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Mulayam Singh Yadav News: हमेशा राजनीति की धुरी रहते हैं मुलायम सिंह यादव

Mulayam Singh Yadav News: मुलायम सिंह यादव उत्तरप्रदेश और देश की राजनीति का जाना माना नाम हैं। जिन्होंने लोहिया के विचारों से प्रेरित मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति की धुरी बने रहे औऱ समाजवादी पार्टी का गठन किया।

Tanveer Fatima
Written By Tanveer FatimaPublished By Shreya
Published on: 7 Dec 2021 7:11 PM IST
Mulayam Singh Yadav News: हमेशा राजनीति की धुरी रहते हैं मुलायम सिंह यादव
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मुलायम सिंह यादव (फोटो- न्यूजट्रैक) 

Mulayam Singh Yadav News: मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Latest News) और देश की राजनीति का जाना माना नाम हैं। तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार देश के रक्षा मंत्री के तौर पर मुलायम सिंह यादव ने अपने पद का निर्वहन किया है। लोहिया के विचारों से प्रेरित मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति की धुरी बने रहे औऱ समाजवादी पार्टी का गठन किया।

निजी जीवन में मुलायम सिंह यादव जी का पहला विवाह मालती यादव से हुआ था। जिससे उनका एक पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं। मालती यादव का 2003 में स्वर्गवास हो गया। उनकी दूसरी पत्नी का नाम साधना गुप्ता है। दूसरे पुत्र प्रतीक यादव कहे जाते हैं। उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव वर्तमान में समाजवादी पार्टी के संरक्षक के रूप में समाजवादी आंदोलन को दिशा दे रहे हैं।

प्रारंभिक जीवन (Mulayam Singh Yadav Wiki In Hindi)

मुलायम सिंह यादव का जन्म (Mulayam Singh Yadav Birthday) उत्तर प्रदेश के इटावा जिले (Etawah) के सैफई गांव (Mulayam Singh Yadav Birth Place) में 22 नवम्बर, 1939 को हुआ। इनकी माता का नाम (Mulayam Singh Yadav Mother) मूर्ति देवी और पिता का नाम (Mulayam Singh Yadav Father) सुधर सिंह यादव है । जो पेशे से किसान थे। पांच भाई बहनों के बीच मुलायम सिंह यादव दूसरे नम्बर की संतान थे। इनसे बड़े भाई (Mulayam Singh Yadav Brother) रतन सिंह यादव हैं।


फिर मुलायम सिंह यादव, इनसे छोटे भाई अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और बहन कमला देवी हैं। प्रोफेसर राम गोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं। मुलायम सिंह यादव ने युवावस्था में शिक्षक (Mulayam Singh Yadav Teacher) के तौर पर काम करना शुरु किया था। इसके अलावा पिता की इच्छानुरूप इन्होंने कुश्ती में भी हाथ आज़माए हैं।चरखा दांव के लिए प्रसिद्ध मुलायम सिंह यादव के दांव पेंच से प्रभावित होकर उनके राजनैतिक गुरू नत्थूसिंह (Guru Chaudhary Nathu Singh) ने उन्हें अखाड़े से निकाल कर सियासत की रिंग में पहुंचा दिया।

राजनीतिक कैरियर (Mulayam Singh Yadav Political Career In Hindi)

उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह यादव प्रदेश के एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने साधारण परिवार से निकलकर प्रदेश और देश की सियासत में एक बड़ी पहचान बनाई। मुलायम सिंह ने उत्तरप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। सामाजिक चेतना के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान हैं।


राम मनोहर लोहिया की विचारधारा से प्रभावित मुलायम सिंह यादव समाजवादी नेता रामसेवक यादव के प्रमुख शिष्य थे। इन्हीं के आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने। लोकदल के विधायक के रूप में सियासत में कदम रखने वाले मुलायम ने 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई।

समाजवादी पार्टी का गठन (samajwadi party established)

samajwadi party ka gathan kab hua - राममंदिर आंदोलन की गर्मी के बीच ही तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के छोटे राज्यों को समर्थन देने के मुद्दे से मुलायम सिंह यादव नाराज हो गये। सिंतबर 1992 को मुलायम ने तल्ख तेवर दिखाकर चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया। लोहिया के शिष्य और कांग्रेसी विचारधारा के तब तक प्रबल विरोधी मुलायम को अंदेशा था कि हो सकता है कि चंद्रशेखर कांग्रेस का दामन थाम लें। चंद्रशेखर और नरसिम्हा राव की नजदीकी इस वहम को हवा भी दे रही थी।

मुलायम जब राजनीति की दिशा तय करने की कोशिश में थे, तो उनका पैर टूट गया। अपने धुन के पक्के मुलायम ने फिर भी बैठकें जारी रखीं। इन्हीं बैठकों में एक में मुलायम के बेहद करीब मधु लिमए ने अपनी पार्टी बनाने का निर्णय लिया। इसका समर्थन मुलायम के भाई शिवपाल और सैफई के प्रधान दर्शन सिंह ने किया। कुछ दिन बाद छोटे लोहिया के नाम से राजनीति के दिग्गज और मुलायम के बेहद करीब जनेश्वर मिश्र ने भी बिना देर किए पार्टी बनाने की हामी भर दी।


यह सिर्फ मुलायम सिंह यादव का ही कौशल था कि पार्टी बनाते ही बिना चुनाव लड़े मुलायम की समाजवादी पार्टी के यूपी विधानसभा और विधान परिषद में 39 विधायक हो गये। बंगाल सोशलिस्ट पार्टी के किरणमोय नंदा ने अपनी पार्टी के विलय की घोषणा कर दी। 4 अक्टूबर, 1992 को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में मुलायम ने समाजवादी पार्टी का पहला स्थापना दिवस मनाया, मुलायम सिंह यादव उसके अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उसके उपाध्यक्ष और आज़म खान उसके महासचिव बना दिए गए।

नेताजी का दिल्ली सफर (Mulayam Singh Yadav Ka Delhi Safar)

1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे। उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे। यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं।


एच. डी. देवगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।

ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा के बजाय मुलायम कांग्रेस के स्वाभाविक सहयोगी बनेंगे पर 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी के नाम पर आपत्ति कर दी थी। इससे दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई।

मुलायम सिंह यादव राजनीति में कब किस पद पर (mulayam singh yadav ka rajnitik safar)

मुलायम सिंह (mulayam singh yadav political career in hindi) 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने।

इसके बाद 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993, 1996, 2004 और 2007 में विधानसभा का चुनाव जीता।

विधायक रहते हुए वे 1976 में विधायक समिति के मेंबर बने।

1977 में सहकारी एवं पशुपालन मंत्री बने।

1980 में लोकदल के अध्यक्ष चुने गए।

1992 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।

1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई।

मुख्यमंत्री कब-कब (Mulayam Singh Yadav Mukhyamantri)

5 दिसम्बर ,1989 से 24जनवरी, 1991 तक मुख्यमंत्री।

5 दिसम्बर,1993 से 3 जून, 1996 तक मुख्यमंत्री

और 29 अगस्त, 2003 से 11 मई, 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

मुलायम से जुड़ी रोचक बातें (Mulayam Singh Yadav Interesting Facts)

मुलायम जब पैदा हुए थे तो गांव के ही पंड़ित ने कहा था, यह लड़का पढ़ेगा और कुल का नाम रोशन करेगा। पंड़ित की बात सुनकर उनके पिता सुघर सिंह ने उन्हें पढ़ाने की ठान ली थी।

गांव के प्रधान महेंद्र सिंह इकलौते थोड़े बहुत पढ़े- लिखे व्यक्ति थे। मुलायम के पिता सुघर सिंह ने उनसे अपने बेटे को पढाने का आग्रह किया। मान-मनौव्वल के बाद प्रधान महेंद्र सिंह रात की चौपाल में मुलायम को पढ़ाते थे।

मुलायम को पढ़ते देख अन्य परिवारों ने भी अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजा। देखते ही देखते महेंद्र सिंह ने गांव वालों के साथ मिलकर एक झोपड़ी का इंतजाम किया और बच्चों को पढ़ाने लगे। यहां पर सिर्फ बच्चों के जमीन में बैठने का इंतजाम था।

बाद में उस स्कूल के पहले औपचारिक मास्टर सुजान ठाकुर हुए। सुजान ठाकुर ने बच्चों से कुछ सवाल पूछे। मुलायम के जवाब से खुश होकर उन्होंने मुलायम सिंह यादव को सीधे ही तीसरी कक्षा में एडमीशन दे दिया।

मुलायम के पिता (Mulayam Singh Yadav Father) सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी। मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव।

जब मुलायम सिंह यादव के नाम पर लड़े गये 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था तो मुलायम ने फिर सबको चौंका दिया। अपने ज्यादातर राजनीतिक फैसलों की तरह ही मुलायम सिंह यादव ने सत्ता अपने बेटे अखिलेश यादव को सौंप दी थी।

मुलायम सिंह यादव के 75 वे जन्मदिन पर उनके सबसे करीबी आजम खान ने अपने गृह शहर रामपुर में उनका जन्मदिन मनाया। आज़म खां ने उनके जन्मदिन पर शानदार इंतजाम किया था। लंदन से विक्टोरिया बग्घी मंगाई गई, वहीं 75 फीट का केक तैयार कराया था।

मुलायम पर अब तक 28 किताबें लिखी गईं हैं।

उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेता जी कहा जाता है।

यूपी की राजनीति में यह भी प्रचलित है कि नेताजी यानी मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं।

विदेश यात्रा एवं पुरस्कार (Mulayam Singh Yadav Awards)

मुलायम सिंह यादव ने ब्रिटेन,रूस, फ्रांस, जर्मनी,स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।


मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन में 'अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। जूरी ने ये सम्मान देते हुए कहा था कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देने के लिए दिया गया है।

मुलायम सिंह यादव और विवाद (Mulayam Singh Yadav Vivad)

साल 2009 के लोक सभा के चुनाव अभियान में मुलायम सिंह ने यह कह कर सनसनी फैला दी थई कि अंग्रेजी और कम्प्यूटर की शिक्षा समाप्त किया जाय इससे बेरोजगारी फैलती है।

18 अगस्त, 2015 को लखनऊ में ई-रिक्शा के वितरण समारोह सभा में बलात्कार पर विवादित बयान दिया। जिसे लेकर पूरे देश में बहस छिड़ गयी थी।

इस पर मुलायम सिंह यादव के खिलाफ महोबा जिले की स्थानीय कोर्ट ने अदालत में उपस्थिति के लिए समान जारी किया था।

2012 का चुनाव मुलायम सिंह यादव के नाम पर लड़ा गया था। इस चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था। लेकिन मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया। अखिलेश यादव के कार्यकाल में उनके परिवार में विरासत को लेकर कड़ा संघर्ष शुरू हो गया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से एक बड़ी बैठक बुलाकर अखिलेश यादव ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। मुलायम सिंह यादव को पार्टी का संरक्षक बना दिया गया।

इसी कार्यकाल में अखिलेश यादव का अपने चाचा शिवपाल से पद और सरकार में भूमिका को लेकर कड़ा संघर्ष चला। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा जब बुरी तरह हार गई तो बाद में शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से अलग संगठन बना लिया। मुलायम सिंह यादव फिलहाल समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं और मैनपुरी से पार्टी के सांसद हैं।

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