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Mukhtar Ansari Death: अपराध के साथ सियासी मैदान में भी मुख्तार ने दिखाई ताकत, मऊ सदर सीट पर कई बार जीता चुनाव

Mukhtar Ansari Death: पूर्वांचल की राजनीति में मुख्तार का लंबे समय तक दबदबा रहा है। मुख्तार ने 1996 में बसपा के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 28 March 2024 11:34 PM IST (Updated on: 28 March 2024 11:49 PM IST)
मुख्तार अंसारी
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मुख्तार अंसारी ( Pic: Social Media)

Mukhtar Ansari Death Update: माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की गुरुवार की शाम हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई। बांदा जेल (Banda Jail) में बंद मुख्तार की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज (Banda Medical College) लाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इससे पहले मंगलवार को भी मुख्तार की तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। बाद में हालत सुधरने पर मुख्तार को वापस बांदा जेल भेज दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि जेल में ही मुख्तार को दिल का दौरा पड़ा और इसके बाद मुख्तार की मौत हो गई।

पूर्वांचल की राजनीति में मुख्तार का लंबे समय तक दबदबा रहा है। मुख्तार ने 1996 में बसपा (BSP) के टिकट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था और इसके बाद वे 2017 के विधानसभा चुनाव तक लगातार विधायक बनने में कामयाब रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार ने वाराणसी संसदीय सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) को कड़ी चुनौती दी थी।

मऊ जिले में मुख्तार की मजबूत पकड़

मऊ (Mau) और गाजीपुर (Ghazipur) जिले को मुख्तार कुनबे की मजबूत पकड़ वाला जिला माना जाता रहा है। मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजीपुर संसदीय सीट (Ghazipur Lok Sabha Seat) पर भाजपा (BJP) के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा को हरा दिया था। मऊ जिले में तो मुख्तार की लंबे समय तक मजबूत पकड़ रही है। वे लगातार करीब 25 वर्ष तक मऊ सदर सीट से विधायक का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। मुख्तार ने बसपा के टिकट पर 1996 में पहला चुनाव इस सीट पर जीता था। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 2012 में वे कौमी एकता दल से चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे थे। 2017 के चुनाव में बसपा ने उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारा था और मुख्तार इस चुनाव में भी जीतने में कामयाब रहे थे। मुस्लिम मतदाताओं के निर्णायक भूमिका में होने के बावजूद समाजवादी पार्टी इस सीट पर कभी नहीं जीत पाई।

2017 में भी मुख्तार ने दिखाई थी ताकत

मऊ सदर सीट पर मुख्तार अंसारी ने आखिरी चुनाव 2017 में लड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और उन्हें 96,793 मत हासिल हुए थे। उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 8,698 मतों से शिकस्त दी थी। राजभर को 88,095 मत मिले थे जबकि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अल्ताफ अंसारी (Altaf Ansari) 72,016 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। 2017 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने मुस्लिम वोट बैंक में गहरी सेंध लगाई थी मगर इसके बावजूद मुख्तार अंसारी ने जीत हासिल की थी। जानकारों का कहना था कि मुख्तार को अन्य वर्गों का भी समर्थन हासिल हुआ था जिसकी वजह से उन्होंने यह जीत हासिल की थी।

2022 के चुनाव में बेटे को सौंप दी विरासत

2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी की जगह उनके बेटे अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) ने मऊ विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा था।। इस चुनाव में सुभासपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे अब्बास अंसारी ने भाजपा के अशोक सिंह को 38,116 वोटों से हरा दिया था। अब्बास अंसारी को 1,24,691 वोट मिले थे जबकि भाजपा प्रत्याशी अशोक सिंह ने 86,575 वोट हासिल हुए थे। बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा था और उन्हें 44,516 वोट मिले थे। इस चुनाव के दौरान भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद मुख्तार खेमा अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रहा था।

पूर्वांचल में मुख्तार का कुनबा भी काफी मजबूत

मुख्तार अंसारी के परिवार की पूर्वांचल की राजनीति पर मजबूत पकड़ रही है। मऊ और गाजीपुर की सियासत पर इस परिवार का गहरा असर रहा है। मुख्तार अंसारी ने कई बार मऊ सीट से चुनाव जीता और मौजूदा समय में मुख्तार का बेटा इस सीट से विधायक है। मुख्तार के बड़े भाई का बेटा गाजीपुर की ही एक सीट से विधायक है जबकि मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी खुद गाजीपुर से सांसद हैं। अफजाल गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से पांच बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं। अफजाल अंसारी ने सपा के टिकट पर 2004 में पहली बार गाज़ीपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। 2009 में बसपा के टिकट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था जबकि 2014 में कौमी एकता दल के उम्मीदवार के रूप में उन्हें बलिया सीट पर हार मिली थी। 2019 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर मनोज सिन्हा जैसे दिग्गज उम्मीदवार को हराया था। अब 2024 की सियासी जंग में सपा ने उन्हें गाज़ीपुर सीट पर फिर उतारने का ऐलान किया है।



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Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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