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नगर पालिका चुनाव: 15 साल बाद फिर उभरा सांसद-मंत्री का विवाद

raghvendra
Published on: 17 Nov 2017 7:44 AM GMT
नगर पालिका चुनाव: 15 साल बाद फिर उभरा सांसद-मंत्री का विवाद
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तेज प्रताप सिंह की रिपोर्ट

गोंडा: कहते हैं कि इतिहास अपने को दोहराता है। इसका जीता जागता प्रमाण निकाय चुनाव में उभरा सांसद कैसरगंज बृज भूषण शरण सिंह और प्रदेश के काबीना मंत्री एवं मनकापुर से विधायक रमापति शास्त्री का मतभेद है। 15 वर्ष पहले की घटना को दोहराते हुए इस बार पालिका चुनाव में नवाबगंज नगर पालिका में शास्त्री की चहेती भाजपा उम्मीदवार श्रीमती अंजू सिंह के खिलाफ बगावत कर सांसद ने अपने प्रत्याशी डा. सत्येन्द्र सिंह को चुनाव मैदान उतार दिया है। सांसद ने इसकी घोषणा करते हुए अपने पुत्र करन भूषण को चुनाव की कमान सौंप दी है। इस अप्रत्याशित घटना से रमापति समेत पूरी भाजपा हतप्रभ है।

वैसे एक ही गांव विश्नोहरपुर के मूल निवासी सांसद और मंत्री का विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले वर्ष 2002 के विधान सभा चुनाव में भी सांसद और मंत्री में मतभेद उभरा था और सांसद ने चुनाव में अपेक्षित सहयोग नहीं किया तो रमापति शास्त्री डिक्सिर में चुनाव हार गए थे। दोनों के बीच तल्खी इस हद तक थी कि शस्त्री के समर्थन में मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के रैली एवं जनसभा में सांसद ने शिरकत नहीं किया। जबकि राजनाथ से उनके करीबी सम्बन्ध जग जाहिर हैं। इसके बाद शास्त्री लगातार चुनाव हारते रहे।

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2012 के चुनाव में शास्त्री को बलरामपुर सदर सुरक्षित सीट से भाजपा ने चुनाव लड़ाया तब भी सांसद ने कोई रुचि नहीं लिया जबकि बलरामपुर से सांसद रह चुके बृजभूषण सिंह के समर्थकों की अच्छी तादात रही। हालांकि वह तब सपा में थे और कैसरगंज से लोक सभा सदस्य थे।

इस बार रमापति शास्त्री ने बृजभूषण सिंह के विरोधी गोंडा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ‘राजा भैया‘ से नजदीकी बढ़ाई और उनकी सहमति से मनकापुर से भाजपा के प्रत्याशी बन गए। मनकापुर राजघराने की कृपा से उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की और पुराने अनुभव को देखते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाज कल्याण विभाग सौंप दिया। जानकार बताते हैं कि इससे और सांसद कैसरगंज और शास्त्री के मध्य दूरी और बढती़ गई।

हाल में जब नवाबगंज नगर पालिका अध्यक्ष के लिए प्रत्याशी चयन प्रक्रिया शुरु हुई तो सांसद के इच्छा के विपरीत शास्त्री और सांसद राजा भैया के करीबी डा. अशोक सिंह की पत्नी और निवर्तमान अध्यक्ष श्रीमती अंजू सिंह को पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। इसके बाद सांसद बगावत पर उतर आए और उन्होंने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी अंजू सिंह के खिलाफ अपना प्रत्याशी डा. सत्येन्द्र सिंह को उतार दिया। उन्होंने अपने पुत्र करन भूषण सिंह को चुनावी कमान सोंपी है। उनके विधायक पुत्र प्रतीक भूषण भी जन सम्पर्क कर डा. सत्येन्द्र के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। पिछले दिनों मुख्यालय पर आयोजित ‘मन की बात‘ कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि प्रत्याशी चयन में उनकी राय नहीं ली गई।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिले में अध्यक्ष अथवा सभासद के एक भी प्रत्याशी के चयन में उनकी अथवा उनके पुत्र और गोंडा सदर से भाजपा विधायक प्रतीक भूषण सिंह की राय नहीं ली गई। सांसद ने भाजपा जिलाध्यक्ष और संगठन पर भी उन्हें दरकिनार करने का आरोप लगाया। लेकिन मात्र नवाबगंज में ही भाजपा प्रत्याशी के विरोध में प्रत्याशी उतारना और शेष आधा दर्जन निकायों में भाजपा उममीदवारों का समर्थन लोगों के गले नहीं उतर रहा। चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो समय बताएगा किन्तु यह स्पष्ट है कि भविष्य में शास्त्री और सांसद के बीच सम्बन्धों की खाई और गहरी होती जाएगी।

भाजपा प्रत्याशियों की मुसीबत का सबब बने बागी

मोदी लहर में लोकसभा व विधानसभा चुनाव में जिले में भगवा परचम लहराने वाली भाजपा निकाय चुनाव में कुछ सीटों पर अपनों से घिरती नजर आ रही है। कारण वह बगावत का झंडा बुलंद करते नजर आ रहे हैं। उनके चुनावी ताल ठोंकने से विरोधी लाभ की आस लगाए हैं। यह बात दीगर है कि पार्टी के जिम्मेदार आगामी दिनों में हल ढूंढ़ लेने का दावा कर रहे हैं। जिले में कुल सात विधानसभा सीटें हैं। गत विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर पार्टी का कब्जा हो गया। इसके बाद सबसे बड़ा चुनाव शहरी निकाय का है।

गोंडा नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए यहां से निवर्तमान चेयरमैन निर्मल श्रीवास्तव की मां पूनम देवी, पूर्व विधायक तुलसी दास राय चंदानी की बहू लक्ष्मी राय चंदानी, पूर्व चेयरमैन राज किशोर अग्रवाल की बहू, भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रह चुके डॉ. प्रमोद त्रिपाठी की पत्नी के अलावा माया शुक्ला, राजीव रस्तोगी का नाम दावेदारों में शामिल था। इसके अलावा एक पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह की पत्नी सरोज लडऩे से भाजपा को झटका माना जा रहा है।

गोंडा से दावेदारी करने वाले राजीव रस्तोगी जब मायूस हुए तो उन्होंने अपने पुरानी सीट खरगूपुर नगर पंचायत से भाजपा प्रत्याशी रामजी सोनी के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर दिया और चुनाव मैदान में आ डटे हैं। वहीं भाजपा से नवाबगंज नगर पालिका से अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे का सपना देख रहे सत्येंद्र सिंह ने पार्टी की उम्मीदवार अंजू सिंह के सामने पर्चा दाखिल कर दिया। सत्येंद्र जिले के एक बड़े नेता के खासा करीबी माने जाते हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष पीयूष मिश्र का मानना है कि पार्टी प्रत्याशियों की मदद से कार्यकर्ता एकजुट हैं। जिला प्रभारी राम प्रकाश यादव इस चुनाव में पूरी तरह कामयाबी मिलने का दावा कर रहे हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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