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Mundia fair: सिर मुड़ाकर मुड़िया संत तैयार, 13 को निकलेगी शोभायात्रा, महामंत्र जप कर संतो ने कराया मुंडन
Mundia Purnima fair: मुड़िया संत रामकृष्ण दास ने बताया कि सोमवार को महामंत्र जाप के साथ संतों ने सिर मंडन कराया है। 13 जुलाई को प्रातः शिष्यों को गुरु दीक्षा कार्यक्रम आयोजित होंगे, इसके उपरांत 10 बजे मुड़िया यात्रा निकाली जाएगी।
Mundia Purnima fair: गोवर्धन में चल रहे मुड़िया मेले में महामंत्र जप के साथ मुड़िया संत सिर मुड़ाकर तैयार हो गए हैं, बुधवार 13 जुलाई को चकलेश्वर के राधा श्याम सुंदर मंदिर से संत वाद्य यंत्रों की धुनों पर भक्ति नृत्य करते पौराणिक मुड़िया शोभायात्रा मानसी गंगा की परिक्रमा को निकलेंगे। वहीं दूसरी और चकलेश्वर में सनातन गोस्वामी की समाधि के निकट स्थित श्री चैतन्य महा प्रभु मंदिर में मेंहत गोपाल दास की अगुवाई में दर्जनों संतों ने मुंडन कराया इन संतो की शोभायात्रा बुधवार सांय को निकलेगी।
मुड़िया पूर्णिमा के उपलक्ष्य में पूज्यपाद सनातन गोस्वामी की याद में 13 जुलाई बुधवार की सुबह 10 बजे चकलेश्वर के राधा श्याम सुंदर मंदिर से महंत रामकृष्ण दास महाराज के निर्देशन में वाद्य यंत्रों के साथ भक्ति नृत्य करते हुए शोभायात्रा मानसी गंगा की परिक्रमा लगाते निकाली जाएगी। मंदिर में प्रातः सनातन की गुरु शिष्य परंपरानुसार रामकृष्ण दास अनुयायी शिष्यों को गुरु दीक्षा ग्रहण कराएंगे। मुड़िया शोभायात्रा से पहले सोमवार को महंत राम कृष्ण दास के निर्देशन में हरेकृष्ण, हरेराम नाम का जप कर मुड़िया संत सिर मुड़ाकर शोभायात्रा के लिए तैयार हैं। मंदिर में दिल्ली हरियाणा, राजस्थान, विहार, मध्यप्रदेश से महंत के शिष्य गोवर्धन पहुंच गए हैं।
मुड़िया संत रामकृष्ण दास ने बताया कि सोमवार को महामंत्र जाप के साथ संतों ने सिर मंडन कराया है। 13 जुलाई को प्रातः शिष्यों को गुरु दीक्षा कार्यक्रम आयोजित होंगे, इसके उपरांत 10 बजे मुड़िया यात्रा निकाली जाएगी।
क्यों निकालते हैं संत मुड़िया शोभायात्रा कितने साल पुरानी है परंपरा
गोवर्धन के विश्व प्रसिद्ध मुड़िया पूर्णिमा मेला संत सनातन की भक्ति और संस्कृति का अद्भुत मिलन है। भक्ति के सागर में मचलती श्रद्धा और संस्कृति की लहरें और बेतादाद श्रद्धालु भक्तों का अनवरत प्रवाह ही उत्तर भारत के विशाल राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला की परिभाषा है। इक्कीस किमी परिक्रमा मार्ग में पांच दिनों तक अटूट मानव श्रृंखला मिनी विश्व का नजारा पेश करती आई है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को ही गुरू पूर्णिमा, मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। गोवर्धन महाराज की भक्ति में डूबे सनातन के अनुयायी 13 जुलाई को 464 वीं मुड़िया शोभायात्रा निकालेंगे।
मुड़िया संतों मुंडन कराया
मुड़िया संत रामकिशन दास ने बताया कि दो साल कोविड महामारी के चलते मुड़िया शोभा यात्रा सूक्ष्म रूप से निकाली गई थी। इस बार परंपरा का भव्य रूप से निर्वहन किया जाएगा। 11 जुलाई को चकलेश्वर स्थित राधा श्याम सुंदर मंदिर में मुड़िया संतों ने मुंडन कराया। इसके उपरांत मानसी गंगा में स्नान कर सनातन गोस्वामी के समाधि स्थल पर हरिनाम संकीर्तन शुरू होगा। 13 जुलाई को वाद्य यंत्र ढप, ढोल, मृदंग, झांझ, मंजीरा हारमोनियम के साथ हरिनाम संकीर्तन करते हुए मुड़िया शोभायात्रा नगर भ्रमण को निकाली जाएगी।
मान्यता के अनुसार
धार्मिक मान्यता के अनुसार सनातन गोस्वामी का आविर्भाव वर्ष 1488 में पश्चिम बंगाल के रामकेली गांव, जिला मालदा के भारद्वाज गोत्रीय यजुर्वेदीय कर्णाट विप्र परिवार में हुआ था। वे पश्चिम बंगाल के राजा हुसैन शाह के यहां मंत्री हुआ करते थे। चैतन्य महाप्रभु की भक्ति से प्रभावित होकर सनातन गोस्वामी उनसे मिलने बनारस आ गए। चैतन्य महाप्रभु की प्रेरणा से ब्रजवास कर भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे। ब्रज में विभिन्न स्थानों पर सनातन भजन करते थे। वृंदावन से रोजाना गिरिराज परिक्रमा करने गोवर्धन आते थे। सनातन जब वृद्ध हो गए, तो गिरिराज प्रभु ने उनको दर्शन देकर शिला ले जाकर परिक्रमा लगाने को कहा, चकलेश्वर मंदिर के समीप भजन कुटी बनी हुई है। मुड़िया संतों के अनुसार 1558 में सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन हो जाने के बाद गौड़ीय संत एवं ब्रजजनों ने सिर मुंडवाकर उनके पार्थिव शरीर के साथ सात कोसीय गिरिराज परिक्रमा लगाई। तभी से गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा। आज भी सनातन गोस्वामी के तिरोभाव महोत्सव पर गौड़ीय संत एवं भक्त सिर मुड़वाकर मानसीगंगा की परिक्रमा कर परंपरा का निर्वहन करते हैं। 13 जुलाई को अनुयायी संत 464 वीं मुड़िया शोभायात्रा निकाली जाएगी।
टोपी वालों की पुष्प बर्षा पर मुड़िया संत ने जताई आपत्ती, दूसरे समुदाय के लोगों ने विगत वर्ष की थी पुष्प वर्षा
मुड़िया शोभा यात्रा में दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने बीते साल पुष्प बर्षा कर स्वागत किया था। इस पर मुड़िया संत ने नाराजगी व्यक्त की थी। इस बार भी मुड़िया यात्रा में दूसरे समुदाय के कुछ लोग मुड़िया संतो पर पुष्प बर्षा के तैयारी कर रहे है। इसकी जानकारी होने पर राधा श्याम सुंदर मंदिर के महंत एवं मुड़िया संत रामकृष्ण दास ने आपत्ति व्यक्त की है।
मुड़िया संत रामकृष्ण दास महाराज ने आपत्ति जताते हुए बताया कि सनातन गोस्वामी की अपरस में सेवा होती है। अपरस में दूसरे समुदाय विशेष के किसी भी व्यक्ति को सनातन की मर्यादा भंग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कुछ लोग राजनीति लाभ के चलते उन लोगों को टोपी पहनाकर मंदिर में लाते हैं। पुष्प बर्षा के नाम पर मंदिर परिसर में सनातन की मर्यादा को भंग करते हैं। इस बार ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।