TRENDING TAGS :
Photos Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह का ऐसा रहा राजनीतिक सफर, देखें Newstrack की इन तस्वीरों में
Mulayam Singh Yadav Photos: आज समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है। वहीं बीते महीने यूपी के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि अपने 83 वें जन्मदिन से मुश्किल से डेढ़ महीने पहले मुलायम सिंह यादव गुड़गांव के मेदांता हास्पिटल में भर्ती हुए थे जहां सुबह 8:00 बजे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया था।
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का ऐसा रहा राजनीतिक सफर
पहलवानी करने वाले और फिर उसके बाद टीचिंग पेशे में आने वाले मुलायम सिंह ने कई बड़े नेताओं की शागिर्दी भी की लेकिन उसके बाद अपना दल बनाया और यूपी पर एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार राज किया।
यूपी की पॉलिटिक्स जिन धर्म और जाति के मुकामों की प्रयोगशाला से गुजरी, उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम भी थे। पुराने लोगों को अब भी याद है कि किस तरह लखनऊ में मुलायम 80 के दशक में साइकिल से सवारी करते भी नजर आ जाते थे।
चौधरी चरण सिंह से तब क्षुब्ध हो गए
चौधरी चरण सिंह से तब वह क्षुब्ध हो गए थे जबकि उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल में मुलायम सिंह के यादव के जबरदस्त असर और पकड़ के बाद भी अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी की कमान देनी शुरू कर दी।
08 बार विधायक और 07 बार सांसद
मुलायम सिंह यादव 1967 से लेकर 1996 तक 08 बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए चुने गए। एक बार 1982 से 87 तक विधान परिषद के सदस्य रहे। 1996 में ही उन्होंने लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा और चुने गए। इसके बाद से अब तक 07 बार लोकसभा में पहुंच चुके हैं। अब भी लोकसभा सदस्य हैं।
हवा को भांपने की गजब क्षमता
इसमें कोई शक नहीं कि वह जिस बैकग्राउंड से राजनीति में आए और मजबूत होते गए, उसमें उनकी सूझबूझ थी और हवा को भांपकर अक्सर पलट जाने की प्रवृत्ति भी। कई बार उन्होंने अपने फैसलों और बयानों से खुद ही अलग कर लिया।
1977 में वह पहली बार यूपी में पहली बार मंत्री बने। तब उन्हें कॉ-ऑपरेटिव और पशुपालन विभाग दिया गया।
राजनीति के दांवपेच लोहिया और चरण सिंह से सीखे
राजनीति के दांवपेंच उन्होंने 60 के दशक में राममनोहर लोहिया और चरण सिंह से सीखने शुरू किए। लोहिया ही उन्हें राजनीति में लेकर आए। लोहिया की ही संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें 1967 में टिकट दिया और वह पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद वह लगातार प्रदेश के चुनावों में जीतते रहे। विधानसभा तो कभी विधानपरिषद के सदस्य बनते रहे।
विवादों और पारिवारिक कलह से सामना
मुलायम सिंह यादव कई बार अपने विवादित बयानों को लेकर भी चर्चा में आए। हालांकि पिछले कुछ सालों में उनके व्यक्तिगत जीवन में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जिससे वह पारिवारिक तौर पर उलझते रहे, परिवार से लेकर कुनबे तक तमाम अंतर्कलह के हालात का उन्हें पिछले कुछ सालों में खूब सामना करना पड़ा है। इस बीच कई बार उनकी तबीयत भी गंभीर तौर खराब हो चुकी है। भले ही मुलायम सिंह छोटे कद के थे लेकिन भारतीय राजनीति के पुरोधा थे।
भारतीय पॉलिटिक्स में ऐसे राजनीतिज्ञ भी हैं, जो सियासी दलों और विचारधाराओं से परे जाकर सबके काम आते रहे हैं और खुद भी सबसे सहयोग पाते रहे हैं। हां, वो इस बात पर जरूर मन मसोस सकते हैं कि लाख चाहने के बाद भी मुलायम सिंह कभी प्रधानमंत्री की गद्दी तक नहीं पहुंच सके।