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Mukhtar Ansari Son: मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, यूपी सरकार को झटका

Mukhtar Ansari Son Abbas Ansari: अब्बास अंसारी ने एनएसए के तहत उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। कल यानी शुक्रवार 2 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई।

Krishna Chaudhary
Published on: 3 Feb 2024 6:38 AM GMT
Mukhtar Ansari Son Abbas Ansari
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Mukhtar Ansari Son Abbas Ansari  (photo: social media )

Mukhtar Ansari Son Abbas Ansari: पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन और बाहुबली राजनेता मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत उनके हिरासत को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक अब्बास अंसारी फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में कासगंज जेल में बंद हैं। वहीं, उसका माफिया पिता मुख्तार बांदा जेल में है।

दरअसल, अब्बास अंसारी ने एनएसए के तहत उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। कल यानी शुक्रवार 2 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई हुई। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द करते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया कि अगर किसी अन्य मामले में उसे हिरासत में रहने की आवश्यकता है तो उस पर इस निर्णय से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

क्या है पूरा मामला ?

मामला उस वक्त का जब मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में बंद थे। अंसारी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 3(2) के तहत चित्रकूट जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित 18 सितंबर 2023 के आदेश के तहत तीन महीने के लिए हिरासत में लिया गया था। राज्य सरकार की ओर से इसकी पुष्टि 2 नवंबर 2023 को गई थी। जब ये अवधि समाप्त हो रही थी, तब राज्य सरकार की ओर से 11 दिसंबर 2023 को एक और आदेश जारी कर बताया गया कि सुभासपा विधायक की हिरासत अवधि को अतिरिक्त छह माह के लिए बढ़ा दिया है।

अब्बास अंसारी ने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उनकी ओर से सीनियर वकील दयाशंकर मिश्र व अभिषेक मिश्र ने कोर्ट में पक्ष रखा। अंसारी के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल को अगले तीन महीने तक हिरासत में रखने के अपने पहले के आदेश पर पुनर्विचार करने का कोई अधिकार नहीं था। शीर्ष अदालत ने उनके तर्क मानते हुए कहा कि अब्बास अंसारी की हिरासत बढ़ाने का राज्य सरकार का आदेश अवैध था। सरकार के पास इसकी शक्ति नहीं है।

बता दें कि इससे पहले बीते माह 8 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी को 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के एक मामले में बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ जारी समन को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने पुलिस को पुनः समन जारी करने का आदेश दिया था। इस मामले में उसके छोटे भाई उमर अंसारी भी सुप्रीम कोर्ट से राहत पा चुका है। शीर्ष अदालत ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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