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वंदे मातरम ! इस मुस्लिम युवक की देशभक्ति है अतुलनीय, दास्तां फ़िल्मी नहीं सच्ची है

आगरा के गुलचमन शेरवानी का वंदे मातरम और तिरंगे का प्रेम जिसको भी पता चलता है उसकी आंखें नम और शरीर मे देशभक्ति का जज्बा स्वतः ही आ जाता है। वंदे

Anoop Ojha
Published on: 27 Nov 2017 4:19 PM IST
वंदे मातरम ! इस मुस्लिम युवक की देशभक्ति है अतुलनीय, दास्तां फ़िल्मी नहीं सच्ची है
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वंदे मातरम ! इस मुस्लिम युवक की देशभक्ति है अतुलनीय, दास्तां फ़िल्मी नहीं सच्ची है

आगरा: आगरा के गुलचमन शेरवानी का वंदे मातरम और तिरंगे का प्रेम जिसको भी पता चलता है उसकी आंखें नम और शरीर मे देशभक्ति का जज्बा स्वतः ही आ जाता है। वंदे मातरम पर तमाम मुस्लिम नेताओं ने कितना भी विरोध किया हो पर भारत में मुस्लिमों का देश प्रेम किसी से छुपा नहीं है।

आगरा के थाना शाहगंज क्षेत्र के आजमपाड़ा के रहने वाले गुलचमन शेरवानी का वंदे मातरम और तिरंगे से प्रेम कुछ ऐसा है कि उनका घर भी तिरंगे के रंग में रंगा है और उसे तिरंगा मंजिल नाम दिया गया है। पत्नी, बच्चें और खुद गुलचमन तिरंगे की ही ड्रेस पहनते हैं और तो और वो ईद-बकरीद से ज्यादा 15 अगस्त और 26 जनवरी को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

गुलचमन के घर में भारत माता की फ़ोटो लगी है और उस पर वह तिरंगा ब्रांड की अगरबत्ती इस्तेमाल करते हैं। इन्होंने शादी भी तिरंगे को हाथ मे लेकर वंदे मातरम की धुंन पर की थी। जिसके विरोध के चलते इनकी शादी में आरएएफ समेत तीन जिलों की फोर्स को लगाना पड़ गया था।

कई सालों से नहीं खाया अन्न

वंदे मातरम के विरोध में फतवा जारी करने वाले दस बड़े मौलानाओं के ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने की मांग पर इन्होंने 14 अगस्त साल 2006 से 21 सितंबर 2006 तक दीवानी न्यायालय में भारत माता की प्रतिमा पर भूख हड़ताल की थी। तब इन्होंने कसम ली थी कि जब तक मुकदमा दर्ज नहीं होगा वह अन्न नहीं खाएंगे। तब से आज तक इन्होंने अन्न नहीं खाया।

36 साल के गुलचमन शेरवानी को 9 साल की उम्र में सादाबाद के राम शरण दास जूनियर हार्इ् स्कूल में वंदे मातरम गाने पर एक मौलवी के कहने पर पिता गुल बहार शेरवानी ने घर से निकाल दिया था। इसके बाद इन्होंने इधर उधर रहकर अपनी जिंदगी काटी। इस वजह से इनकी पढ़ाई छूट गई और वह फेरी लगाकर जीवन जीने लगे। गुलचमन को इस हाल में देखकर उनकी रिश्तेदार सलमा उस्मानी ने उन्हें अपना मुंहबोला बेटा बना लिया और अपने घर रख लिया।

बिरादरी ने अलग कर दिया

इनके इस कृत्य के बाद दिल्ली के इमाम ने इन्हें काफ़िर करार दे दिया और आगरा के तमाम मुस्लिम समाज ने इन्हें बिरादरी से अलग कर दिया। धर्म से अलग होने के आरोप के बाद शादी से इनकार कर दिया साथ ही तब इनके पिता ने इन्हें लिखित में जायदाद से बेदखल कर दिया।इसके बाद इनकी मुहबोली मां सलमा के भाई पर दबाव बनाया जाने लगा तो सलमा ने अपनी बेटी हिना की शादी इनसे करने का फैसला किया।

वंदे मातरम के समर्थन से मोहब्बत टूटने और परिवार छूटने के बाद इनका वंदे मातरम के प्रति प्रेम और बढ़ गया।गुलचमन पहले से तय कर दिया था कि अपने निकाह की तारीख 21 अप्रैल 2007 को यह हाथ मे तिरंगा लेकर वंदे मातरम की धुंन बजाते हुए बारात लेकर जाएंगे।पूरा समाज इनके विरुद्ध हो गया और इनकी बारात को पहुंचाने के लिए प्रशासन को आरएएफ समेत तीन जिलों की फोर्स को लगाना पड़ा।उस समय पथराव भी हुआ और कर्फ्यू जैसे हालात बन गए। इन्हें पहले स्वाट टीम सुरक्षा के लिए दी गयी और फिर बाद में दो पुलिसकर्मी इन्हें मिले। न्यायालय में तारीख पर जाते समय इन पर कई बार हमले भी हुए और कई बार तो इन्हें बुर्का पहन कर दीवानी जाना पड़ा।

बेटी गुलसनम बेटा गुलवतन

कुदरत का करिश्मा ही मानेंगे कि इनके दो बच्चे हैं और बड़ी बेटी गुलसनम 15 अगस्त 2009 और बेटा गुलवतन 26 जनवरी 2012 को पैदा हुआ।इसे यह भारत माता की अनुकंपा मानते हैं।

आज गुलचमन का बेटा कैंसर पीड़ित

आज गुलचमन का बेटा कैंसर पीड़ित है और इनके पास इलाज के लिए पैसे नही हैं।पत्नी और गुलचमन मिलकर जूते का कारखाना चलाते हैं और जीवन यापन करते हैं।बतौर गुलचमन समाज से बहिष्कार के बाद उनके बच्चों को आस पास किसी स्कूल में एडमिशन नही मिला और दूर जाकर किसी बड़े मिशनरी स्कूल में पढ़ाने की उनकी हालत नही है इस कारण बच्चे अशिक्षित हैं।

शासन को लिखा पत्र

भाजपा शासन आने पर न्याय की उम्मीद लगाकर इन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को कई बार खत लिखे पर कोई जवाब नही आया है।गुलचमन का कहना है कि जब उनकी हत्या होगी तो हंगामा होगा और तब उनके बच्चों को कोई मंत्री गोद लेगा और इनके दिन संवरेंगे। इन सब के बाद भी गुलचमन का वंदे मातरम और तिरंगे के प्रति प्रेम अभी भी कम नही हुआ है।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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