तीन तलाक़ के समर्थन में उतरीं मुस्लिम महिलाएं, कहा शरीअत में बदलाव मंज़ूर नहीं

बिजनौर में मुस्लिम महिलाओं ने शरीअत में बदलाव का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। मुस्लिम महिलाओं के इस हुजूम ने हाथों में बैनर और तख्तियां ले रखी थीं। इन तख्तियों पर मुस्लिम शरिया में दखलंदाजी न करने की बात लिखी हुई थी।

zafar
Published on: 6 May 2017 2:37 PM GMT
तीन तलाक़ के समर्थन में उतरीं मुस्लिम महिलाएं, कहा शरीअत में बदलाव मंज़ूर नहीं
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तीन तलाक़ के समर्थन में उतरीं मुस्लिम महिलाएं, कहा शरीअत में बदलाव मंज़ूर नहीं

बिजनौर: देश भर में इस समय तीन तलाक़ और मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कई मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक़ के खिलाफ आवाज़ बुलन्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई हैं। तीन तलाक और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मुस्लिम महिलाओं ने शनिवार को तीन तलाक के समर्थन में जुलूस निकाला।

तीन तलाक़ का समर्थन

बिजनौर में मुस्लिम महिलाओं ने शरीअत में बदलाव का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। महिलाओं ने तीन तलाक का समर्थन करते हुए नारेबाजी की। मुस्लिम महिलाओं के इस हुजूम ने हाथों में बैनर और तख्तियां ले रखी थीं। इन तख्तियों पर मुस्लिम शरिया में दखलंदाजी न करने की बात लिखी हुई थी। महिलाओं ने मांग की है कि मुस्लिम धर्म को शरीअत के अनुसार ही जारी रहने दिया जाय। भारी संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारी महिलाओं ने राष्ट्रपति से शरीअत में किसी तरह के बदलाव को मंजूरी न देने की अपील की है।

बिजनौर के चांदपुर में चिलचिलाती धूप में अपने छोटे छोटे बच्चों को गोद मे लिये इन महिलाओं का हुजूम तीन तलाक़ को लेकर चल रही बहस के विरोध में उतरा था। महिलाओं ने कहा कि वे शरिया कानून में किसी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं करेंगी। उनके बैनरों पर 'शरीअत पर एतराज़ करने से बाज़ आओ' 'हम शरीअत में बदलाव बर्दाश्त नहीं करेंगे' और 'शरीअत में किसी तरह का बदलाव संभव नहीं है' जैसे नारे लिखे थे।

राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

ये महिलाएं जुलूस की शक्ल में चांदपुर तहसील पहुंची जहां उन्होंने राष्ट्रपति के नाम सम्बोधित एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। महिलाओं ने ज्ञापन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने वाली महिलाएं तीन तलाक़ को लेकर खुद भ्रमित हैं। ज्ञापन में यह भी लिखा है कि इन महिलाओं को व्यक्तिगत न्याय देते समय सप्रीम कोर्ट को मुस्लिम महिला समाज की सामान्य चेतना और उनके अधिकारों का खयाल रखना भी बहुत ज़रूरी है, ताकि इससे पूरा मुस्लिम समाज प्रभावित न हो।

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तीन तलाक़ के समर्थन में उतरीं मुस्लिम महिलाएं, कहा शरीअत में बदलाव मंज़ूर नहीं

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