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Muzaffarnagar News: एमपी एमएलए कोर्ट ने अलनूर मीट प्लांट कांड में 17 साल बाद सुनाया फैसला, 16 आरोपी बरी
Muzaffarnagar News Today: मुजफ्फरनगर में स्थित एमपी एमएलए कोर्ट ने अलनूर मीट प्लांट कांड में 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए 16 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है।
Muzaffarnagar News Today: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित एमपी एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को अलनूर मीट प्लांट कांड में 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए 16 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है। दरअसल, आपको बता दें कि 17 साल पूर्व 21.08.2006 में सिखेड़ा थाना क्षेत्र स्थित अलनूर मीट प्लांट के विरोध में फैक्ट्री के बाहर धरना प्रदर्शन चल रहा था उसी दौरान वहां मारपीट आगजनी और तोड़फोड़ की घटना हुई थी। जिसमें सिखेड़ा थाने के तत्कालीन थाना अध्यक्ष सहित 6 लोग घायल हो गए थे जिसके चलते इस मामले को लेकर 20 लोगों के खिलाफ सिखेड़ा थाना में एक एफ आई आर दर्ज हुई थी। जिसमें बुढ़ाना विधानसभा सीट से भाजपा के पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित तत्कालीन शिवसेना नेता ललित मोहन शर्मा भी शामिल थे।
17 साल बाद आया फैसला, सबूतों के अभाव में 16 लोग बाइज्जत बरी
इस मामले को लेकर आज एमपी एमएलए कोर्ट ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए सबूतों के अभाव में 16 लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया है। जिसमें बीजेपी के पूर्व विधायक उमेश मलिक और तत्कालीन शिवसेना नेता ललित मोहन शर्मा भी शामिल है। जानकारी के मुताबिक इनमें से बाबा नाम के एक व्यक्ति की जहां मृत्यु हो चुकी है तो वही तीन अन्य लोगों की पत्रावली अलग कर दी गई थी। जिसके चलते 16 लोगों का आज इसमें फैसला आया है।
इस मामले की अधिक जानकारी देते हुए बरी हुए मुजरिमों के अधिवक्ता श्यामवीर सिंह ने बताया कि यह 21.8.2006 की घटना है अल नूर मीट प्लांट पर एक हवन चल रहा था तो तत्कालीन सरकार की उस समय पर उन्होंने मुकदमा लिखवाया था उसमें कोर्ट के अंदर जो अभी डांस आए हैं हमने उसमें पैरवी की है जिसके बाद कोर्ट ने इसमें आज नैना करते हुए मुल्जिमान को आज बरी कर दिया है।
मारपीट में लाठी-डंडे के प्रयोग का कोई एविडेंस नहीं
इसमें 20 लोगों के खिलाफ FIR लिखी गई थी 16 लोगों के खिलाफ ट्रायल चल रहा था वही 16 लोग आज बड़ी हुए हैं इनमें से एक बाबा नाम के जो थे उनकी डेथ हो गई थी और 3 की पत्रावली अलग कर दी गई थी जो कोर्ट के सामने एविडेंस आए और हम लोगों ने जो गवाह आए थे उनसे जो जिरह की उसमें कोर्ट ने यह पाया कि यह 16 लोग उसमें शामिल नहीं थे क्योंकि उसमें उस समय उन्होंने बहुत बड़ी धाराएं लगाई थी 436 थी जिसमें यह कहा था कि आगजनी हुई थी मारपीट की लाठी-डंडे का प्रयोग है ऐसी कोई एविडेंस कोर्ट के सामने नहीं आई यह 2006 से ट्रॉयल चल रहा था 17 साल में अब कोर्ट ने इसमें फैसला सुनाया है एमपी एमएलए कोर्ट है जो विशेष न्यायाधीश बनाए गए थे उनके द्वारा एमपी एमएलए कोर्ट नंबर 3 उपाध्याय उन्होंने यह फैसला सुनाया है।