तीन तलाक-कामन सिविल कोड पर केंद्र सरकार के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का हल्लाबोल जलसा

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Published on: 7 Nov 2016 3:45 AM GMT
तीन तलाक-कामन सिविल कोड पर केंद्र सरकार के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का हल्लाबोल जलसा
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इलाहाबाद: समान आचार संहिता और तीन तलाक के मामले में देश भर के मुस्लिम संगठन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के साथ खड़े होकर एक बड़ा आन्दोलन को शक्ल देने में लगे हैं। इलाहाबाद में इसी मकसद को लेकर कई मुस्लिम संगठनों ने खुलकर केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करने के लिए एक मंच पर इकट्ठा हुए।

मुस्लिम संगठनों के कई बड़े नेताओं और कानून के जानकारों की मौजूदगी में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के समर्थन में अभियान चलाने और खुद अपने सम्प्रदाय में शरीयत की सही जानकारी देने के लिए जागरूक करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। जलसे में बड़ी तादाद में पर्दानशी मुस्लिम महिलाओं ने भी अपनी भागेदारी दी है और खुल कर तीन तलाक को लेकर शरीयत की सही जानकारी मुस्लिम महिलाओं के बीच फैलाने की बात कही है।

तीन तलाक के सहारे मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर शुरू हुई बहस में कामन सिविल कोड को इसका दूरगामी मकसद माना जा रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शुरू से इसकी मुखालफत में रहा है लेकिन उसे लगता है की मुस्लिम समुदाय में इसे लेकर कई तरह की गलतफहमियां न पैदा हों इसके लिए पूरे मुल्क में उसे जगह जगह जलसे करने जरूरी हैं।

इलाहाबाद के जामिया इस्लामिया इंटर कॉलेज में बुलाया गया यह जलसा उसी विरोध का हिस्सा है जिसमे देश भर से आई कई मुस्लिम तंजीम शामिल हुईं। मंच से पांच सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे खुलकर केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध और विरोध का समर्थन करने की बात कही गयी जिसमे तीन तलाक के सहारे कामन सिविल कोड के लिए कानून बनाने का संकेत है।

जलसे में बड़ी तादाद में मौजूद मुस्लिम आबादी के बीच यह बात भी सामने आई की तीन तलाक को लेकर खुद मुस्लिम जमात की जानकारी ही मुकम्मल नहीं है जिसकी वजह से मुस्लिम महिलाओं को ख़ास तौर पर गुमराह किया जाता है। जलसे में इसके लिए पूरी जमात में शरियत के कानून की सही जानकारी देने के लिए जागरूक करने की बात कही गई। इस प्रोग्राम में नूर फाउंडेशन लखनऊ के मोहम्मद मुस्तफा नदवी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जानकर फरमान नकवी और कई नेता मौजूद रहे।

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