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विवेक तिवारी हत्याकांड: प्रशांत कुमार की जमानत अर्जी खारिज

बीते 20 दिसंबर को विवेक तिवारी की हत्या के इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हुआ था। जिसमें अभियुक्त पुलिसकर्मी प्रंशात कुमार चैधरी को हत्या (आईपीसी की धारा 302) जबकि संदीप कुमार को मारपीट (आईपीसी की धारा 323) का आरोपी बनाया गया था।

Shivakant Shukla
Published on: 14 Jan 2019 4:47 PM GMT
विवेक तिवारी हत्याकांड: प्रशांत कुमार की जमानत अर्जी खारिज
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प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ: जिला जज सुरेंद्र कुमार यादव ने एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले में निरुद्ध पुलिसकर्मी प्रशांत कुमार की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। उन्होंने लोकसेवक के रुप में अभियुक्त के इस अपराध को जघन्यतम करार दिया है।

सोमवार को अदालत में अभियोजन की ओर से अभियुक्त प्रशांत की जमानत अर्जी का जोरदार विरोध किया गया। फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी व शासकीय अधिवक्ता प्रखर निगम का कहना था कि अभियुक्त एक लोकसेवक है। उसने बिना किसी सुझ-बुझ का परिचय दिए अकारण एक निर्दोष व्यक्ति की गोली मारकर हत्या की है। विवेचना के पश्चात उसके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल हो चुका है।

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दूसरी तरफ अभियुक्त की ओर से कहा गया कि वह निर्दोष है। उसे झूठा फंसाया गया है। उसने संदिग्ध हालत में आती हुई गाड़ी को रोकने का प्रयास किया था। लेकिन उसकी मोटरसाईकिल में टक्कर मार दी गई। जिससे पुलिसकर्मी संदीप नीचे गिर गया। जिसके बाद उसने आत्मरक्षार्थ व अपने सहकर्मी की जान बचाने के लिए गोली चलाई थी।

बीते 20 दिसंबर को विवेक तिवारी की हत्या के इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हुआ था। जिसमें अभियुक्त पुलिसकर्मी प्रंशात कुमार चैधरी को हत्या (आईपीसी की धारा 302) जबकि संदीप कुमार को मारपीट (आईपीसी की धारा 323) का आरोपी बनाया गया था।

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बीते 24 दिसंबर को अदालत ने आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों में ही संज्ञान लेते हुए अभियुक्तों का अभिरक्षा वारंट सही करने का आदेश दिया था। इधर, इसके बाद संदीप की ओर से निचली अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की गई। दो जनवरी को निचली अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

28-29 सितंबर की रात्रि में हुई इस घटना के बाद दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इस घटना की एफआईआर विवेक की सहकर्मी व उसके बाद उनकी पत्नी कल्पना ने भी दर्ज कराई थी। विवेचना के दौरान दोनों एफआईआर को एक में मर्ज कर लिया गया था।

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