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जहां अपने नहीं आए काम वहां मुस्लिम समाज ने दिया साथ, बेटी की शादी पर मां के ख़ुशी के आंसू
हरदोई: धर्म का काम तोडना नहीं बल्कि जोड़ना है। ये बात वर्तमान में माहौल में बेमानी सी लगती है, परन्तु अभी भी कई ऐसे लोग हैं, जो जाति- समुदाय में विश्वास ना करते हुए सिर्फ इंसानियत पर ही यकीन रखते है।
वह अपनी इस पहल से धर्म के उन कथित ठेकेदारों को ठेंगा भी दिखाते है जो धर्म के नाम पर अपना उल्लू सीधा करते है। ऐसी ही एक अच्छी पहल का मामला हरदोई से सामने आया है, जहां एक गरीब हिंदू परिवार की लड़की के विवाह को अच्छे ढंग से सम्पन्न कराने में मुस्लिम युवकों ने एक अहम भूमिका निभाई है।
क्या है मामला?
हरियावां थाने के मरई गांव की रहने वाली शिवकली (वधू) के पिता की कुछ समय पहले मौत चुकी है।
घर में केवल मां और एक छोटा भाई है।
पूंजी के नाम पर तीन बीघा जमीन है, ऐसे में शिवकली की शादी तय हो गई तो बरात के स्वागत सत्कार के लिए और सामान्य दहेज़ के लिए शिवकली की मां 2 बीघा जमीन बेच रही थी।
जमीन बेचने की बात जब एक सामाजिक संस्था राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण संघ से जुड़े दूर के रिश्तेदार को हुई तो उन्होंने संस्था के मुस्लिम पदाधिकारी फ़िरोज़ अहमद को सारी बात बताई।
फिरोज ने आगे बढ़कर मदद करने का फैसला किया। मुस्लिम लोगों ने इस शादी का पूरा खर्चा उठाया। फर्रुखाबाद से बरात आई और पूरे विधि विधान से शादी की सारी रस्मे पूरी की गई।
क्या कहा शिवकली की मां ने
बेटी के हाथ पीले करने के लिए खेत बेचने में लगी मां फिलहाल मुस्लिम युवक और अपने दूर के रिश्तेदार की दरियादिली से काफी प्रसन्न हैं। जहां उसके अपने काम नहीं आए ऐसे में उन लोगों ने उनकी मदद की जिनसे उसको कोई उम्मीद नहीं थी।