफेरी
विभागीय सूत्रों की मानें तो नियमानुसार ट्राईमैक्स कंपनी सीधे लखनऊ मुख्यालय से सभी सेंटरों पर फोकस करती है। इसमें एडमिन की आईडी और पासवर्ड मुख्यालय से पास किया जाता है। लेकिन मेरठ में कंपनी के स्थानीय कर्मचारी खुद इसका प्रयोग कर एमएसटी निर्गत कर रहे थे। दरअसल, ट्राईमैक्स कर्मचारियों द्वारा फर्जी ईमेलडआइडी के जरिये रुट चेंज करके इस कदर सफाई से हेराफेरी के इस खेल को अंजाम दिया जा रहा था कि रोडवेज अफसरों को भनक तक नही लगे।
ऐसे होता था खेल
मसलन, कोई यात्री मेरठ से दिल्ली तक सफर करता है तो उसकी एमएसटी मेरठ-दिल्ली तक न बना कर मेरठ-मोदीनगर तक बना दी गई। इसी तरह अन्य मार्गों के लिए किया जा रहा था, जहां पैसा तो लंबे मार्ग का लिया जाता था, लेकिन एमएसटी कम दूरी के मार्ग की बना दी जाती थी। सॉफ्टवेयर के जरिए ऐसा खेल कर दिया जाता था कि स्मार्ट कार्ड को यात्रा के दौरान ईटीएम (इलेक्ट्रानिक्स टिकटिंग मशीन ) इसे रीड नहीं कर पाती थी। यही नही यात्री की तसल्ली के लिए उसे उसके द्वारा दिए गए रुपये की फर्जी रसीद बनाकर दे जाती थी।
कैसे हुए खुलासा
खुलासा तब हुआ जब पिछले दिनों लखनऊ से तबादला होकर मेरठ आए मनोज कुमार पुंडीर ने मेरठ में क्षेत्रीय प्रबंधक का पदभार संभाल कर एसएसटी की समीक्षा के दौरान पाया कि स्मार्ट कार्ड के बावजूद निगम की आर्थिक आय में कमी आ रही है।
होगी कार्रवाई
यूपी परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक एन गोयल कहते हैं, साइबर एक्सपर्ट टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में विभागीय अफसरों और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। संलिप्तता पाए जाने पर संबंधित अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।