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Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी डॉन, नेता या रॉबिन हुड, कितने अपराध और कितनी सजा

Mukhtar Ansari: यूपी में शायद ही कोई शख्स हो जो मुख्तार अंसारी के नाम से वाकिफ न हो। कुछ लोग मुख्तार अंसारी से खौफ खाते हैं तो कुछ उन्हें दयालु और अपना रहनुमा मानते हैं।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 15 Feb 2023 2:02 PM IST (Updated on: 15 Feb 2023 2:02 PM IST)
Mukhtar Ansari Don, Leader or Robin Hood
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Mukhtar Ansari Don, Leader or Robin Hood (Image: Newstrack)

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का एक बड़ा नाम है। यूपी में शायद ही कोई शख्स हो जो मुख्तार अंसारी के नाम से वाकिफ न हो। कुछ लोग मुख्तार अंसारी से खौफ खाते हैं तो कुछ उन्हें दयालु और अपना रहनुमा मानते हैं। मुख्तार अंसारी पर विधायक की हत्या से लेकर अफसर की हत्या तक का केस दर्ज हुआ। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई तक ने उनकी जांच की, लेकिन मुख्तार अंसारी के शातिर दिमाग और फुलप्रूफ प्लान के चलते उन पर आरोप साबित नहीं हो पाए। कभी मुख्तार अंसारी पर 50 से अधिक मुकदमे दर्ज थे लेकिन आज उन पर मात्र 10 मुकदमे रह गए हैं।

मुख्तार का जिक्र एक बार फिर इसलिए ताजा हो गया है क्योंकि गाजीपुर की एक अदालत ने गुरुवार 15 दिसंबर 2022 को उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई है। पूर्व विधायक को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट ने उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मुख्तार अंसारी और भीम सिंह को गुरुवार को गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी करार दिया गया है।


विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1996 के गैंगस्टर मामले में कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुना दिया. गाजीपुर में विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने दोपहर करीब ढाई बजे फैसला सुनाया है, हालांकि फैसले के वक्त मुख्तार अंसारी कोर्ट में मौजूद नहीं थे।

प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत और सुरक्षा कारणों से मुख्तार अंसारी को गाजीपुर कोर्ट नहीं भेजा गया। इसलिए प्रयागराज के ईडी कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई थी।

1996 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह गैंगस्टर एक्ट का मामला दर्ज हुआ था. मुख्तार के खिलाफ पांच मुकदमों के आधार पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। इन पांच मामलों में कांग्रेस नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या और एडिशनल एसपी पर जानलेवा हमला भी शामिल है।

इस मामले में कोर्ट ने 26 साल बाद सजा सुनाई है। यह पहला मौका है जब मुख्तार अंसारी को किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। अवधेश राय की हत्या, कांस्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या, कांस्टेबल रघुवंश सिंह की हत्या, एडिशनल एसपी पर हमले और गाजीपुर में पुलिसकर्मियों पर हमले के मामले में एक साथ गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था।


इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया और अदालत ने राजधानी लखनऊ के आलमबाग थाने से जुड़े एक क्रिमिनल केस में माफिया मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए दो साल कारावास की सजा सुनाई।

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की अपील को मंजूर करते हुए अपना फैसला सुनाया। हालांकि मुख्तार अंसारी पहले से ही जेल में बंद है।

दरअसल ये मामला साल 2003 की है। तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार अंसारी के खिलाफ केस दर्ज कराई थी। उनके अनुसार जेल में बंद मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने के बाद उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी।

एसके अवस्थी ने बताया कि उनके साथ गाली-गलौज भी हुआ था। इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी अवस्थी पर पिस्तौल भी तान दी थी। आपको बता दें, इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मुख्त अंसारी को बरी कर दिया था।

जिसके खिलाफ सरकार ने ऊपरी अदालत में अपील दायर की थी। बता दें कि, माफिया मुख्तार अंसारी इस वक्त बांदा जेल में बंद हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच जेल प्रशासन के साथ कानपुर के एक डिप्टी जेलर की ड्यूटी लगाई गई है। जेल प्रशासन अनुसार, मुख्तार की सुरक्षा में करीब 32 सुरक्षाकर्मी 24 घंटे लगे हैं। इतना ही नहीं अंदर बैरक में सुरक्षाकर्मी बॉडी कैम से लैस रहते हैं।

अगर आपराधिक इतिहास की बात करें तो मुख्तार का नाम पहली बार 1988 में चर्चा में आया था। मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम आया था।


इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कॉन्स्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई। इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया। इसके बाद मुख्तार और ब्रजेश गैंग के टकराव की पूर्वांचल में गूंज सुनाई देने लगी।

1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया। अपने काम को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ हीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई।

इसके बाद 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आए, लेकिन आरोप है कि रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर वो फरार हो गए। इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के कारोबार पर मुख्तार की नजर गई और उसने बाहर रहकर इन्हें हैंडल करना शुरू किया। 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उनका नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया।

राजनीति में एंट्री 1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बने। इसके बाद उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया। 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद मुख्तार का नाम अपराध की दुनिया में देश में छा गया।

आरोप है कि 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया। इसमें मुख्तार के तीन लोग मारे गए। ब्रजेश सिंह घायल हो गए। इसके तार बाद कथित रूप से मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले कार गैंग लीडर बनकर उभर गए।


मुख्तार 2005 से जेल में बंद हैं। उसी दौरान मऊ जिले में हिंसा भड़की। इसमें द हैं। उन पर कई आरोप लगे, हालांकि वे सभी खारिज हो गए। उसी दौरान उन्होंने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से वे जेल में बंद हैं।

यह वह दौर था जब कृष्णानंद राय का पूर्वांचल की राजनीति में उदय हुआ और कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए। मुख्तार पर आरोप है कि उन्होंने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतिकुर्रह्यान उर्फ बाबू की मदद से 5 साथियों सहित कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी।

2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा। मौर्य, मन्नत सिंह नामक एक स्थानीय ठेकेदार की हत्या का गवाह था। मुख्तार और उनके दोनों भाइयों को 2010 में बसपा ने निष्कासित कर दिया।

साल 2005 में मुख्तार अंसारी जेल में बंद थे। इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की उनके 5 साथियों सहित सरेआम गोलीमार हत्या कर दी गई। हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थी।

मारे गए लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थी। इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाया गया था। उसने कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला करने वालों में से अंसारी और बजरंगी के निशानेबाजों अंगद राय और गोरा राय को पहचान लिया था।

कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह गाजीपुर-मऊ क्षेत्र से भाग निकला। 2008 में उसे उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया। 2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था। 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगाया।


कहा जाता है कि मुख्तार अंसारी की हत्या के लिए ब्रजेश सिंह ने लंबू शर्मा को 6 करोड़ रुपए की सुपारी दी गई थी। इसका खुलासा साल 2014 में लंबू शर्मा की गिरफ्तारी के बाद हुआ था। इसके बाद से जेल में अंसारी की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। मुख्तार पर चल रहे दस मुकदमों में से अकेले चार गैंगस्टर के हैं। गैंगस्टर तीन मुकदमे गाज़ीपुर जिले के हैं, जबकि एक मऊ का है।

मुख्तार के तमाम सनसनीखेज हत्याकांड में बरी होने के पीछे पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि मुख्तार अंसारी बहुत शातिर दिमाग प्लानर है। इसकी वजह यह है कि वह खुद किसी हत्यकांड को अंजाम नहीं देता, बल्कि अपने करीबियों से वारदात को अंजाम दिलवाता है। इसी कारण मामला ट्रायल में जाने पर गवाहों की हत्या, गवाहों को खरीदने, डराने-धमकाने के तमाम हथकंडे के सहारे ही अदालत से सजा नहीं हो पाती।

मुख्तार अंसारी लगभग 17 सालों से जेल में बंद है और इस दौरान कथित तौर पर जेल से ही अपना गैंग ऑपरेट को लेकर सुर्खियों में रहा है। पिछले दो सालों में मुख्तार और उसके परिवार के सदस्यों (पत्नी, बेटा, भाई और करीबी सहयोगी) को कई आपराधिक मामलों खारिज हो का सामना करना पड़ा है।

इनमें से सात मामले अंसारी के खिलाफ दर्ज हैं, दो उसकी पत्नी अफ्शा के खिलाफ, चार बड़े बेटे अब्बास के खिलाफ, दो मामले छोटे बेटे उमर के खिलाफ और दो मामले मुख्तार के दो साले आतिफ रजा उर्फ शरजील रजा और अनवर शहजाद के खिलाफ दर्ज हैं।

उमर अंसारी को छोड़कर, अन्य सभी फरार हैं और अदालतों ने सभी को भगोड़ा घोषित किया हुआ है। यूपी पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक, अंसारी के खिलाफ कुल 59 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 20 मामले तब दर्ज किए गए जब वह जेल में था। इनमें से चार हत्या के मामले और सात यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज हैं।



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Durgesh Sharma

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