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Mulayam Singh Yadav Death: नेताजी का पूरा जीवन राजनीति और देश सेवा के लिए समर्पित रहा
Mulayam Singh Yadav Biography: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहें मुलायम सिंह यादव को देश के उन नेताओं में गिना जाता है, जिनके राजनीतिक दांव का किसी को पता नहीं रहता था।
Mulayam Singh Yadav Biography: मुलायम सिंह यादव देश के उन गिने चुने राजनेताओं में से एक थें, जिनका पूरा जीवन राजनीति और देश सेवा के लिए समर्पित रहा। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के साथ ही वह देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे। वह अस्सी साल के थें। अपने 50 से अधिक वर्षो के राजनीतिक जीवन में उनकी राजनीतिक कला उसी प्रकार की थी जिस प्रकार वह अपने जवानी के दिनों में कुश्ती कला के निपुण खिलाड़ी हुआ करते थें। 4 अक्टूबर 1992 को उन्होंने जिस समाजवादी पार्टी का गठन अपने दम पर किया था वो आज उत्तर प्रदेश में सियासत की सबसे अहम धुरी बन गई है।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहें मुलायम सिंह यादव को देश के उन नेताओं में गिना जाता था, जिनके राजनीतिक दांव का किसी को पता नहीं रहा। चौ.चरण सिंह के अनुयायी रहे मुलायम सिंह यादव डा.राममनोहर लोहिया के साथ भी रहें।
समाजवादी पार्टी के पहले अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह है।
मुलायम सिंह ने आगरा यूनिवर्सिटी से एमए और जैन इंटर कॉलेज मैनपुरी से बीटी की पढ़ाई की। उन्होंने अपना पढाई राजनीतिक विज्ञान में एमए के साथ की। इसके बाद वो इंटर कॉलेज में अध्यापक हो गए।
मुलायम सिंह का विवाह मालती देवी से हुआ था। अखिलेश यादव उन्ही के पुत्र हैं। मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया। मुलायम सिंह यादव ने अपना दूसरा विवाह साधना यादव के साथ किया था। प्रतीक यादव 1988 में पैदा हुए। फरवरी 2007 में मुलायम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दूसरी शादी की बात को स्वीकार किया।
मुलायम सिंह यादव बचपन से ही पहलवानी के शौकीन थें। वह 15 साल की उम्र में ही अखाडे़ जाकर बड़े-बड़े पहलवानों के साथ कुश्ती के जोर आजमाइश किया करते थें। इसी बीच उनका राजनीति में रूझान हुआ और उनकी मुलाकात डा. राममनोहर लोहिया से हो गयी जो कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू की नीतियों के खिलाफ थें।
मुलायम सिंह यादव पहली बार डॉ. राम मनोहर लोहिया के नहर रेट आंदोलन के दौरान जेल गए। कई आंदोलनों का हिस्सा बने मुलायम सिंह यादव 1967 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा पहुंचे। यह चुनाव अपने जिले इटावा की जसवंतनगर सीट से जीता। इसके बाद वह लगातार चुनाव जीतते रहे।
इसके बाद 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 समेत कुल 8 बार विधायक निर्वाचित हुए। 1977 में बनी जनता पार्टी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी बने। इसके बाद जब कांग्रेस का दौर फिर लौट तो मुलायम सिंह विपक्षी दलों के सहयोग से 1982-85 तक यूपी विधान परिषद् के सदस्य बने। फिर 1985-87 तक यूपी विधानसभा में नेता विपक्ष रहे।
इसके बाद जब 1989 का यूपी विधानसभा का चुनाव हुआ तो वह जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री बने। नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और कांग्रेस के समर्थन से वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे।
अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। 1991 में यूपी में मध्यावधि चुनाव हुए और अयोध्या आंदोलन में बाबरी ढांचे को बचाने के लिए चलवाई गई गोली के विरोध में वह हिन्दू जनमानस में उनकी नकारात्मक छवि बन गयी जिससे वह सत्ता से बाहर हो गए। फिर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर नेता प्रतिपक्ष बने।
इसके बाद प्रदेश में हुए राजनीतिक बदलाव के चलते मुलायम सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम उन्होंने समाजवादी पार्टी रखा। उन्होंने 4 अक्टूबर, 1992 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में समाजवादी पार्टी के गठन की घोषणा की।
इसके बाद जब मध्यावधि चुनाव हुए तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठबन्धन कर चुनाव लड़ा। सपा 256 सीटों पर लड़कर 109 सीट जीत गई। जबकि बहुजन समाज पार्टी ने 164 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की।
इस तरह गठबंधन ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। गठबंधन में सरकार बनाने के दो साल के अंदर ही सपा-बसपा के रास्ते अलग हो गए।
इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की राजनीति का रुख किया और 1996 में पहली बार यादव बाहुल्य लोकसभा सीट मैनपुरी से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद केंद्र में भी राजनीतिक उठापटक के चलते जब संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी तो मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने। इस बीच साझा सरकार गिरने पर मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर उभरा, लेकिन उनका यह इरादा सफल नहीं हो सका।
इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई और 1999 में मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट जीते। हालांकि, बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी, उपचुनाव में वो पहली बार सांसद बने। इसके बाद केन्द्र में हिलती डुलती चल रही अटल विहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 39 सांसदो की ताकत के चलते वह बड़े नेता के तौर पर अपनी छवि बना चुके थें।
इस बीच यूपी में मायावती की सरकार गिरने के कारण मुलायम सिंह यादव अपनी सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया। कहा जाता है कि भाजपा के अप्रत्यक्ष तौर पर मिले समर्थन के कारण ही मुलायम सिंह यादव एक बार फिर 2003 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।
वो 2007 तक मुख्यमंत्री रहे। दूसरी तरफ उन्होंने 2004 व 2009 में मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद 2014 में भी वह मैनपुरी के साथ आजमगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए। कुल आठ बार विधायक और एक बार विधान परिषद् सद्स्य रहने वाले मुलायम सिंह तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। वह 6 बार लोकसभा सांसद भी बने।