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स्कूली दोस्त को कुश्ती में नहीं हरा पाए थे मुलायम, मंत्री बनने के बाद फिर दिया चैलेंज
Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव चूंकि, पॉलिटिकल फेस हैं, तो राजनीतिक किस्से होंगे ही। लेकिन कई किस्से हैं, जो उनके काम या इस सफर से इतर हैं। उनके दोस्तों के साथ कई किस्से काफी मशहूर रहे हैं।
Mulayam Singh Yadav: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक और वर्तमान में पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के कई किस्से मशहूर हैं। चूंकि, वह पॉलिटिकल फेस हैं, तो राजनीतिक किस्से होंगे ही। लेकिन कई किस्से हैं, जो उनके काम या इस सफर से इतर हैं। उनके दोस्तों के साथ कई किस्से सुने जाते रहे हैं।
मुलायम के मित्र भी इस बात को मानते हैं कि वो राजनीति के शिखर तक गए, बावजूद दोस्तों को नहीं भूले। कई ऐसे दोस्त भी रहे जो उनसे तब मिले जब मुलायम या तो मंत्री बन चुके थे या मुख्यमंत्री। लेकिन उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। बचपन और स्कूली दिनों के किस्से उन्हें हमेशा याद रहे। आज एक ऐसा ही किस्सा जो उनके शिक्षक उदय प्रताप सिंह (Uday Pratap Singh) ने 'न्यूज़ नशा' नाम के यूट्यूब चैनल से बात करते हुए बताई।
हम पहले भी बता चुके हैं, कि समाजवादी पार्टी संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव स्कूल पढ़ाई के दौरान ही राममनोहर लोहिया के 'जेल भरो आंदोलन' (Jail Bharo Andolan) से जुड़ गए थे। तब मुलायम सिंह की उम्र महज 14 साल थी। उन्होंने गिरफ्तारी के लिए अपना नाम भी लिखवाया। सरकारी नीतियों को चुनौती दी। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता अपने क्षेत्र में लगातार बढ़ती चली गई। मुलायम सिंह यादव के शिक्षक उदय प्रताप सिंह ने उनसे जुड़ा जो किस्सा सुनाया वह उनके स्कूली दिनों का था।
'सरयुद्दीन से कुश्ती लड़ लो'
उदय प्रताप सिंह ने बताया, "तब हमारे स्कूल में सरयुद्दीन त्रिपाठी (Sarayuddin Tripathi) नाम का एक छात्र हुआ करता था। सरयुद्दीन ने पोल वोल्ट प्रतियोगिता (Pole Vault Competition) में पहला स्थान हासिल किया। लाइट वेट चैंपियन बन गया।" उदय प्रताप बताते हैं, 26 जनवरी नजदीक था तो प्रिंसिपल साहब ने मुझसे खेल प्रतियोगिता का आयोजन करने को कहा। चूंकि, स्कूल में बच्चे मुझे पसंद करते थे, तो मेरे लिए यह आसान था। उस वक्त सरयुद्दीन मेरे पास ही रहता था। तब मैंने मुलायम से कहा था, कि तुम सरयुद्दीन से कुश्ती लड़ लो।
रोमांचक रहा मुलायम का मित्र से मुकाबला
उदय प्रताप सिंह बातचीत में आगे कहते हैं, 'सरयुद्दीन त्रिपाठी की ऊंचाई 6 फीट थी। उस तुलना में मुलायम की कम थी। कुश्ती की प्रतियोगिता शुरू हुई। मुलायम शुरुआत से ही कुश्ती के दांव-पेच में माहिर थे। लेकिन सरयुद्दीन को यह मालूम नहीं था। उदय प्रताप कहते हैं मुलायम उसको पटक तो लेते थे, लेकिन इनकी छोटी बाहें सरयुद्दीन के बड़े शरीर के बराबर नहीं आती थीं। हालांकि इस कुश्ती प्रतियोगिता में दोनों में से किसी की भी हार नहीं हुई। मुकाबला बराबरी पर समाप्त हुआ। बाद में सरयुद्दीन इसी विधानसभा के सिक्योरिटी अफसर हो गए।
मंत्री बनने के बाद दोस्त को दी चुनौती
उदय प्रताप आगे कहते हैं, 'मुलायम सिंह यादव राजनीति में नित नई ऊंचाइयों को छूने लगे। फिर पहली बार सहकारिता मंत्री बने। 1977 की बात है मैं किसी काम से आया हुआ। मैं लोगों से बात करते पीछे-पीछे चल रहा था। मुलायम सिंह आगे-आगे चल रहे थे। मुलायम एक जगह रुके। वहां सरयुद्दीन त्रिपाठी खड़ा था। उन्होंने सरयुद्दीन के कान में कुछ कहा और आगे बढ़ गए। सरयुद्दीन ने बाद में मुझे कहा, "समझा लो इन्हें (मुलायम को), ये मंत्री हो गए हैं। लेकिन हमें बार-बार कुश्ती लड़ने का चैलेंज देते हैं।"
यह पूरा वाकया एक मजाकिया किस्सा था। मुलायम सिंह यादव का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा रहा है। वो अपने दोस्तों से ऐसे ही मिलते रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के ऐसे कई किस्से मशहूर हैं। उनके कई दोस्तों का कहना रहा है कि इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी जिस तरह मुलायम सिंह के पैर जमीन से जुड़े रहे हैं वह कम ही देखने को मिलता है। शायद इसलिए उन्हें धरती पुत्र (Dharti Putra) भी कहते हैं।
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