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मुजफ्फरनगर दंगा: कवाल कांड मामले में सभी 7 आरोपी दोषी करार, 8 फरवरी को सजा

मुजफ्फरनगर के कवाल में दो ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या मामले में कोर्ट ने सभी 8 आरोपियों को दोषी करार दिया है। जिले के एडीजे-7 कोर्ट के जज हिमांशु भटनागर ने मामले की सुनवाई में आरोपियों को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में लेने का फैसला सुनाया है।

Aditya Mishra
Published on: 6 Feb 2019 6:19 PM IST
मुजफ्फरनगर दंगा: कवाल कांड मामले में सभी 7 आरोपी दोषी करार, 8 फरवरी को सजा
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मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर के कवाल में दो ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या मामले में कोर्ट ने सभी 8 आरोपियों को दोषी करार दिया है। जिले के एडीजे-7 कोर्ट के जज हिमांशु भटनागर ने मामले की सुनवाई में आरोपियों को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में लेने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपियों को सजा का ऐलान करने के लिए 8 फरवरी की तारीख तय किया है। गौरतलब है कि 8 आरोपियों में से एक शाहनवाज की पहले ही मौत हो चुकी है। ऐसे में शाहनवाज के अलावा बाकी बचे 7 आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।

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तकरीबन साढ़े 5 साल पहले 27 अगस्त 2013 को कवाल कांड के बाद से मुजफ्फरनगर और शामली में दंगे भड़क उठे थे। इसमें 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों परिवार बेघर हो गए थे। मामले में शासकीय वकील आशीष कुमार त्यागी ने बताया कि साल 2013 में सचिन और गौरव नाम के दो युवकों और आरोपियो में मोटरसाइकिल की टक्कर के बाद विवाद हो गया था।

इसमें दोनों युवकों की हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा आरोपी पक्ष के शाहनवाज की भी इस दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद से मुजफ्फरनगर और शामली में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था।

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मृतक गौरव के पिता ने जानसठ कोतवाली में कवाल के मुजस्सिम ,मुजम्मिल ,फ़ुरक़ान ,नदीम ,जहाँगीर ,अफ़ज़ाल और ईकबाल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं मृतक शाहनवाज के पिता ने भी सचिन और गौरव के अलावा उनके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल ने जांच के बाद शाहनवाज हत्याकांड में एफआर लगा दी थी।

गौरतलब है कि हाल ही में यूपी सरकार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के 38 आपराधिक मामलों को वापस लेने की सिफारिश की थी। इन मुकदमों को वापस लेने की संस्तुति रिपोर्ट 29 जनवरी को मुजफ्फरनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को भेजी गई थी। वहीं यूपी सरकार ने पिछले 10 जनवरी को इन मुकदमों को वापस लेने की स्वीकृति दी थी।

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