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मुसहरों की मौत पर अब बदल गया नजरिया

raghvendra
Published on: 21 Sep 2018 7:28 AM GMT
मुसहरों की मौत पर अब बदल गया नजरिया
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पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: इसे सत्ता का चरित्र कहा जाए या कुर्सी पर बैठते ही भूख, गरीबी, कुपोषण को देखने का बदला नजरिया। कुशीनगर के मुसहर टोलों में सप्ताह भर में कुपोषण से पांच मौतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठीक वैसी ही भाषा बोल रहे हैं, जैसा कि बीते वर्षों में सूबे की सत्ता पर काबिज रहे मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव या फिर मायावती बोलती थीं। यूपी की बागडोर संभालने के चंद दिनों पहले योगी आदित्यनाथ कुशीनगर के मुसहर टोले माठिया माफी में दो सगे भाईयों की मौत के पीछे वजह भूख और कुपोषण को बता रहे थे तो अखिलेश यादव के अधिकारी उसे बीमारी से मौत करार दे रहे थे। अब ठीक उल्टा हो रहा है, विरोधी सप्ताह भर में हुए पांच मौतों के पीछे भूख और कुपोषण को वजह बता रहे हैं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टीबी की बीमारी को मौत की वजह बता अफसरों को क्लीन चिट दे रहे हैं।

कुशीनगर के मुसहर टोले में सात दिनों के अंदर एक के बाद एक पांच मौतों के बाद सियासत गरम है। पूरे प्रकरण को लेकर उठ रहे सवालों पर योगी आदित्यनाथ ने 17 सितम्बर को गोरखपुर में चुप्पी तोड़ी तो अफसरों को ही सर्टिफिकेट दे डाला। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि कुशीनगर में भूख से कोई मौत नहीं हुई। मौतें टीबी की वजह से हुई हैं। मरने वालों के यहां खाद्यान्न की कमी नहीं थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच इस बात की कराई जा रही है कि मरने वालों को टीबी का उपचार मिला था कि नहीं। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार में मुसहर और वनटांगिया के लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं। हालांकि विपक्ष मुख्यमंत्री के दलीलों से सहमत होता नहीं दिख रहा है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह ने जिला अस्पताल पहुंचकर कहा कि प्रदेश सरकार में राशन माफिया अनाज गटक रहे हैं। सरकार का निगरानी सिस्टम पूरी तरह फेल है। दुर्भाग्य है कि सत्ता में आने से पहले योगी आदित्यनाथ एक मुसहर की मौत पर पैदल मार्च करते हुए संसद में सवाल खड़े करते थे, वह आज उन्हीं सवालों से बच रहे हैं। मौतों के पीछे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय वह अफसरों को क्लीन चिट दे रहे हैं। मुसहरों की मौत के बाद पूर्वांचल किसान यूनियन के नेता पप्पू पांडेय गांव में धरना दे रहे हैं।

पूर्व सांसद बालेश्वर यादव और पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह भी जंगल खिरकिया गांव पहुंचकर सरकार पर हमला करते नजर आ रहे हैं। दो सगे भाइयों की मौत के बाद गांव पहुंचे पूर्व केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्र को भी खामियां मिलीं। वह पीडि़त परिजनों के घर के अंदर की व्यवस्था देखकर दंग रह गए। बिस्तर व भोजन की व्यवस्था देखकर उन्हें अधिकारियों को फटकार लगाने और सुविधा मुहैया कराने का निर्देश देना पड़ा।

कांग्रेस नेता का सरकार पर हमला

जंगल खिरकिया पहुंचे कांग्रेस विधानमंडल नेता अजय कुमार लल्लू ने सरकार पर जमकर हमला बोला। लल्लू ने कहा कि सत्ता संभालने के पूर्व से प्रदेश के मुखिया मुसहर समाज के रहनुमा होने का दावा करते हैं, लेकिन जिला मुख्यालय पडरौना से सटे जंगल खिरकिया और दुदही ब्लाक के दुलमा पट्टी गांव में मुहसर युवाओं की मौत ने सरकारी की आंखें खोल दी हैं। विपक्ष में रहते हुए भूख से मौतों पर सक्रियता और संवेदना दिखाने वाले योगी सत्ता में आने पर मामले से किनारा कस रहे हैं। इलाज के अभाव में मर रहे मुसहर परिवारों को पेट भरने के लिए अन्न नहीं मिल रहा है। लल्लू ने कहा कि प्रशासन ने मुसहरों की ऐसी जमीन का पट्टा कर दिया जहां खेती नहीं हो सकती है।

शासन चलाने वालों को इन मौतों की जवाबदेही लेनी होगी। इसके लिए केन्द्र और राज्य की दोनों सरकारें दोषी हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि एक अभियान चलाकर भूमिहीन मुसहर परिवारों को खेती करने के लिए दो बीघा जमीन और पूर्व में इन परिवारों को आवंटित की गयी जमीन पर कब्जा दिलाया जाए। रोजगार गांरटी कानून के अंतर्गत इन परिवारों को प्राथमिकता देकर काम उपलब्ध कराया जाय।

नोटिस के बाद हुई थी मुसहर की मौत

साल की शुरुआत में कुशीनगर जिले के खड्डा ब्लाक के नरकहवा गांव में कार्रवाई की नोटिस पाने के बाद तबीयत बिगडऩे से एक मुसहर की मौत हो गई थी। परिवारजनों के अनुसार नोटिस में एक मार्च तक आवास न बनने की दशा में मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी दी गई थी। प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना के तहत बीते दिसंबर माह में मुसहर हीरा को दूसरी किस्त मिली थी, लेकिन उसके आवास की छत नहीं लग सकी थी। ग्राम पंचायत अधिकारी व प्रधान पर लगातार आवास पूरा कराने का दबाव बन रहा था। अपूर्ण आवासों की बनी सूची में हीरा का नाम होने के कारण बीडीओ ने ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से मंगलवार को एक नोटिस भेजी थी। नोटिस में एक मार्च तक आवास पूरा न कराने पर थाने में मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी दी गई थी।

सवालों के घेरे में प्रशासन

कुशीनगर के दुदही ब्लाक के रकबा दुलमापट्टी गांव में एक मुसहर महिला और उसके दो बच्चों की मौत के बाद पडरौना ब्लाक के जंगल खिरकिया गांव में दो मुसहर भाइयों की 12 घंटे में कुपोषण से मौत हो गई। सप्ताह भर के अन्दर कुपोषण और कुपोषण जनित बीमारियों से पांच मुसहरों की मौत के बाद प्रशासन सवालों के घेरे में हैं। डीएम डा.अनिल कुमार सिंह ने दोनों मुसहरों की मौत के बारे में एसडीएम पडरौना से जांच कर रिपोर्ट तलब की थी।

अधिकारियों ने मौत के पीछे टीबी की बीमारी को वजह बताकर जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। हालांकि जब सबकुछ ठीक था तो मुसहर गांवों में हेल्थ कैम्प लगाने और मुसहरों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने की पहल करना सवाल खड़े कर रहा है। बता दें कि जंगल खिरकिया गांव की मुसहर बस्ती में चार भाइयों का बेहद गरीब परिवार रहता है। इस परिवार के मुखिया सुदर्शन की दो दशक पहले मौत हो चुकी है। घर में सबसे बड़े दो भाइयों की शादी हो चुकी है। वे काम के सिलसिले में बाहर चले गए हैं।

दो छोटे भाई फेंकू (22) और पप्पू (16) मजदूरी कर किसी तरह जीवन यापन करते थे। ये दोनों अपनी मां सोनवा देवी के साथ रहते थे। सोनवा देवी बताती हैं कि दोनों बेटे ईंट भ_े पर काम करते थे। सीजन में ही काम मिलता था। बाकी समय खाली बैठे रहते थे। घर की हालत खराब है जिसके कारण दो जून की रोटी भी मिलना मुहाल था।

दोनों बेटे काफी कमजोर हो गए थे और बीमार रहने लगे थे। पैसे के अभाव में वह उनका ठीक से इलाज भी नहीं करा सकी। फेंकू की 12 सितम्बर को हालत गंभीर हो गई। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। अगले दिन सुबह उसकी मौत हो गई। उधर उसके छोटे भाई पप्पू की भी तबियत बिगडऩे लगी। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया जहां रात में उसकी मौत हो गई। परिजनों व गांव के लोगों का आरोप है कि जिला अस्पताल में इलाज में लापरवाही बरती गई।

मुसहर टोलों तक नहीं पहुंच रहीं योजनाएं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मुसहरों से खासा लगाव रहा है। इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि वह अपनी दिवाली मुसहर टोलों में ही मनाते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी दिवाली में वह मुसहर टोले में पहुंचे थे। मुख्यमंत्री की संवेदना के बाद भी अफसर योजनाओं को मुसहर टोलों तक पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। कुशीनगर के 10 ब्लाक में कुल 10247 मुसहर परिवार रहते हैं। इनकी आबादी 37296 है। इनमें से आवास प्राप्त मुसहरों की संख्या 5960, प्रधानमंत्री आवास से लाभान्वित मुसहर परिवारों की संख्या 350 है। पिछले जनवरी महीने में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 3926 मुसहर परिवारों को प्रधानमंत्री आवास देने की मंजूरी दी थी। सबसे बुरी स्थिति सार्वजनिक वितरण प्रणाली की है। राशन कार्ड के आधार से लिंक होने के बाद मुसहरों को समय से राशन नहीं मिल पा रहा है।

बीमारी की आड़ में भ्रष्टाचार छिपा रहे अफसर

कुशीनगर के जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह का दावा है कि फेंकू पुत्र सुदर्शन पिछले दो साल से बुखार, खांसी व श्वास रोग से पीडि़त था। उसे 108 एंबुलेंस से जिला क्षय रोग उपचार केंद्र लाकर परीक्षण किया गया। उसकी स्थिति गंभीर होने के कारण जिला संयुक्त अस्पताल भेजा गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। फेंकू का छोटा भाई पप्पू सांस फूलने एवं खांसी से पीडि़त था।

बाएं फेफड़ें में इन्फेक्शन तो दाहिने फेफड़े में न्यूमोथेरेक्स था। पप्पू को भी जिला संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराकर इलाज किया गया, पर हालत में कोई सुधार नहीं होने के कारण 14 सितम्बर को रात सवा नौ बजे उसकी जिला अस्पताल में उसकी मौत हो गई। जिलाधिकारी ने कहा कि दोनों मुसहरों की मौत भूख व कुपोषण से नहीं बल्कि बीमारी के कारण हुई। मुसहर बाहुल्य गांवों में स्वच्छता, स्वास्थ्य, सुपोषण व अन्य सरकारी योजनाओं को संतृप्त करने की कार्रवाई की जा रही है। बता दें कि अफसरों के चलते ही योगी आदित्यनाथ को पिछले दिनों कुशीनगर दौरे को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी थी। योगी के दौरे को लेकर अफसरों ने मुसहर टोलों में शैंपू-साबुन बांट दिया था।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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